डॉ. आंबेडकर का जीवन सामाजिक विषमता, छुआछूत, जातिवाद और अन्याय के खिलाफ निर्णायक संघर्ष का प्रतिरूप : ढुलू महतो

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डॉ. आंबेडकर का जीवन सामाजिक विषमता, छुआछूत, जातिवाद और अन्याय के खिलाफ निर्णायक संघर्ष का प्रतिरूप : ढुलू महतो

डीजे न्यूज, धनबाद : बाघमारा के चिटाही स्थित सांसद ढुलू महतो के आवासीय कार्यालय परिसर में‌ सोमवार को संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की 134वीं जयंती मनाई ग ई। सांसद ढुलू सहित अन्य लोगों ने बाबा साहेब की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। 

इस अवसर पर सांसद ढुलू ने कहा कि डॉ. आंबेडकर का जीवन सामाजिक विषमता, छुआछूत, जातिवाद और अन्याय के विरुद्ध एक निर्णायक संघर्ष का प्रतिरूप है। उन्होंने भारतीय संविधान की नींव रखी और लोकतांत्रिक भारत की आत्मा बन चुके सिद्धांतों को व्यवहार में परिणत किया।

डॉ. आंबेडकर के जीवन से प्रेरणा

सांसद ने कहा कि डॉ. आंबेडकर की विचारधारा किसी एक वर्ग या समुदाय तक सीमित नहीं, बल्कि मानवता की समग्र उन्नति का मार्गदर्शक सिद्धांत है। उनके द्वारा दिया गया मूलमंत्र “शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो” आज की सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों में और अधिक प्रासंगिक हो गया है।

कार्यक्रम में रही इनकी उपस्थिति

कार्यक्रम के दौरान क्षेत्रीय जनता, शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता, भाजपा पदाधिकारी एवं युवा वर्ग की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। वक्ताओं ने बाबा साहेब के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प दोहराया और उनके आदर्शों को राजनीतिक व्यवहार में उतारने की आवश्यकता पर बल दिया।

डॉ. आंबेडकर का जीवन और योगदान

डॉ. भीमराव आंबेडकर एक बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, लेखक और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों से होने वाले सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मन्त्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे।

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