1965 के भारत-पाक युद्ध में सीआरपीएफ की बहादुरी का सम्मान

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डीजे न्यूज, बलियापुर(धनबाद) : बुधवार को सीआरपीएफ 154 वाहिनी प्रधानखंटा ने 1965 के भारत-पाक युद्ध में सीआरपीएफ के जवानों द्वारा प्रदर्शित पराक्रम के याद में शौर्य दिवस मनाया। इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि 1965 में आज ही के दिन पाक सेना की एक इन्फेंट्री ब्रिगेड ने रण ऑफ कच्छ, गुजरात में भारतीय सीमा पर स्थित सरदार एवं टॉक पोस्ट पर तैनात सीआरपीएफ के सेकेंड बटालियन की दो कंपनियों पर आक्रमण किया था ।

सीआरपीएफ की बहादुरी

सीआरपीएफ के जवानों ने पाकिस्तान सेना का दृढ़ता से प्रतिरोध किया और बहादुरी से लड़ते हुए आक्रमण को विफल कर दिया। इस लड़ाई में 34 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए, जबकि सीआरपीएफ के आठ जवान शहीद हुए और 19 को पाकिस्तानी सेना ने बंदी बना लिया।

शहीदों को श्रद्धांजलि

आज आयोजित शौर्य दिवस के मौके पर सीआरपीएफ 154 वाहिनी के पदाधिकारी एवं जवानों ने शहीद जवानों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान वाहिनी के कमांडेंट सुनील दत्त त्रिपाठी, द्वितीय कमान अधिकारी राकेश कुमार सिंह, डिप्टी कमांडेंट विनीता कुमारी, चिकित्सा पदाधिकारी डॉ हर्ष झा समेत वाहिनी के अन्य पदाधिकारी एवं जवान उपस्थित थे।

1965 का भारत-पाक युद्ध: एक संक्षिप्त विवरण

1965 का भारत-पाक युद्ध दोनों देशों के बीच अप्रैल 1965 से सितंबर 1965 तक चला। यह युद्ध कश्मीर के दूसरे युद्ध के नाम से भी जाना जाता है। पाकिस्तान ने अपने सैनिकों को घुसपैठियों के रूप में भेजकर कश्मीर में विद्रोह भड़काने की कोशिश की, लेकिन यह अभियान विफल हो गया। युद्ध में दोनों पक्षों के हजारों लोग मारे गए और अंततः संयुक्त राष्ट्र के युद्धविराम की घोषणा के साथ समाप्त हुआ।

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