
उर्दू के महान हस्तियों और लेखकों की रचनाओं को पढ़ने की जरूरत, उन्हीं में छुपा है उर्दू का असली खजाना
उर्दू अदब के प्रचार-प्रसार के लिए तोपचांची में विचारशील सभा का आयोजन
डीजे न्यूज, धनबाद : झारखंड की जानी-मानी संस्था “अंजुमन तरक्की-ए-उर्दू (झारखंड), गोमो-तोपचांची, जिला धनबाद” के तत्वावधान में उर्दू भाषा व साहित्य के संरक्षण और प्रचार हेतु एक महत्वपूर्ण साहित्यिक बैठक का आयोजन रविवार को मिल्लत पब्लिक स्कूल, मिल्लतनगर, भुइयाँ चितरो तोपचांची
में किया गया। इस सभा में शिक्षा, साहित्य, धर्म और लेखन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण हस्तियों ने भाग लेकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
कार्यक्रम की सदारत प्रसिद्ध आलिम-ए-दीन हज़रत मौलाना नसीम अख्तर ने की और निजामत की जिम्मेदारी बहुत खूबसूरती से जनाब अजफर धनबादी ने निभाई।
सभा की शुरुआत हाफिज व कारी मौलाना इस्लामुल हक नदवी की भावपूर्ण तिलावत-ए-क़ुरआन से हुई, जिसके बाद नात-ए-पाक (ईश-प्रेम गीत) की सुंदर प्रस्तुतियाँ हुईं। ये प्रस्तुतियाँ अजफर धनबादी, मौलाना इस्लामुल हक और सद्दाम दिल द्वारा की गईं, जिन्हें उपस्थित जनों ने गहरी श्रद्धा से सुना।
इसके पश्चात डॉ. शमीम अहमद ने स्वागत भाषण देते हुए सभी मेहमानों, शिक्षकों, शायरों और उर्दू-प्रेमियों का दिल से स्वागत किया और अंजुमन के उद्देश्यों तथा उर्दू भाषा की वर्तमान स्थिति पर सारगर्भित बातें साझा कीं।
सभा में अंजुमन तरक्की-ए-उर्दू, जिला धनबाद के उपसचिव प्रो. मोहम्मद सिकंदर ल ने अंजुमन के इतिहास और उर्दू की शैक्षिक और सांस्कृतिक सेवाओं पर प्रकाश डाला। उनकी व्याख्या ने लोगों को उर्दू साहित्य की गहराई और गरिमा से अवगत कराया।
प्रसिद्ध लेखक और उर्दू-खोरठा के उपन्यासकार जनाब इम्तियाज गदर (उपाध्यक्ष, अंजुमन तरक्की-ए-उर्दू, जिला धनबाद) ने उर्दू को नई पीढ़ी से जोड़ने के लिए कई व्यावहारिक सुझाव रखे और साहित्य को आधुनिक तरीक़ों से युवाओं के बच पहुँचाने की जरूरत बताई। मौलाना इस्लामुल हक नदवी ने उर्दू से जुड़ी महान हस्तियों और लेखकों की रचनाओं को पढ़ने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि उर्दू का असली खजाना उन्हीं में छुपा है।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में, मिल्लत पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल मौलाना इफ्तेखारुल हसन ने बहुत ही शालीनता के साथ आभार प्रदर्शन करते हुए सभी मेहमानों, श्रोताओं और आयोजन समिति का धन्यवाद किया।
अंत में, सभा के अध्यक्ष हजरत मौलाना नसीम अख्तर ने बेहद असरदार दुआओं के साथ इस अदबी बैठक की समाप्ति की घोषणा की।
यह बैठक इस बात का प्रमाण बनी कि अगर दिल में लगन हो और मकसद साफ हो तो उर्दू जैसी शिष्ट भाषा को नई पीढ़ी में फिर से जीवंत किया जा सकता है।
अंजुमन तरक्की-ए-उर्दू की यह कोशिश निश्चित रूप से उर्दू के विकास और संरक्षण की दिशा में एक मजबूत कदम है।