कुड़मी समाज की भाषा और संस्कृति ही दर्शाती है उसकी जनजातीय पहचान 

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कुड़मी समाज की भाषा और संस्कृति ही दर्शाती है उसकी जनजातीय पहचान 

राजगंज में कुड़मी समाज का दीवारात्रि जागरण कार्यक्रम, जनजातीय पहचान को पुनः प्रतिष्ठित करने पर जोर

डीजे न्यूज, राजगंज(धनबाद) : जनजातीय पहचान की पुनः प्रतिष्ठा को लेकर राजगंज क्षेत्र के बागदाहा गांव आमबगान में कुड़मी समाज का दीवारात्रि जागरण कार्यक्रम महाजुटान के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि कुड़मी समाज की अपनी विशिष्ट जनजातीय पहचान रही है, जो आदिम सामाजिक स्वशासन की प्रथागत व्यवस्था से जुड़ी हुई है। कुड़मी समाज में “माहतअ परगनेत” प्रथा प्रचलित है और यह समाज अपनी विशेष नेगाचारि (परंपरागत रीति-रिवाज) के अंतर्गत बारह महीनों में तेरह पर्वों का आयोजन करता है। वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि कुड़मी समाज की भाषा और संस्कृति ही उसकी जनजातीय पहचान को दर्शाती है।

पूर्व में जनजातीय सूची में थी कुड़मी समाज की पहचान

कार्यक्रम में यह भी कहा गया कि पहले कुड़मी समुदाय जनजातीय सूची में शामिल था, लेकिन साजिश के तहत इसे हटा दिया गया। समाज के नेताओं ने इस पहचान को पुनः स्थापित करने की मांग की और नई पीढ़ी को संस्कृति एवं परंपराओं से जोड़ने के उद्देश्य से इस जागरण कार्यक्रम का आयोजन किया।

मशाल जुलूस एवं देवताओं की पूजा

जागरण कार्यक्रम के पूर्व गांव में मशाल जुलूस निकाला गया, जिसके बाद गांव स्थित बूढ़ा बाबा एवं अन्य स्थानीय देवताओं का नेगाचारि के तहत पूजन किया गया। तत्पश्चात गांव के महतो राजू जी द्वारा “आखड़ा सेवुरन” के साथ कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत हुई। इस अवसर पर असम, बंगाल और झारखंड के विभिन्न हिस्सों से आए समाज के विद्वानों ने अपने विचार साझा किए।

81 गुश्टि का दीप प्रज्वलन एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

संध्या में 81 गुश्टि (समुदाय) का दीप जलाकर पूर्वजों को स्मरण किया गया। इसके बाद बंगाल के गोविंदलाल हस्तआर, कीर्तन मुतरूआर, लालाजी हिंदआर, पार्वती हिंदआर सहित कई प्रसिद्ध कलाकारों ने भक्ति संगीत, पाता नाच और नृत्य प्रस्तुत किए। इस कार्यक्रम में निचितपुर भखिचारी दल एवं तलगड़िया बोकारो के सांस्कृतिक दलों ने भी शानदार प्रस्तुतियां दीं।

प्रमुख वक्ताओं एवं अतिथियों ने रखे विचार

कार्यक्रम की अध्यक्षता वासुदेव महतो संखवार ने की, जबकि संचालन महादेव डुंगरिआर और पांडव पुनरिआर ने किया। कुड़मी भाखि चारि आखड़ा के बैनर तले आयोजित इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ. बी.एन. महतो (प्राचार्य, चास कॉलेज, बोकारो), ज्योतिलाल बंसीआर (बंगाल), वाणी देवी (जीप सदस्य), दीपक पुनरिआर (कसमार), हलधर महतो, सुरेश शंखआर (असम), तरणी बानूआर, गणपत महतो, भुवनेश्वर नवाखुरी, ओमप्रकाश बंशीआर (ओडिशा), निपेण केसियार (पुरुलिया) आदि ने सभा को संबोधित किया।

समाज के लोग रहे सक्रिय रूप से शामिल

कार्यक्रम को सफल बनाने में हीरालाल महतो, मुखिया बाबूलाल महतो, पंसस धनंजय प्रसाद महतो, रेवती रमण महतो, गणेश महतो, रामचंद्र महतो, गीत गोविंद महतो, राजू महतो, मनीषा महतो, सुभाष महतो, सूदन महतो, प्रवीण महतो, सरोज महतो, संतोष महतो, मुक्तेश्वर महतो, सुबोध महतो, महावीर महतो सहित कई गणमान्य लोग सक्रिय रूप से जुड़े रहे।

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