जानिए क्या है मौलिक कर्तव्य जिसका पालन करना सभी नागरिक के लिए अनिवार्य

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डीजे न्यूज, गिरिडीह : उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा ने बताया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 51A में अंकित मौलिक कर्तव्यों का पालन करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।

मौलिक कर्तव्यों की सूची :

संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रीय गान का आदर करें

स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोये रखें और उनका पालन करें।

भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें तथा उसे अक्षुण्ण रखें।

देश की रक्षा करें और आह्वान किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करें।

भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा व प्रदेश या वर्ग आधारित सभी प्रकार के भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हैं।

हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें।

प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्यजीव आते हैं, की रक्षा और संवर्द्धन करें तथा प्राणी मात्र के लिए दया भाव रखें।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।

सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें।

व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें जिससे राष्ट्र प्रगति की और निरंतर बढ़ते हुए उपलब्धि की नई ऊंचाइयों को प्राप्त किया जा सके।

छह से चौदह वर्ष की आयु के बीच के अपने बच्चे बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना।

उपायुक्त ने बताया कि न्यायमूर्ति जे एस वर्मा समिति द्वारा नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों के अनुपालन के संबंध में कुछ सिफारिशें की गई है तथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा SRI RANGANATH MISHRA V/S UNION OF INDIA में उक्त सिफारिशों के कार्यान्वयन हेतु पारित न्यायादेश के द्वारा कतिपय निर्देश दिये गये हैं। इसके आलोक में झारखण्ड सरकार के सभी विभाग मौलिक कर्तव्यों के प्रति नागरिकों में जागरूकता पैदा करने और इनके निर्वहन हेतु पत्र में अंकित दिशा-निर्देशों/बिन्दुओं का सख्ती से लागू किया जाना है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 31.07.2003 को पारित आदेश के अनुपालन करने के लिए W.P. (C) No. 67/2022 (Durga Dutt vs Uol] दायर किया गया है। उक्त के आलोक में सभी कार्यालय प्रधान को निर्देश दिया गया कि झारखण्ड सरकार के सभी विभाग मौलिक कर्तव्यों के प्रति नागरिकों में जागरूकता पैदा करने और इनके निर्वहन हेतु उनसे आग्रह करने के निमित निम्न दिशा निर्देशों को सख्ती से लागू करेंगे

भारत के संविधान में उल्लेखित मौलिक कर्तव्यों के निर्वहन के प्रति नागरिकों के बीच सामान्य जागरूकता फैलाने के लिए अधीनस्थ क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देशित किया गया है तथा उनके माध्यम से इसका व्यापक प्रचार-प्रसार करवाने का निर्देश दिया गया है।

विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, बार संघों, न्यायालयों, झारखण्ड न्यायिक अकादमी और कानूनी सेवा प्राधिकरणों द्वारा आयोजित जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में मौलिक कर्त्तव्यों को सम्मिलित किया जाए।

मौलिक कर्तव्यों को स्कूल स्तर एवं उच्च पाठ्यक्रमों के पाठ्य पुस्तकों में सामाजिक विषय के रूप में सम्मिलित किया जाए।

कंपनियों / कारखानों / उद्योगों को उनकी स्थापना की स्थानीय सीमाओं के अन्दर अपने कर्मचारियों और स्थानीय लोगों में मौलिक कर्तव्यों के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के रूप में करने हेतु निर्देशित किया जाए।

ड्राइविंग लाइसेंस, विभिन्न स्तरों पर राज्य सरकार द्वारा की जाने वाली भर्ती आदि के लिए परीक्षाओं के पाठ्यक्रम में मौलिक कर्तव्यों को भी शामिल करना सुनिश्चित किया जाए।

सभी नागरिक निकाय और पंचायती राज संस्थान अपनी स्थानीय सीमा के अन्दर मौलिक कर्तव्यों के निर्वहन हेतु आमजन में जागरूकता पैदा करने हेतु आवश्यक प्रचार-प्रसार करवाना सुनिश्चित करें।

मौलिक कर्तव्यों को समाचार पत्रों, रेडियो, टीवी, प्री मूदी टेलीकास्ट आदि के माध्यम से प्रदर्शित किया जाय।

सरकार के आधिकारिक संचार माध्यमों, विभागीय वेबसाईटस / पोर्टल, सोशल नेटवर्किंग साइटों, आधिकारिक समाचार पत्र आदि के माध्यम से इस विषयक प्रचार-प्रसार कराया जाय।

राज्य सरकार के सभी अस्पतालों, सरकारी कार्यालयों, न्यायालयों, सार्वजनिक एवं पर्यटन स्थलों, टोल प्लाजा, प्रशिक्षण अकादमी, सेमिनार हॉल और सम्मेलन हॉल इत्यादि में मौलिक कर्तव्य के निर्वहन से संबंधित डिस्पले बोर्ड / साईन बोर्ड का अधिष्ठापन किया जाय।

मौलिक कर्तव्यों के संबंध में जागरूकता पैदा करना सरकारी कार्यक्रमों का एक हिस्सा बनाया जाय।

सरकारी कर्मचारियों के मौलिक कर्तव्यों के मानदंडों का पालन करने की स्वाभाविक इच्छा कर्मचारी के एसीआर में भी प्रदर्शित होनी चाहिए।

यह भी निर्देश दिया गया कि न्यायाधीश जेएस वर्मा समिति द्वारा की गई सिफारिशों तथा सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पूर्ण एवं प्रभावी अनुपालन करना सुनिश्चित किया जाय।

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