एसडीओ के लिखित आश्वासन के बाद बिरनी में आंदोलन खत्म

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एसडीओ के लिखित आश्वासन के बाद बिरनी में आंदोलन खत्म

 डीजे न्यूज, बिरनी (गिरिडीह) : बिरनी प्रखंड के दलांगी लेवरा गांव में रामनवमी जुलूस को सार्वजनिक कालीकरण सड़क से नहीं निकालने के विरोध में बीते रविवार से जारी हिंदू समाज के ग्रामीणों का धरना सोमवार शाम प्रशासन के लिखित आश्वासन के बाद समाप्त हो गया।

एसडीओ संतोष गुप्ता, एसडीपीओ धनंजय राम, बीडीओ फणीश्वर रजवार, सीओ संदीप मधेसिया, थाना प्रभारी आकाश भारद्वाज, पुलिस इंस्पेक्टर ज्ञान रंजन ने धरनास्थल पर पहुंचकर ग्रामीणों से वार्ता की। अधिकारियों ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि रामनवमी जुलूस समेत अन्य धार्मिक जुलूसों को सार्वजनिक कालीकरण सड़क से निकालने की व्यवस्था नियम संगत तरीके से जल्द सुनिश्चित की जाएगी।

प्रशासन की ओर से मिला आश्वासन

एसडीओ ने कहा कि अब से पर्व आने का इंतजार नहीं किया जाएगा, बल्कि समस्या का स्थायी समाधान पूर्व में ही कर लिया जाएगा। वहीं, रामनवमी जुलूस के लाइसेंसधारी अशोक राम गुप्ता ने कहा कि अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है, समाधान नहीं। उन्होंने प्रशासन को आगाह करते हुए कहा कि अगर वर्ष 2026 तक भी समाधान नहीं हुआ, तो हर हाल में जुलूस कालीकरण सड़क से ही निकाला जाएगा, चाहे परिणाम कुछ भी हो।

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि प्रशासन गांव के एक समुदाय की निजी जमीन पर बनी अधूरी कच्ची सड़क से जबरन जुलूस निकालवाने का दबाव बना रहा था, जबकि सरकारी योजना से बनी पक्की सड़क को रोक दिया गया।

क्या है पूरा मामला

दलांगी लेवरा गांव मुस्लिम बहुल है, लेकिन वर्षों से यहां रामनवमी का पर्व भाईचारे के साथ मनाया जाता रहा है। पहले कालीकरण सड़क नहीं होने के कारण जुलूस खेत-पत्थर और नदी-नाले के रास्ते निकलता था। बाद में जब पक्की सड़क बनी, तो मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने सड़क किनारे अपने निजी खेत में घर बना लिया और रास्ता अवरुद्ध हो गया।

वर्ष 2023 में जब सार्वजनिक कालीकरण सड़क से जुलूस निकाला गया तो पथराव कर उसे रोका गया। ग्रामीणों ने साक्ष्य के साथ प्राथमिकी के लिए आवेदन दिया था। तब भी अधिकारियों ने कहा था कि अगले वर्ष से समाधान होगा, लेकिन वर्ष 2024 और अब 2025 में भी केवल पुराने रास्ते से जुलूस निकालने का लाइसेंस निर्गत किया गया, जिससे ग्रामीणों का आक्रोश भड़क गया।

ग्रामीणों की चेतावनी

ग्रामीणों ने चेताया है कि इस वर्ष प्रशासन के लिखित व मौखिक आश्वासन पर धरना तो समाप्त किया गया है, लेकिन यदि अगले वर्ष तक भी समाधान नहीं हुआ, तो जन आंदोलन और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही किसी भी अनहोनी की जिम्मेदारी प्रशासन पर होगी।

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