सीएम से मिला संताल समाज का प्रतिनिधिमंडल, मरांग बुरू बचाओ से संबंधित मांगपत्र सौंपा 

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सीएम से मिला संताल समाज का प्रतिनिधिमंडल, मरांग बुरू बचाओ से संबंधित मांगपत्र सौंपा

डीजे न्यूज, धनबाद:

संताल समाज का प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनके कांके स्थित आवासीय कार्यालय में मुलाकात किया।

संताल समाज दिशोम माँझी परगना एवं मरांग बुरु संस्थान गिरिडीह के केंद्रीय अध्यक्ष फागु बेसरा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने मरांग बुरू बचाओ से संबंधित ज्ञापन सीएम को सौंपा।

ये है मांग

मरांग बुरू (पारसनाथ पर्वत) पीरटांड, गिरिडीह (झारखण्ड) प्राचीन काल से संथाल समुदाय मरांग बुरू को ईश्वर के रूप में पूजा करते आ रहें हैं। छोटानगपुर काश्तकारी अधिनियम 1908, सर्वे भूमि अधिकार अभिलेख, कमीश्नरी कोर्ट, पटना हाई कोर्ट एवं प्रीवी काउंसिल कोर्ट से संथाल आदिवासियों को प्रथागत अधिकार प्राप्त है। मरांग बुरू (पारसनाथ पर्वत) को संथालों का धार्मिक तीर्थ स्थल घोषित किया जाए।

भूमि एवं धार्मिक स्थल संविधान के अनुसार राज्यों का विषय है। आदिवासियों के धार्मिक स्थल मरांग बुरू, लुगू बुरू, अतु/ग्राम, जाहेर थान (सरना), माँझी थान, मसना, हड़गडी आदि धार्मिक स्थल की रक्षा के लिए आदिवासी धार्मिक स्थल संरक्षण अधिनियम बनाया जाए।

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय संशोधन मेमोरंडम पत्र F.No 11-584/2014-WL 05 जनवरी 2023 एवं झारखण्ड सरकार पर्यटन, कला, संस्कृति विभाग के पत्रांक 1391,  22 अक्टूबर 2016 एवं विभागीय पत्रांक 14/2010-1995,  21 दिसंबर 2022 का दिशा-निर्देश जिसमें मॉस-मदिरा के सेवन एवं खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है। मरांग बुरु (पारसनाथ पहाड़) को सिर्फ जैन समुदाय का सम्मेद शिखर विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल का उल्लेख किया गया है। जो जैन समुदाय के पक्ष में एक तरफा एवं असंवैधानिक आदेश है। इसे रद्द किया जाए।

मरांग बुरू (पारसनाथ पर्वत) संथालों आदिवासियों के धार्मिक तीर्थ स्थल को सुप्रीम कोर्ट केस संख्या 180/2011 एवं अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के धारा 3 के तहत सामूहिक वन भूमि अधिकार के तहत संरक्षण, प्रबंधन, निगरानी, नियंत्रण एवं अनुश्रवण की जिम्मेवारी वहाँ के आदिवासियों के ग्राम सभा को सौपा जाए।

अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 सम्पूर्ण देश में लागू है। परन्तु बिना ग्राम सभा के सहमति से भारत सरकार पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिसूचना संख्या 2795 (अ) 02 अगस्त 2019 के तहत मरांग बुरू (पारसनाथ पर्वत) को पारिस्थितिकी संवेदी जोन  घोषित किया गया है, जो असंवैधानिक है।

केन्द्र एवं राज्य सरकार इसे रद करते हुए मरांग बुरू (पारसनाथ पर्वत) पर संथाल आदिवासियों के प्रथागत अधिकार को संरक्षित किया जाए।

मरांग बुरू युग जाहेर, बाहा-बोंगा पूजा महोत्सव फागुन शुल्क पक्ष तृतीय तिथि को राजकीय महोत्सव घोषित किया जाए।

मरांग बुरू (पारसनाथ पर्वत) में जैन समुदाय के द्वारा वन भूमि पर अवैध ढंग से मठ-मंदिर, धर्मशाला आदि निर्माण किया गया है। अवैध ढंग से निर्माण को अतिक्रमण से मुक्त किया जाए।

51 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में फागू बेसरा, पूर्व सांसद रामचंद्र हंसदा, प्रसिद्ध लेखक भोगला सोरेन,  रामलाल मुर्मू, रमेश टुडू, रतिलाल टूडू,  सोनाराम माँझी, एतो वास्के, रामकिशोर मुर्मू, अनिल सोरेन, सुरेन्द्र टुडू, सोमाय टुडू, पन्नालाल मुर्मू, सिकेन्दर हेम्ब्रोम आदि शामिल थे।

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