
झारखंड में संवैधानिक संस्थाओं का सिस्टम ठप, जनता के अधिकारों पर संकट
डीजे न्यूज, रांची: झारखंड में संवैधानिक संस्थाओं की निष्क्रियता आम जनता के मौलिक और संवैधानिक अधिकारों पर कुठाराघात कर रही है। यह देश का पहला राज्य बन चुका है, जहां सूचना आयोग, महिला आयोग, बाल संरक्षण आयोग, लोकायुक्त और मानवाधिकार आयोग जैसी महत्वपूर्ण संस्थाएं वर्षों से ठप पड़ी हैं। इन संस्थाओं का मुख्य उद्देश्य जनता को त्वरित न्याय दिलाना, प्रशासन में पारदर्शिता बनाए रखना और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण रखना होता है, लेकिन इनके निष्क्रिय रहने से झारखंड की जनता अपने हक से वंचित हो रही है।
संस्थाओं की निष्क्रियता से जनता को हो रहा नुकसान
सूचना आयोग बंद: RTI आवेदनों की सुनवाई नहीं हो रही, जिससे सरकारी तंत्र में पारदर्शिता खत्म हो रही है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।
लोकायुक्त अनुपस्थित: प्रशासनिक भ्रष्टाचार पर कोई निगरानी नहीं है, जिससे अधिकारियों की जवाबदेही खत्म हो गई है।
महिला आयोग निष्क्रिय: महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं, लेकिन पीड़िताओं को त्वरित न्याय नहीं मिल रहा।
मानवाधिकार आयोग ठप: पुलिस बर्बरता, श्रमिकों के अधिकारों और आदिवासी उत्पीड़न जैसे मामलों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही।
सरकार और विपक्ष की खींचतान में जनता परेशान
संवैधानिक संस्थाओं में नियुक्तियों को लेकर झारखंड हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई निर्देश दिए जा चुके हैं, लेकिन सरकार और विपक्ष की खींचतान के कारण कोई ठोस निर्णय नहीं हो पा रहा।
इन नियुक्तियों में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका अहम होती है, लेकिन बीते कार्यकाल में विपक्षी दलों के आपसी मतभेद के कारण झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का चुनाव नहीं हो सका। चुनाव के बाद तीन महीने बीतने के बावजूद विपक्ष अपने नेता का चयन नहीं कर पाया है, जिससे संवैधानिक संस्थाएं मृत अवस्था में पड़ी हुई हैं।
24 फरवरी से पहले हल निकलेगा या फिर जारी रहेगा गतिरोध?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 24 फरवरी 2025 को शुरू होने वाले विधानसभा सत्र से पहले विपक्ष अपना नेता तय कर पाता है या नहीं। यदि ऐसा नहीं हुआ तो विधानसभा की कार्यवाही पिछली बार की तरह बिना नेता प्रतिपक्ष के ही चलेगी, और जनता को न्याय दिलाने वाली ये संस्थाएं अब भी निष्क्रिय बनी रहेंगी।
जनता के मुद्दों पर गंभीरता जरूरी
चुनाव के समय लोक-लुभावन वादे करने वाले राजनीतिक दल चुनाव के बाद जनता की समस्याओं पर ध्यान नहीं देते। झारखंड को विकास की राह पर लाने, जनता को मौलिक सुविधाएं उपलब्ध कराने और इसे समृद्ध राज्य बनाने के लिए सभी दलों को आपसी मतभेद भुलाकर प्रदेश हित में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। अन्यथा, जनता यूं ही अपने अधिकारों से वंचित बनी रहेगी और सरकारें सिर्फ बहाने बनाती रहेंगी।