
मधुबन में सीवेज का पानी छोड़ने से सिंहपुर नदी गंभीर प्रदूषण का शिकार बनी
प्रशासन से हस्तक्षेप की गुहार
डीजे न्यूज, सिंहपुर, मधुबन, गिरिडीह : एक ओर जहां ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को लेकर जनजागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, वहीं जैन तीर्थस्थल मधुबन में एक गंभीर समस्या सामने आई है। शिखरजी स्वच्छता समिति मधुबन को स्वच्छ रखने में सक्रिय भूमिका निभा रही है, किंतु धर्मशालाओं से निकलने वाला सीवेज नदी में छोड़ने से सिंहपुर नदी गंभीर प्रदूषण का शिकार हो रही है।
जो नदी कभी पार्श्वनाथ पर्वत से बहकर सिंहपुर, बिरनगड़ा, खपईबेड़ा जैसे गांवों के लिए जीवनदायिनी हुआ करती थी, आज सीवेज और मलमूत्र का केंद्र बनकर अभिशाप में तब्दील हो चुकी है। लगभग 3000 से 5000 यात्रियों द्वारा प्रतिदिन किया जाने वाला मलमूत्र सीवेज सिस्टम के जरिए नदी में छोड़ दिया जाता है, जो जलीय जीव-जंतु, जंगली जानवर और पक्षियों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है।
स्थिति यह है कि नदी का पानी अब सेवन लायक नहीं रहा, और जलीय जीव पूरी तरह समाप्त होने की कगार पर हैं। यह मामला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के समक्ष पहले भी उठाया गया है, मगर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। दिन-प्रतिदिन मधुबन में यात्रियों की संख्या बढ़ने के साथ सीवेज की मात्रा में भी इजाफा हो रहा है, जो पर्यावरण और जैव विविधता के लिए बेहद गंभीर खतरा है।
कैलाश अग्रवाल (सिंहपुर) ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से सहानुभूति और तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है, ताकि अहिंसा की भूमि मधुबन में बहने वाली सिंहपुर नदी को बचाने और उसकी मूल अवस्था में लौटाने का उपाय किया जा सके।
समाज और प्रशासन से अनुरोध है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाए और शीघ्र समाधान किया जाए।