तीन महीने बाद भी नाइजर में अपहृत गिरिडीह के प्रवासी मजदूरों का नहीं मिला सुराग

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तीन महीने बाद भी नाइजर में अपहृत गिरिडीह के प्रवासी मजदूरों का नहीं मिला सुराग

परिजन चिंतित, प्रवासी हित संगठन ने केंद्र सरकार से की रिहाई की मांग

डीजे न्यूज, गिरिडीह : पश्चिमी अफ्रीकी देश नाइजर में बीते तीन महीने पहले हुए एक हिंसक हमले के बाद अपहृत हुए गिरिडीह जिले के पांच प्रवासी मजदूरों का अब तक कोई सुराग नहीं मिल सका है। 25 अप्रैल को कल्पतरु ट्रांसमिशन कंपनी के कैंप पर हुए सशस्त्र हमले के दौरान 12 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी और इसके बाद अपराधियों ने झारखंड के गिरिडीह जिले के बगोदर थाना क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले पांच मजदूरों का अपहरण कर लिया था।

अपहृत मजदूरों की पहचान

अपहृत मजदूरों में संजय महतो, चंद्रिका महतो, राजू महतो, फलजीत महतो (सभी दोंदलो पंचायत) और उत्तम महतो (मुंडरो) शामिल हैं। घटना के बाद से ही परिजनों में भारी चिंता और बेचैनी है, लेकिन अब तक भारत सरकार या कंपनी की ओर से कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है।

15 जुलाई को फिर हुई हिंसा, सात की हत्या

इसी बीच, 15 जुलाई को नाइजर में ही ट्रांसरेल लाइटिंग लिमिटेड कंपनी में कार्यरत झारखंड के गणेश करमाली (तिलैया पंचायत, गोमिया, बोकारो) और यूपी के कृष्णा गुप्ता समेत सात सुरक्षाकर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। जबकि रंजीत सिंह (रामबन, जम्मू-कश्मीर) को अगवा कर लिया गया।

प्रवासी संगठन ने जताई चिंता

प्रवासी मजदूरों के अधिकारों के लिए काम कर रहे सिकन्दर अली ने भारत सरकार से मांग की है कि अपहृत मजदूरों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित की जाए और मृत सुरक्षाकर्मियों के पार्थिव शरीर को जल्द से जल्द उचित मुआवजे के साथ भारत लाकर अंतिम संस्कार की व्यवस्था की जाए।

परिजनों की बढ़ी चिंता

तीन माह बीत जाने के बाद भी जब कोई स्पष्ट सूचना नहीं मिल रही है, तो परिजनों की चिंताएं अब आक्रोश में बदलने लगी हैं। उनका कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द इस मामले में ठोस कार्रवाई करनी चाहिए ताकि मजदूरों की जान बचाई जा सके और उनके परिजनों को राहत मिल सके।

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