



श्रद्धा, भक्ति और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया प्रकाशोत्सव
डीजे न्यूज, धनबाद: बड़ा गुरुद्वारा बैंक मोड़, धनबाद में बुधवार को श्री गुरु नानक देव जी महाराज जी का पावन प्रकाश पर्व श्रद्धा, भक्ति और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
प्रातः से ही संगतों की भारी भीड़ गुरुद्वारा साहिब में उमड़ी, जहाँ अखंड पाठ साहिब के भोग के उपरांत कीर्तन दरबार का आयोजन हुआ।
कार्यक्रम में पंथ के उच्च कोटि के हजूरी रागी जत्था भाई अरविंदर सिंह धामी ने गुरु नानक देव जी की पावन वाणियों का शब्द सूनी पुकार दातार प्रभु, गुर नानक जग माहे पठाया। सतगुर नानक प्रगटया, मिटि धूंध जग चानन होआ।
इक बाबा अकाल रूप, दूजा रबाबी मरदाना,,,,गाकर संगतों को निहाल किया।
इन पवित्र वाणियों से गुरुद्वारा परिसर भक्ति, प्रेम और आध्यात्मिकता से ओतप्रोत हो उठा।
प्रोफेसर अमरजीत सिंह (गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर) ने गुरु नानक देव जी के जीवन, शिक्षाओं और उनकी चार उदासियों पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि
गुरु नानक देव जी का सम्पूर्ण जीवन मानवता, समानता और सच्चाई की जीवंत मिसाल है। उन्होंने समाज में फैले भेदभाव, अंधविश्वास और अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाई। उनका संदेश ‘एक ओंकार सतनाम’ यह बताता है कि ईश्वर एक है और वह सब में विद्यमान है।
प्रोफेसर अमरजीत सिंह ने कहा कि गुरु नानक देव जी ने नाम जपना (ईश्वर का स्मरण), कीरत करनी (ईमानदारी से जीवनयापन) और वंड छकना (अपना कमाया दूसरों में बाँटना) जैसे तीन मूल सिद्धांतों को मानव जीवन का आधार बताया।
उन्होंने कहा कि आज जब समाज पुनः विभाजन, द्वेष और स्वार्थ की ओर अग्रसर है, ऐसे समय में गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ और भी अधिक प्रासंगिक हैं। उनका संदेश सिखाता है कि सच्ची सेवा, प्रेम और परस्पर सम्मान से ही मानवता का मार्ग प्रकाशित हो सकता है।
कार्यक्रम के अंत में संगतों ने गुरु चरणों में मथा टेका और गुरु का लंगर ग्रहण किया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु सुबह से देर शाम तक इस पावन आयोजन में सम्मिलित होते रहे।
इस अवसर पर धनबाद बड़ा गुरुद्वारा कमेटी के पदाधिकारी गुरचरण सिंह माझा, मनजीत सिंह पाथरडीह, राजेंद्र सिंह चहल, सतपाल सिंह ब्रोका, दिलजोन सिंह ग्रेवाल, मनजीत सिंह सलूजा, शाहबाज सिंह सहित अनेक सेवादार उपस्थित रहे।
सभी ने संगतों को प्रकाश पर्व की शुभकामनाएँ देते हुए यह संदेश दिया कि हम सभी को गुरु नानक देव जी के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाकर समाज में भाईचारा, सत्य और समानता की भावना को सशक्त बनाएं।