स्तनपान कराएं, कुपोषण भगाएं: डॉ नेहा प्रियदर्शिनी 

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स्तनपान कराएं, कुपोषण भगाएं: डॉ नेहा प्रियदर्शिनी

डीजे न्यूज, कतरास, धनबाद:

धनबाद सोसाइटी ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी के तत्वावधान में श्री कृष्णा मातृ सदन, रानी बाजार कतरास में मंगलवार को स्तनपान जागरूकता सप्ताह मनाया गया।

इस जागरूकता शिविर का मुख्य उद्देश्य माताओं, मरीजों एवं नर्सिंग स्टाफ को स्तनपान के महत्त्व, लाभ एवं सही तरीकों की जानकारी देना था, ताकि मां और शिशु दोनों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सके।

मुख्य आकर्षण

डॉ. शिवानी झा ने स्तनपान की शीघ्र शुरुआत, नवजात की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और मां के स्वास्थ्य पर इसके सकारात्मक प्रभावों की जानकारी देते हुए कहा कि मां के दूध में  शिशु के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व, कैलोरी और तरल पदार्थ होते हैं। यह आपके बच्चे के लिए पचाने में सबसे आसान होता है और शिशु के मस्तिष्क के विकास को बढ़ावा देता है। बच्चे को गर्भ में प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाले स्वस्थ एंटीबॉडी स्तनपान के माध्यम से मिलते रहता है। सच्चाई यह है कि मां का दूध बच्चे के लिए सर्वोपरि है, क्योंकि मां के दूध से न केवल बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक क्षमता का विकास होता है, बल्कि उन्हें भरपूर पोषण भी मिलता है। मां का दूध शिशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए भी एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है।

डॉ. नेहा प्रियदर्शिनी  स्तनपान से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करते हुए बताया कि परिवार के सहयोग से मां को स्तनपान में मदद मिलती है। उन्होंने गर्भवती महिलाओं को समय रहते सही जानकारी लेने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि तीसरे दिन दूध नहीं आता मां को, जबकि कोलोस्ट्रम, जो जन्म के बाद पहले कुछ दिनों में आता है, शिशु के लिए बहुत पौष्टिक होता है और उसे संक्रमण से बचाता है।  कुछ लोगों का कहना है मां का दूध पर्याप्त नहीं होता बच्चों के लिए, जबकि मां का दूध बच्चे के लिए पर्याप्त पोषण प्रदान करता है, खासकर पहले 6 महीनों में। कुछ लोग कहते है सिजेरियन डिलीवरी के बाद मां दूध नहीं पिला सकती जबकि  सिजेरियन डिलीवरी के बाद भी मां सफलतापूर्वक स्तनपान करा सकती है। कुछ लोगो का कहना है कि बीमार मां बच्चे को दूध नहीं पिला सकती जबकि मां की अधिकांश बीमारियां स्तनपान को प्रभावित नहीं करती हैं। यदि माँ बीमार है, तो उसे डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए ना कि दूध पिलाना बंद कर दें।

पोषण विशेषज्ञ मनीषा मीनू ने स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए आवश्यक पोषण, संतुलित आहार और दूध की आपूर्ति बढ़ाने के घरेलू उपायों पर उपयोगी सुझाव देते हुए कहा कि पालक, मेथी, सरसों का साग और ब्रोकली जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां आयरन, कैल्शियम, फोलेट और विटामिन ए से भरपूर होती हैं। ये सब्जियां नई मां के शरीर को पोषण प्रदान करती हैं और ब्रेस्ट मिल्क की मात्रा को बढ़ाने में मदद करती हैं, इनमें मौजूद फाइटोएस्ट्रोजन दूध के उत्पादन को प्रोत्साहित करते हैं। मां के दूध में विटामिन बी12, राइबोफ्लेविन (विटामिन बी2) और नियासिन (विटामिन बी3) प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो भोजन को ऊर्जा में बदलने में मदद करते हैं। विटामिन बी12 लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के सामान्य कामकाज के लिए भी आवश्यक है।

कार्यक्रम का मुख्य संदेश 

स्तनपान सिर्फ मां की नहीं, हम सबकी जिम्मेदारी है। यह आयोजन मातृत्व को सहयोग देने की दिशा में एक सार्थक कदम रहा।

सफल बनाने में श्रीकृष्णा मातृ सदन के नर्स गीता देवी, सुनीता देवी, सुमन गोस्वामी, सोनी देवी, पायल कुमारी, मधु कुमारी, पुनीता देवी, डोली कुमारी एवं  सभी स्टाफ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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