मोबाइल-सोशल मीडिया से बनाएं दूरी, सफलता मिलेगी पूरी

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मोबाइल-सोशल मीडिया से बनाएं दूरी, सफलता मिलेगी पूरी

मेडिकल तथा इंजीनियरिंग की तैयारी कराने वाले संस्थान गोल धनबाद सेंटर के निदेशक संजय आनंद ने विद्यार्थियों और अभिभावकों को करियर से संबंधित जिज्ञासा का किया समाधान 

 

तरूण कांति घोष / संजीत तिवारी, धनबाद : 

किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता पाने के लिए एकाग्रता सबसे अहम है। आजकल बच्चों का ध्यान एंड्रायड फोन की ओर अधिक है। अगर बच्चे फोन, टेलीविजन, सोशल मीडिया में समय व्यतीत न करें तो स्कूल के साथ-साथ कोचिंग सेंटर की पढ़ाई भी मन लगाकर कर सकते हैं। यह प्रभावी होगा। मेडिकल तथा इंजीनियरिंग की तैयारी कराने वाले प्रमुख शैक्षणिक संस्थान गोल धनबाद सेंटर के निदेशक संजय आनंद ने विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को करियर से संबंधित जिज्ञासा का समाधान किया। मंगलवार को गोल के धनबाद सेंटर में निदेशक ने देवभूमि झारखंड न्यूज के कार्यक्रम करियर काउंसिलिंग में छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों के प्रश्नों‌ के उत्तर दे रहे थे। प्रस्तुत है विद्यार्थी तथा अभिभावकों के सवाल और गोल निदेशक के जवाब:- 

 

प्रश्न: पढ़ाई पर कैसे ध्यान केंद्रित करें

स्नेहा तिवारी, छात्रा, बैंक कालोनी धनबाद। 

उत्तर: किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। पढ़ाई के प्रति स्थिरता नहीं रहने पर लक्ष्य को प्राप्त करना आसान नहीं है।‌ सोशल मीडिया, एंड्रायड फोन से दूरी बनाएं। शारीरिक और मानसिक तनाव या चंचलता को दूर करने के लिए आधा घंटा तक योग, प्राणायाम करें। 

 

प्रश्न: बच्चों के लिए नीट की तैयारी करने का सही समय कब है। 

पंकज कुमार, अभिभावक, टुंडी।‌

उत्तर: दसवीं कक्षा का आधार नवम‌ कक्षा है तथा बारहवीं का आधार ग्यारहवीं कक्षा है। ग्यारहवीं की पढ़ाई के साथ-साथ नीट की भी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। 

 

प्रश्न: बच्चों को दसवीं के बाद कौन सा करियर चुनना चाहिए

पल्लवी शरण, अभिभावक, बेंगलुरु। 

उत्तर: बच्चों के ऊपर अभिभावक अपनी पसंद न थोपें। बच्चों की रूचि किस क्षेत्र में जाने की है, इसका पता करना अनिवार्य है। 

 

प्रश्न: ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए गोल संस्थान में क्या व्यवस्था है।

संजीव कुमार, शिक्षक, धनैयडीह, गिरिडीह। 

उत्तर: बीते 17 वर्षों से गोल संस्थान के द्वारा गोल टेलेंट सर्च परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है। परीक्षा में छठी कक्षा से 12 वीं कक्षा तक के बच्चे शामिल होते हैं। चयनित बच्चों को मेडिकल, इंजीनियरिंग, रेलवे आदि की तैयारी के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत गोल संस्थान में तैयारी करने पर स्कालरशिप दी जाती है। 

 

प्रश्न: आइआइटी की तैयारी के लिए ग्यारहवीं के बच्चों को क्या करना चाहिए। 

सुशीम आनंद, छात्र, कोडरमा। 

उत्तर: प्रतियोगी परीक्षा में सफल होने का ग्यारहवीं कक्षा ही सही समय है। ग्यारहवीं व बारहवीं की पढ़ाई के दौरान अपने लक्ष्य का निर्धारण करें। एनसीईआरटी आधारित पढ़ाई पर विशेष ध्यान दें। 

 

प्रश्न: ग्यारहवीं की पढ़ाई करने वाले बच्चों को जेईई की तैयारी कैसे करना चाहिए। 

सुरभी, अभिभावक, कोलकाता। 

उत्तर: ग्यारहवीं व बारहवीं की पढ़ाई मन‌ लगाकर करें। एनसीईआरटी पर पकड़ बनाएं। स्कूल और कोचिंग सेंटर की पढ़ाई समय प्रबंधन के साथ करें। 

