राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कार्यशाला

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कार्यशाला
डीजे न्यूज, जामताड़ा :
सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए शुक्रवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर डॉ. राजीव कुमार के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने कार्यशाला को एनईपी के सुचारू क्रियान्वयन की दिशा में एक निर्णायक कदम बताया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का लक्ष्य शिक्षा को समावेशी, बहु-विषयी और कौशल उन्मुख बनाना है, जिसे कॉलेज स्तर तक प्रभावी ढंग से पहुँचाना आवश्यक है। डॉ. जयेन्द्र यादव, डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर, ने यूजी नामांकन प्रक्रिया से संबंधित कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश प्रस्तुत किए। उन्होंने नामांकन में पारदर्शिता बनाए रखने, छात्रों के साथ समुचित व्यवहार करने, दस्तावेज सत्यापन के दौरान सतर्कता बरतने एवं पंजीकरण प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाने की सलाह दी। उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसका कॉलेज स्तर पर विशेष ध्यान रखा जाए।
कुलपति प्रो. कुनुल कंदीर ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को पूरी गंभीरता और प्रतिबद्धता के साथ लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एनईपी केवल पाठ्यक्रम बदलाव नहीं है, बल्कि यह शिक्षण और अधिगम की एक व्यापक संस्कृति परिवर्तन है। उन्होंने सभी कॉलेजों के नोडल अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे अपने-अपने महाविद्यालयों में भी इसी प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन करें ताकि शिक्षकों और छात्रों को नई प्रणाली की समुचित जानकारी मिल सके।
कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के एनईपी नोडल अधिकारी दीपक कुमार दास ने पावर प्वाइंट प्रस्तुति के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति की संशोधित रूपरेखा की विस्तृत जानकारी प्रतिभागियों को दी। उन्होंने बताया कि हाल ही में उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा एनईपी नियमावली में कुछ महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं, जिन्हें शैक्षणिक सत्र 2025–29 से प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि मेजर कोर्स के एक पेपर में अब “भारतीय ज्ञान परंपरा” को समाहित किया गया है, जिसका उद्देश्य छात्रों को भारत की सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं और मूल विचारधाराओं से परिचित कराना है। इसके अतिरिक्त, जिन विषयों में प्रयोगात्मक कार्य होता है, उन सभी मेजर कोर्स में अब 25 अंकों का प्रायोगिक मूल्यांकन अनिवार्य रूप से जोड़ा गया है, जिससे छात्रों की व्यावहारिक दक्षता में वृद्धि हो सके। उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व प्रचलित ‘माइनर विषय’ की अवधारणा को हटाकर अब ‘एसोसिएटेड कोर’ और ‘इलेक्टिव’ विषयों की नई व्यवस्था लागू की जा रही है, जो छात्रों को अपनी रुचि के अनुसार विषय चयन की अधिक स्वतंत्रता प्रदान करती है। साथ ही, स्किल एन्हांसमेंट कोर्स के अंतर्गत अब कंप्यूटर आधारित विषयों को शामिल किया गया है, जिससे छात्र तकनीकी रूप से दक्ष बन सकें और आधुनिक औद्योगिक आवश्यकताओं के अनुरूप स्वयं को तैयार कर सकें। अंत में उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह संशोधित नियमावली केवल उन्हीं छात्रों पर लागू होगी जो सत्र 2025–29 में नामांकित होंगे, जबकि इससे पूर्व नामांकित विद्यार्थियों की पढ़ाई पूर्ववर्ती पाठ्यक्रम एवं संरचना के अनुरूप ही संचालित की जाएगी।
कार्यशाला के अंतिम सत्र में विभिन्न महाविद्यालयों से आए नोडल अधिकारियों के साथ खुला प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया, जहाँ उन्होंने कार्यान्वयन से संबंधित शंकाएं और सुझाव प्रस्तुत किए। इन सभी प्रश्नों का संतोषजनक समाधान विश्वविद्यालय की टीम द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का समापन विश्वविद्यालय की सहायक डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर डॉ. पूनम हेम्ब्रम के औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को उनके सक्रिय सहयोग और सकारात्मक सहभागिता के लिए धन्यवाद दिया। कार्यक्रम की सफलता में एनईपी टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. इन्द्रजीत कुमार, सहायक मजोज, पंकज तथा अन्य सहयोगियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिन्होंने आयोजन की समस्त व्यवस्थाएं सुचारू रूप से संचालित कीं।

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