कन्हाई चटर्जी, अमूल्य सेन और प्रशांत बोस के संपर्क में आकर नक्सली बना था प्रयाग मांझी

Advertisements

कन्हाई चटर्जी, अमूल्य सेन और प्रशांत बोस के संपर्क में आकर नक्सली बना था प्रयाग मांझी

जियतराम की हत्या के बाद 1980 में घर छोड़ा और फिर लौटकर नहीं आया, टुंडी के नावाटांड़ से निकलकर बना भाकपा माओवादी का केंद्रीय कमेटी सदस्य, एक करोड़ का सरकार ने घोषित किया था इनामी

संजीत तिवारी, डीजे न्यूज, टुंडी, (धनबाद) : बोकारो के लुगु पहाड़ में पुलिस मुठभेड़ में एक करोड़ रूपये का इनामी विवेक उर्फ प्रयाग मांझी समेत आठ बड़े नक्सली मारे गए हैं। प्रयाग मांझी धनबाद जिले के टुंडी प्रखंड के पश्चिमी टुंडी के नावाटांड़ के दलूबेड़ा का रहने वाला था। होटवार जेल में बंद भाकपा माओवादी पोलित ब्यूरो के सदस्य प्रशांत बोस के साथ-साथ कन्हाई चटर्जी, अमूल्य सेन जैसे बड़े नक्सलियों के संपर्क में आकर प्रयाग मांझी नक्सली बना था। ये सभी नक्सली सत्तर के दशक में टुंडी में माओवाद फैला रहे थे। उस दौर में नावाटांड़ के ही रावण मांझी जो भक्ति दा के नाम से भी जाने जाते थे के माध्यम से टुंडी और पीरटांड़ में नक्सली पांव पसार रहे थे। प्रयाग मांझी समेत कई नक्सलियों ने 1980 में उस वक्त के महाजन जियतराम को बम से उड़ा दिया था। इस हमले में जीयतराम का पुत्र परमेश्वर राम भी घायल हुआ था। जियतराम की हत्या के बाद प्रयाग मांझी ने घर छोड़ दिया था। इसके साथ ही वह पूर्णाकालिक नक्सली बन गया। बताया जाता है कि प्रयाग मांझी इसके बाद फिर कभी घर नहीं लौटा। गांव के लोगों को प्रयाग मांझी का चेहरा तक याद नहीं है। भाकपा माओवादी में वह लगातार आगे बढ़ता गया। भाकपा माओवादी की सर्वोच्च कमेटी सेंट्रल कमेटी का वह सदस्य बन गया। झारखंड सरकार ने उसे एक करेाड़ का इनामी भी घोषित कर दिया। अंतत: वह सोमवार को पुलिस की गोली का शिकार बन गया।

Social media & sharing icons powered by UltimatelySocial
Scroll to Top