
कुवैत में एक महीने से अटका है रामेश्वर महतो का शव, परिवार अंतिम दर्शन को तरस रहा
डीजे न्यूज, गिरिडीह : देश-विदेश में मेहनत-मजदूरी कर रहे प्रवासी मजदूरों को न केवल काम के दौरान कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, बल्कि उनकी मौत के बाद भी परिजनों को शव तक लाने में भारी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसा ही एक मामला झारखंड के हजारीबाग जिले से सामने आया है, जहां कुवैत में जान गंवाने वाले मजदूर रामेश्वर महतो का शव एक महीने बीतने के बाद भी भारत नहीं लाया जा सका है।
हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र अंतर्गत जोबार पंचायत के बंदखारो गांव निवासी रामेश्वर महतो की 15 जून को कुवैत में मौत हो गई थी। लेकिन एक महीना बीत जाने के बाद भी न तो उनका शव भारत लाया जा सका है और न ही परिजनों को कंपनी की ओर से मिलने वाली सहायता राशि या मुआवजे का कोई स्पष्ट आश्वासन मिला है।
रामेश्वर महतो के परिजन हर दिन अंतिम दर्शन की आस में टकटकी लगाए बैठे हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है। इस कारण परिवार गहरे सदमे और मानसिक पीड़ा में है।
प्रवासी मजदूरों के हित में कार्यरत समाजसेवी सिकन्दर अली लगातार इस मामले में संबंधित अधिकारियों और संस्थानों से संपर्क में हैं। उन्होंने बताया कि गिरिडीह, बोकारो और हजारीबाग जैसे जिलों से बड़ी संख्या में लोग देश-विदेश में मजदूरी के लिए जाते हैं, लेकिन घटना होने पर मुआवजे और शव वापसी की प्रक्रिया बेहद जटिल हो जाती है।
उन्होंने कहा, “ऐसे मामलों में सरकार को ठोस और त्वरित कदम उठाने चाहिए ताकि मृतक के परिजनों को समय पर न्याय, सम्मानजनक विदाई और आर्थिक सहायता मिल सके।”
समाप्ति: इस घटना ने एक बार फिर प्रवासी मजदूरों की अनदेखी समस्याओं को उजागर किया है। शव को स्वदेश लाने की प्रक्रिया में देरी न केवल परिजनों के लिए भावनात्मक पीड़ा का कारण बनती है, बल्कि यह मानवता पर भी सवाल खड़े करती है। सरकार और संबंधित एजेंसियों को ऐसी घटनाओं पर गंभीरता से विचार कर ठोस नीति बनाने की आवश्यकता है।