श्रीमद्भागवत महापुराण मणि के समान है, जिसके सामने स्वर्ग का अमृत भी फीका पड़ जाता : अनन्या शर्मा 

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श्रीमद्भागवत महापुराण मणि के समान है, जिसके सामने स्वर्ग का अमृत भी फीका पड़ जाता : अनन्या शर्मा 

टुंडी के ओझाडीह में श्रीमद्भागवत महापुराण सप्ताह का भव्य शुभारंभ

डीजे न्यूज, टुंडी(धनबाद) : ओझाडीह में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत महापुराण सप्ताह के प्रथम दिवस के अवसर पर कथा प्रवक्ता अनन्या शर्मा जी ने कहा कि जब मनुष्य के कई जन्मों के पुण्य उदय होते हैं तब वह श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का आयोजन कर पाता है और श्रवण कर पाता है।

श्रीमद्भागवत महापुराण की महत्ता

अनन्या शर्मा जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण मणि के समान है, जिसके सामने स्वर्ग का अमृत भी फीका पड़ जाता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें साक्षात श्रीकृष्ण शब्द रूप में विराजित हैं।

भगवान श्रीकृष्ण का उद्धव को दिया गया संदेश

  • अनन्या शर्मा जी ने कहा कि जब भगवान श्रीकृष्ण अपने धाम को वापस जा रहे थे, तब उनके मित्र उद्धव जी ने उनसे कहा कि प्रभु आप तो अपने धाम को वापस जा रहे हैं, पर इस कलयुग में व्यक्ति किस तरह अपना उद्धार कर पाएगा। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उद्धव से कहा था कि चिंता मत करो, कलयुग में श्रीमद्भागवत महापुराण नामक एक ग्रंथ होगा, जिसमें मैं साक्षात शब्द रूप में विराजित रहूंगा और इसका श्रवण करने से अध्ययन करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होगी और उसका उद्धार होगा।

सच्चिदानंद शब्द का अर्थ

अनन्या शर्मा जी ने सच्चिदानंद शब्द का अर्थ समझाते हुए कहा कि हम सच्चिदानंद तो कहते हैं, परंतु यदि हम इसे ध्यान से समझेंगे तो इसमें सत्य अलग है, चित् अलग है और आनंद अलग है। आनंद को समझाते हुए उन्होंने कहा कि आज कुछ लोग आनंद का अर्थ मनोरंजन से लेते हैं, पर आनंद तो अंतर आत्मा में विराजित है और हम पूरी दुनिया में आनंद की खोज करते हैं और जो हमारी अंतर आत्मा में विराजित है वह ईश्वर है और ईश्वर ही आनंद है।

सुखदेव मुनि महाराज के जन्म की कथा

अनन्या शर्मा जी ने सुखदेव मुनि महाराज के जन्म की कथा का वर्णन किया और भक्ति, ज्ञान, वैराग्य की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि कलयुग में ज्ञान और वैराग्य दोनों को कोई नहीं पसंद करता, क्योंकि कलयुग में हर व्यक्ति अपने आप को ज्ञानी मानता है। कलयुग में भक्ति की अधिकता है और कलयुग केवल नाम अधारा है।

धुंधकारी की कथा

अनन्या शर्मा जी ने धुंधकारी की कथा सुनाते हुए कहा कि अपने बच्चों को संस्कार दीजिए, जिस प्रकार धुंधकारी अत्यधिक लाड प्यार में संस्कारहीन हो गया था। आज उसी प्रकार हम अपने बच्चों को संस्कार नहीं दे पा रहे हैं। हम अपने बच्चों को सब कुछ देते हैं जो मांगता है देते हैं, पर जो देना चाहिए वह ही नहीं दे रहे हैं। अपने बच्चों को संस्कार दीजिए जिससे कि वह एक श्रेष्ठ मानव बने।

कथा के दौरान भजनों का गायन

कथा के दौरान अनन्या जी के गाए हुए भजनों पर उपस्थित श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। कथा की शुरुआत सुबह मंडप प्रवेश, वेदी पंचाग पूजन, पंचदेवता पूजन व श्रीमद्भागवत महापुराण के वैदिक पारायण पाठ के साथ प्रारंभ हुआ। पूजन व पारायण पाठ आचार्य अर्जुन पांडे ने किया।

कथा को सफल बनाने में समिति की भूमिका

कथा को सफल बनाने में ओझडीह मंझलीटांड़ की पूरी सोलह आना समिति सक्रिय दिखी। कथा के दौरान कथा पंडाल में सैकड़ों श्रोता उपस्थित थे।

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