
किसान प्रशिक्षण केंद्र बांसकपुरिया में किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण
डीजे न्यूज, कतरास (धनबाद) : बागवानी, बत्तख पालन, मत्स्य पालन आदि का प्रशिक्षण लेकर इसे जीविकोपार्जन का साधन बनाने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है। ऎसे किसानों को बांसकपुरिया स्थित साक्षी एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड के अंर्तगत किसान प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण दिया जाएगा। किसानों को बिरसा कृषि केंद्र रांची के विशेषज्ञों के द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। केंद्र के लिए बांसकपुरिया में रविवार को भूमि पूजन किया गया। केंद्र में बागवानी, बत्तख पालन, मत्स्य पालन के अलावा बागान फसलें, केंचुआ खाद, मधुमक्खियां पालन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। भूमि पूजन के दौरान विधायक मथुरा प्रसाद महतो, मनोज कुमार महतो, राजगंज कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डा. आरपी मिश्रा, टाटा स्टील के पूर्व अधिकारी वाल्मिकी कुमार, शक्ति कॉलेज के प्राचार्य डा. अरूण कुमार महतो, राकोमयू नेता संजय कुमार सिंह, नयनचांद महतो, नीलकंठ नारायण महतो, जनक लाल, सकरू महतो, प्रतोश कुमार महतो, मोहन महतो, संजय राय, शंकर चौहान, मो. सफ्फु, बसंत महतो, आनंद महतो, बीरू सिंह आदि उपस्थित थे।
कृषि प्रयोगशाला: कृषि प्रयोगशाला में कृषि प्रणाली की दक्षता बढ़ाने के लिए आधुनिक सुविधाएं शामिल होंगी।
कृषि उपकरण बैंक: इसमें समुदाय-आधारित सुविधाएं हैं जो किसानों को साझा या किराये के आधार पर आवश्यक कृषि उपकरण और मशीनरी उपलब्ध कराती हैं। ये उपकरण बैंक छोटे और सीमांत किसानों की मदद करते हैं जो ट्रैक्टर, सीड ड्रिल और थ्रेशर जैसे महंगे उपकरण नहीं खरीद सकते हैं, जिससे वे भारी वित्तीय निवेश के बिना आधुनिक कृषि तकनीक अपना सकें। साझा संसाधन उपयोग को बढ़ावा देकर, टूल बैंक खेती की लागत को कम करते हैं, दक्षता बढ़ाते हैं और उत्पादकता बढ़ाते हैं। वे पर्यावरण अनुकूल उपकरण उपलब्ध कराकर और संसाधनों के अति प्रयोग को कम करके टिकाऊ खेती को भी प्रोत्साहित करते हैं। इसके अतिरिक्त, उपकरण बैंक उपकरण संचालकों और रखरखाव कर्मियों के लिए अवसर पैदा करके ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देते हैं, जिससे अंततः कृषक समुदायों की आजीविका में सुधार होता है।
कृषि के लिए जल- खेत तालाब:
ये तालाब किसानों को शुष्क अवधि के दौरान जल आपूर्ति का प्रबंधन करने, मिट्टी की नमी बनाए रखने में सुधार करने और बाहरी जल स्रोतों पर निर्भरता कम करने में मदद करते हैं। इन तालाबों का उपयोग कृषि हेतु सिंचाई के लिए किया जा सकता है। मृदा अपरदन को रोककर और भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा देकर, कृषि तालाब टिकाऊ कृषि पद्धतियों और जलवायु लचीलेपन में योगदान देते हैं। वे जलीय जीवन और पक्षियों के लिए आवास बनाकर जैव विविधता को भी बढ़ा सकते हैं, जिससे वे कृषि में एकीकृत कृषि का एक आवश्यक घटक बन सकते हैं।