 

प्रश्न: स्कूल और कोचिंग सेंटर की पढ़ाई साथ-साथ करना ठीक है या नहीं

प्रेम कुमार, अभिभावक, गोल बिल्डिंग, धनबाद।

उत्तर: बच्चों का ध्यान एंड्रायड फोन की ओर अधिक है। अगर बच्चे फोन, टेलीविजन, सोशल मीडिया में समय व्यतीत न करें तो स्कूल के साथ-साथ कोचिंग सेंटर की पढ़ाई भी मन लगाकर कर सकते हैं। 

 

प्रश्न: आठवीं कक्षा के छात्र को इंजीनियरिंग की तैयारी कब से कराना चाहिए। 

 

फल्लु हांसदा, अभिभावक, बेंगाबाद, गिरिडीह। 

उत्तर: आठवीं से दसवीं तक की पढ़ाई ठीक से पूरी करें। खासकर गणित विषय पर विशेष ध्यान दें। गणित ठीक होने पर भौतिक और रसायनशास्त्र भी मजबूत होगा। 

 

प्रश्न : बीटेक करने के लिए कौन सा ब्रांच ठीक रहेगा। 

सुभेक्षा, छात्रा, धनबाद।

उत्तर: रैंक के आधार पर ब्रांच मिलता है। वर्तमान में कंप्यूटर ब्रांच की डिमांड सबसे अधिक है। 

 

प्रश्न: नीट की तैयारी कैसे करें। 

स्मृति आनंद, छात्रा, गिरिडीह। 

उत्तर: ग्यारहवीं और बारहवीं का सिलेबस वही है जो नीट का है। एनसीईआरटी आधारित पढ़ाई करें। एनसीईआरटी के अंदर छुपी रहस्यों को समझें। 

 

प्रश्न : बच्ची को नीट की तैयारी कैसे कराएं।‌

गिरीश चंद्र साव, अभिभावक, टुंडी।‌

उत्तर: ग्यारहवीं और बारहवीं की तैयारी ठीक से कराएं। बच्ची को सही मार्गदर्शन दें। ग्यारहवीं व बारहवीं की पाठ्यक्रम पर पकड़ बना लें तो प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर परिणाम आ सकता है। 

 

प्रश्न: जेईई की तैयारी के लिए कोटा और धनबाद में से कहां ठीक है।

अभिजीत, अभिभावक, टुंडी

उत्तर: धनबाद जोन से बच्चों का कोटा जाना रूक गया है। संस्थान या जगह से परिणाम बेहतर नहीं आता है बल्कि बच्चों की लगन, पढ़ाई के प्रति समर्पण और सही मार्गदर्शन से रिजल्ट भी बढ़िया होता है। 

 

प्रश्न : गोल संस्थान बेहतर है या कोटा

सुमन प्रसाद, अभिभावक, गिरिडीह।

उत्तर: दूर का ढोल सुहावन वाली कहानी है। कोटा से बच्चे वापस गोल में आ रहे हैं। बच्चों को सही मार्गदर्शन, सही मेंटरशिप मिले तो परिणाम बेहतर आएगा। एनसीईआरटी आधारित टेस्ट लेने वाला एकमात्र संस्थान गोल है। 

 

प्रश्न : स्कूल और कोचिंग सेंटर की पढ़ाई एकसाथ किया जा सकता है।

रूचि, अभिभावक, कार्मिक नगर, धनबाद। 

उत्तर: यह बच्चों पर निर्भर करता है कि वह कितनी देर तक पढ़ाई के लिए समय निकाल पाता है। स्कूल के साथ कोचिंग सेंटर के पढ़ाई के बीच संतुलत आवश्यक है। 

 

लगातार आते रहे कॉल, दर्जनों लोगों का नहीं हो सका संपर्क 

देवभूमि झारखंड न्यूज का कैरियर काउंसलिंग कार्यक्रम काफी सफल रहा। छात्रों और अभिभावकों के फोन लगातार आते रहे। स्थिति यह थी कि एक घंटे के इस कार्यक्रम को डेढ़ घंटा करना पड़ा। बावजूद दर्जनों लोगों का संपर्क संजय आनंद से नहीं हो सका। कार्यक्रम के समापन पर संजय आनंद ने घोषणा की है कि वे देवभूमि के इस कार्यक्रम में बहुत जल्द फिर से हाजिर होंगे और छात्रों और अभिभावकों को उनके सवालों का जवाब देंगे। उन्होंने इस आयोजन के लिए देवभूमि झारखंड न्यूज की पूरी टीम को बधाई दी है।

 

 

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