सम्मेद शिखरजी जाने वाली सड़क बदहाल, तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए मुख्यमंत्री से गुहार

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सम्मेद शिखरजी जाने वाली सड़क बदहाल, तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए मुख्यमंत्री से गुहार

डीजे न्यूज, पीरटांड़, गिरिडीह : श्री दिगंबर जैन शाश्वत तीर्थराज सम्मेद शिखर ट्रस्ट, मधुबन की ओर से झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक मार्मिक और अत्यंत महत्वपूर्ण निवेदन-पत्र भेजा गया है। यह अपील इसरी बाजार से पारसनाथ रेलवे स्टेशन को जोड़ने वाली जर्जर स्टेशन रोड के नवनिर्माण हेतु भेजा गया है, जो जैन धर्म के विश्वविख्यात तीर्थ स्थल श्री सम्मेद शिखरजी के प्रमुख मार्गों में से एक है।
तीर्थयात्रियों की जीवनरेखा बनी सड़क, अब खुद बन चुकी है खतरा
निवेदन में बताया गया है कि यह मार्ग न केवल स्थानीय लोगों के लिए आवश्यक है, बल्कि हर साल देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए भी यह मुख्य मार्ग है। श्रद्धालु पारसनाथ रेलवे स्टेशन पर उतरकर इसी सड़क से श्री सम्मेद शिखरजी की ओर प्रस्थान करते हैं।
सड़क के किनारे कई धार्मिक स्थल जैसे जैन मंदिर, शिव मंदिर, दुर्गा मंदिर, राधा-कृष्ण मंदिर, धर्मशालाएं और विद्यालय भी स्थित हैं, जिससे इसका धार्मिक और सामाजिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
जर्जर हालत बनी श्रद्धालुओं के लिए संकट का कारण
निवेदन में कहा गया है कि सड़क की स्थिति अत्यंत जर्जर हो चुकी है। बड़े-बड़े गड्ढे, जलभराव और असमान सतह के कारण यह मार्ग असुरक्षित और कष्टदायक हो गया है। इससे न केवल श्रद्धालु और स्थानीय निवासी परेशान हैं, बल्कि झारखंड की धार्मिक और सांस्कृतिक छवि भी प्रभावित हो रही है।
मुख्यमंत्री से किया गया शीघ्र हस्तक्षेप का आग्रह
संस्था के प्रबंधक संजीव जैन ने पत्र में मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि तीर्थयात्रियों की सुविधा और राज्य की गरिमा को ध्यान में रखते हुए इस सड़क का तत्काल नवनिर्माण या मरम्मत कार्य प्रारंभ करवाया जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्य राज्य की धार्मिक पर्यटन क्षमता को और सशक्त करेगा और झारखंड को वैश्विक धार्मिक मानचित्र पर नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।
प्रतिलिपि विधायक और उपायुक्त को भी भेजी गई
इस पत्र की प्रतिलिपि डुमरी विधानसभा के विधायक और गिरिडीह के उपायुक्त को भी भेजी गई है, ताकि इस जनहित के कार्य में सभी स्तरों पर जागरूकता और शीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
यह मांग सिर्फ एक सड़क की मरम्मत नहीं, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था और सुरक्षा से जुड़ा प्रश्न है, जिसे लेकर अब उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार शीघ्र सकारात्मक कदम उठाएगी।

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