
कोल्हान में 1833 में स्थापित की गई थी “मानकी मुंडा स्वशासन प्रणाली”
चाइबासा के हिरनी फॉल गेस्ट हाउस में “पेसा एक्ट 1996” पर जागरूकता अभियान, पेसा एक्ट 1996 के सभी 23 प्रावधानों को लागू करने की मांग
डीजे न्यूज, चाईबासा : पोड़ाहाट प्रमंडल के डोम्बारी गांव स्थित हिरनी फॉल गेस्ट हाउस में एक महत्वपूर्ण जागरूकता अभियान आयोजित किया गया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य “पेसा एक्ट 1996” के बारे में स्थानीय लोगों को जानकारी देना था। चैनपुर पीढ़ के मानकी कृष्णा सामद मांझी की अध्यक्षता में आयोजित इस अभियान में आसपास के गांवों के मानकी मुंडाओं ने भाग लिया। कृष्णा सामद मांझी ने “विलिंसन्स रूल्स 1833” का उल्लेख करते हुए कहा कि इसी समय से कोल्हान में “मानकी मुंडा स्वशासन प्रणाली” स्थापित की गई थी। उन्होंने इस प्रणाली को जारी रखने पर जोर दिया, ताकि पारंपरिक रूढ़ि व्यवस्था के माध्यम से प्रशासन, न्याय, संपत्ति विवाद और राजस्व संग्रह जैसे मामलों में लोगों को आसानी से और कम खर्च में न्याय मिल सके। कृष्णा सामद मांझी ने सरकार से पेसा एक्ट 1996 के सभी 23 प्रावधानों को लागू करने की मांग की, ताकि आदिवासी संस्कृति और कस्टमरी लॉ का संरक्षण हो सके। समाजसेवी नसीम चंपिया ने पारंपरिक ग्राम सभा की शक्तियों और खनिज संपदा, भूमि अधिग्रहण और वनोत्पाद के संरक्षण में उनकी भूमिका पर विस्तार से चर्चा की। डॉ. रीना गोडसोरा ने पेसा एक्ट 1996 को “संविधान के अंदर एक संविधान” बताते हुए कहा कि 1992 में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वशासन की बात उठी थी. जिसके बाद संविधान में 73वां संशोधन किया गया। उन्होंने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था उपयुक्त नहीं थी जिसके कारण पेसा एक्ट 1996 लागू किया गया। उन्होंने सरकार से इस एक्ट को पूरी तरह से लागू करने का आह्वान किया, ताकि आदिवासियों की समस्याओं का समाधान हो सके और झारखंड विकसित भारत के साथ कदम मिला सके। बैठक में जयपाल सिंह बोदरा, प्रभु सहाय मुंडू, ताबा मुंडू, सामू मुंडू, जगदीश बोदरा, बंधन मुंडा, नारायण सिंह पूर्ति, जोहान चंपिया, सुखराम मुंडारी और लगभग 30 गांव के मुंडा, मानकी और डाकुआ शामिल थे।