
देशभर के क्लाकारो ने रंगयात्रा में दिखायी कला की विविधता में एकता
डीजे न्यूज, गिरिडीह : कला संगम के तत्वावधान में स्व. जे पी कुशवाहा 24 वां अखिल भारतीय बहुभाषी नाटक एवं स्व. उमा रानी ताह स्मृति लोकनृत्य, शास्त्रीय नृत्य प्रतियोगिता के चौथे दिन शहर में रंगयात्रा निकाली गई। रंगयात्रा में उड़िया, बंगाली, छऊ नृत्य संस्कृति की जहां दर्शन हुए, वहीं उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, बंगाल, दिल्ली व अन्य राज्यों के कलाकारों ने अपनी कला से शहर के लोगों का मनमोह लिया। रंगयात्रा ईश्वर स्मृति भवन से निकलकर कालीबाड़ी मंदिर, टॉवर चौक, पद्म चौक, बड़ा चौक होते हुए गांधी चौक तक पहुंचकर समाप्त हुई। गांधी चौक पर कार्यकारी अध्यक्ष पंकज ताह ने रंगयात्रा के कलाकारों का स्वागत किया। रंगयात्रा में सचिव सतीश कुंदन, दिल्ली के सुरेन्द्र सागर, संगीता पांडेय, बिहार के अशोक मानव, बंगाल के योगराज चौधरी, आजमगढ़ के सुनीत दत्त विश्वकर्मा, धनबाद के वशिष्ठ प्रसाद सिन्हा, गौरव सरकार, सह सचिव शिवेंद्र सिन्हा, सुजय गुप्ता, मदन मंजरवे, नाट्य प्रमुख नीतीश आनंद, मीडिया प्रभारी सुनील मंथन शर्मा, बिनोद शर्मा, कार्यालय प्रभारी मनोज कुमार मुन्ना, नीतीश आनंद, रवीश आनंद, नृत्य प्रभारी दिव्या सहाय, शीलधर प्रसाद, सिद्धांत, अजय शिवानी, अनिल चंद्रवंशी, गोपाल दास भदानी, अजय गुप्ता, अशोक गुप्ता, शुभम, सुमित, इंद्रजीत,सौरभ, आकाश, विकास सहित कला संगम के कई अन्य पदाधिकारीगण और सदस्यगण मौजूद थे।
पथ के नाटक गदहे की बारात ने छोड़ा गहरा प्रभाव
प्रतियोगिता के चौथे दिन नाटक पथ का मंचन आह्वान थियेटर ग्रुप उड़ीसा एवं लोक नृत्य महाश्वेता कला केंद्र मैथन, द रंग, गिरिडीह, डांस ग्रुप नृत्यांजलि पटना, वीणापानी कला केंद्र धनबाद, स्मार्ट ओरियन अकादमी ने लोक नृत्य पेश कर मनमोह लिया। तनुश्री दत्ता, श्रीपर्णा दत्ता, अदिजा मुखर्जी, लवली दास, आयुषी दास, साक्षी सिंह, आराध्या गोप, श्रेयश्री गोप, बरनाली सोहिस, प्रियांशी पॉल, आरुषि घोष, वैशाली कुंभकार, दीपा पॉल, डिंपल शर्मा, अमीषा मिश्रा, मेघा गोप, आराध्या शर्मा, धन्य रौशन, श्रीप्रहा दत्ता, निराली कुमारी ने शास्त्रीय और लोक नृत्य प्रस्तुत किया। तृषा रानी एवं ऑल इंडिया थियेटर काउंसिल की ओर से श्रुति चंद्रा के नेतृत्व ने ग्रुप नृत्य प्रदर्शनी के रूप में पेश किया गया, जिसने सबका मन मोह लिया। पथ जमशेदपुर के मो. निजाम के निर्देशन में गदहे की बारात नाटक का प्रदर्शनी के रूप में मंचन किया गया, जिसने दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ा।