झारखंड में ओबीसी कार्ड खेलने की तैयारी में भाजपा 

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झारखंड में ओबीसी कार्ड खेलने की तैयारी में भाजपा 

एक बार फिर किसी पिछड़े वर्ग के नेता को मिलेगी प्रदेश अध्‍यक्ष की कुर्सी, रघुवर दास, आदित्‍य साहू और सांसद मनीष जायसवाल हैं रेस में 

दिलीप सिन्‍हा, धनबाद : विधानसभा चुनाव में मिली हार से उबरने के लिए भाजपा झारखंड में ओबीसी कार्ड खेलने की तैयारी कर रही है। इसी रणनीति के तहत भाजपा एक बार फिर प्रदेश अध्‍यक्ष की कुर्सी पर किसी ओबीसी नेता को बैठा सकती है। ओबीसी को अब तक सिर्फ दो बार यह मौका मिला है। दोनों ही बार यह मौका रघुवर दास को मिला है। संयोगवश रघुवर दास को दोनों ही बार मौका अल्पकाल के लिए मिला है। इस बार जो भी ओबीसी से अध्यक्ष बनेगा, उसे पूरा कार्यकाल मिलेगा।

बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास और लक्ष्मण गुलिया की बात छोड़ दें तो झारखंड प्रदेश भाजपा अध्‍यक्ष की कुर्सी पर अब तक सवर्ण ही बैठते रहे हैं। इनमें अभयकांत प्रसाद, यदुनंदन पांडेय, डॉ रविंद्र कुमार राय, पशुपतिनाथ सिंह, डॉ दिनेशानंद गोस्वामी एवं दीपक प्रकाश शामिल हैं। झारखंड अलग राज्य बनने के पूर्व आदिवासी समुदाय से प्रो दुखा भगत प्रदेश कमिटी के अध्यक्ष थे।

प्रदेश अध्‍यक्ष के लिए ओबीसी से राज्‍य के पूर्व मुख्‍यमंत्री रघुवर दास का नाम अभी सबसे आगे चल रहा है। रघुवर दास ओडिशा के राज्‍यपाल के पद से इस्‍तीफा देकर भाजपा में सक्रिय हुए हैं।

रघुवर दास के अलावा राज्‍यसभा सदस्‍य व प्रदेश महामंत्री आदित्‍य साहू और हजारीबाग के सांसद मनीष जायसवाल का भी नाम ओबीसी कोटे से चल रहा है। दोनों दिल्‍ली में अलग-अलग गृह मंत्री अमित शाह से मिल चुके हैं।

पूर्व मुख्‍यमंत्री बाबूलाल मरांडी के विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद स्‍पष्‍ट हो गया है कि प्रदेश अध्‍यक्ष के पद पर किसी आदिवासी नेता की नियुक्‍ति नहीं होगी। इस कारण, पूर्व मुख्‍यमंत्री अर्जुन मुंडा रेस में पीछे छूट गए हैं। कार्यकारी प्रदेश अध्‍यक्ष डॉ रविंद्र राय को प्रमोट कर प्रदेश अध्‍यक्ष बनाने की संभावना भी खत्‍म हो गई है। कारण बाबूलाल और रविंद्र राय दोनों एक ही विधानसभा क्षेत्र राजधनवार के हैं। ऐसे में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्‍यक्ष दोनों एक ही क्षेत्र के कैसे हो सकते हैं।

भाजपा यूं ही ओबीसी को नहीं देना चाह रही प्रदेश अध्‍यक्ष की कुर्सी

भाजपा ओबीसी को प्रदेश अध्‍यक्ष की कुर्सी यूं ही नहीं देना चाह रही है। विधानसभा चुनाव में यदि कुर्मी समुदाय को छोड़ दिया जाए तो ओबीसी ने खुलकर भाजपा के पक्ष में मतदान किया। सच्‍चाई यह है कि ओबीसी वोटरों ने ही राज्‍य में भाजपा की इज्‍जत बचाई है। आदिवासी वोटरों को भाजपा रिझा नहीं सकी। आदिवासी वोटर खुलकर पूरे राज्‍य में झामुमो और उसके सहयोगियों के साथ रहे। बावजूद भाजपा ने आदिवासी समुदाय के बीच बने रहने के लिए विधायक दल का नेता पद आदिवासी समुदाय के खाते में दिया। सवर्ण वोटर भी इस बार भाजपा से बिदका रहा। इसका सबूत है कि बोकारो, देवघर, सारठ, भवनाथपुर जैसे विधानसभा क्षेत्रों में सवर्ण वोटर भाजपा और झामुमो गठबंधन के बीच बंट गए। ऐसे में भाजपा इस बार प्रदेश अध्‍यक्ष पद पर ओबीसी नेता को बैठाने का मन बना चुकी है। प्रदेश अध्‍यक्ष की दौड़ में सवर्ण कोटे से डॉ रविंद्र कुमार राय के अलावा पूर्व विधायक अनंत ओझा भी दावेदार हैं।

विधायक दल का नेता और प्रदेश अध्‍यक्ष दोनों का कद्दावर होना जरूरी 

सूत्रों के अनुसार पार्टी यह मान रही है कि राज्‍य में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए विधायक दल का नेता और प्रदेश अध्‍यक्ष दोनों का कद्दावर होना जरूरी है। बाबूलाल का कद बहुत बड़ा है। ऐसे में उनके समकक्ष कद का प्रदेश अध्‍यक्ष होना जरूरी है। राज्‍यसभा सदस्‍य आदित्‍य साहू या सांसद मनीष जायसवाल इस पर खरा नहीं उतरेंगे। रघुवर दास की आक्रामक शैली कारगर साबित हो सकती है। वहीं भाजपा के कुछ नेताओं का मानना है कि बाबूलाल और रघुवर के बीच समन्‍वय पार्टी के लिए चुनौती होगी। दूसरी ओर पार्टी के कई नेताओं का कहना है कि भाजपा क्‍या निर्णय लेगी, यह कोई नहीं जानता है। जब मुख्‍यमंत्री नए चेहरे को बनाया जा रहा है तो प्रदेश अध्‍यक्ष में भी कोई चौंकाने वाला निर्णय लिया जा सकता है।

झारखण्ड प्रदेश भाजपा अध्यक्षों की सूची

प्रो. दुखा भगत

अभयकांत प्रसाद

रघुवर दास

डॉ. यदुनाथ पांडेय

पशुपतिनाथ सिंह

 रघुवर दास

डॉ. दिनेशानंद गोस्वामी

डॉ. रविन्द्र कुमार राय

 लक्ष्मण गिलुवा

 दीपक प्रकाश

 बाबूलाल मरांडी

इस तरह हो रहा भाजपा का सांगठनिक चुनाव 

बूथ स्‍तर पर चुनाव कराने के बाद मंडल अध्‍यक्षों का चुनाव होगा। इसके बाद मंडल अध्‍यक्ष जिलाध्‍यक्ष का चुनाव करेंगे। जिलाध्‍यक्ष प्रदेश अध्‍यक्ष का चुनाव करेंगे। बूथ अध्‍यक्षों का चुनाव हो चुका है। होली के बाद मंडल अध्‍यक्षों का चुनाव होगा। इसके बाद राज्‍य के 27 जिलाध्‍यक्षों का चुनाव अगले माह होगा। कम से कम 14 जिलाध्‍यक्षों का चुनाव होने के बाद प्रदेश अध्‍यक्ष का चुनाव होगा।

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