
पारसनाथ पर्वत पर आग का तांडव, वन संपदा हो रही नष्ट
डीजे न्यूज, पीरटांड़ (गिरिडीह) : झारखंड का पारसनाथ पर्वत बीते आठ दिनों से आग की लपटों में घिरा हुआ है। इस आग से पर्वत की अमूल्य वन संपदा और जैव विविधता को भारी नुकसान हो रहा है। पहाड़ के विभिन्न हिस्सों में आग फैल चुकी है, लेकिन इसे नियंत्रित करने के संसाधन सीमित हैं।
महुआ चुनने और जमीन कब्जाने के लिए लगाई जा रही आग
स्थानीय ग्रामीण महुआ चुनने के लिए जंगल में सूखे पत्तों में आग लगा रहे हैं, लेकिन वे इसके खतरनाक परिणामों को नजरअंदाज कर रहे हैं। यही आग पूरे जंगल में फैल रही है, जिससे हजारों पेड़-पौधे जलकर नष्ट हो रहे हैं। इसके अलावा, भूमाफिया भी जानबूझकर जंगलों में आग लगाने की साजिश कर रहे हैं, ताकि पेड़ों को नष्ट कर भूमि पर अवैध कब्जा किया जा सके।
पारसनाथ मेला समिति और वन विभाग कर रहे प्रयास
आग पर काबू पाने के लिए पारसनाथ मकर संक्रांति मेला समिति, पारसनाथ वन रक्षा समिति और वन विभाग के सदस्य दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। संसाधनों की कमी के बावजूद, दर्जनों कार्यकर्ता अपनी जान जोखिम में डालकर आग बुझाने में लगे हुए हैं। हालांकि, इस आपदा से निपटने के लिए अभी तक प्रशासन या सरकार का कोई ठोस सहयोग नहीं मिला है।
पशु-पक्षी और वनस्पतियों को भारी नुकसान
समिति के अध्यक्ष नरेश महतो ने बताया कि आग लगने से हजारों जीव-जंतु, पक्षी और कीड़े-मकोड़े असमय काल के गाल में समा गए हैं। जंगलों में जले हुए पक्षियों के अंडे और नष्ट हुए पौधों को देखकर स्थानीय लोग बेहद आक्रोशित हैं। उन्होंने बताया कि खपेयबेडा, कोरिया समेत पूरे पीरटांड़ प्रखंड के जंगलों में आग फैल चुकी है और इसे बुझाने का काम जारी है।
पहले भी समिति को मिला था आर्थिक सहयोग, इस बार नहीं
पारसनाथ मेला समिति पिछले कई वर्षों से जंगलों की आग बुझाने का काम कर रही है। दो साल पहले, विधायक सुदिव्य सोनू के प्रयास से समिति को आर्थिक सहयोग मिला था, लेकिन इस साल अब तक कोई सहायता नहीं मिली है।
जरूरी कदम नहीं उठाए गए तो होगा बड़ा नुकसान
गर्मी के इस भीषण दौर में आग बुझाना और भी कठिन हो गया है। स्थानीय लोग सरकार और प्रशासन से अग्निशमन दल की तत्काल तैनाती और संसाधनों की व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं। यदि जल्द उचित कदम नहीं उठाए गए, तो पारसनाथ की अनमोल जैव विविधता हमेशा के लिए नष्ट हो सकती है।