
गैंगस्टर अमन साहू को था अपनी हत्या का अंदेशा, चीफ जस्टिस को लिखा था पत्र
बार-बार एक जेल से दूसरी जेल में शिफ्ट किए जाने से अमन साहू आशंकित था कि पुलिस उसकी कर सकती है हत्या
डीजे न्यूज, गिरिडीह : झारखंड समेत कई राज्यों में आतंक का पर्याय बन चुका कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू को झारखंड पुलिस ने एक मुठभेड़ में मार गिराया। उसकी मौत के बाद राज्य के पुलिस महकमे को बड़ी राहत मिली है। हालांकि, पुलिस एनकाउंटर से पहले ही अमन साहू को अपनी हत्या की आशंका हो गई थी। बार-बार एक जेल से दूसरी जेल में शिफ्ट किए जाने से वह चिंतित था। इसको लेकर उसने झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर अपनी हत्या की आशंका जताई थी।
झारखंड हाई कोर्ट को लिखा था पत्र
बार-बार एक जेल से दूसरी जेल में शिफ्ट किए जाने से अमन साहू आशंकित था कि पुलिस उसकी हत्या कर सकती है। इसी आशंका के चलते उसने झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर अपनी जान को खतरा बताया था।
अपराध की दुनिया में तेजी से बढ़ा नाम
26 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले अमन साहू ने कुछ ही वर्षों में खुद को झारखंड का शीर्ष गैंगस्टर बना लिया। उसके खिलाफ सौ से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें हत्या, रंगदारी, धमकी और जेल प्रशासन पर हमले जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। गिरिडीह में भी उसके खिलाफ दो मामले लंबित थे।
2022 में गिरिडीह जेलर पर चलवाई थी गोली
अप्रैल 2022 में अमन साहू को गिरिडीह जेल लाया गया था। जेल में रहते हुए भी उसने अपनी आपराधिक गतिविधियां जारी रखीं। 20 जुलाई 2022 को उसने गिरिडीह जेल के तत्कालीन जेलर प्रमोद कुमार के वाहन पर अपने गुर्गों से गोली चलवाई थी। इस हमले में जेलर बाल-बाल बच गए।
इस घटना के बाद पुलिस ने आशीष कुमार साह और मंजेश मंडल को गिरफ्तार किया था। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि गोलीबारी की योजना अमन साहू ने जेल के भीतर से ही बनाई थी। इसके तुरंत बाद, जेल प्रशासन ने उसे सिमडेगा जेल शिफ्ट कर दिया।
जेल में रहकर भी चलाता था गैंग, अधिकारियों को देता था धमकी
सिमडेगा जेल से भी अमन साहू की आपराधिक गतिविधियां बंद नहीं हुईं। उसे बाद में मेदिनीनगर जेल शिफ्ट किया गया, जहां से उसने तत्कालीन जेल अधीक्षक जितेंद्र कुमार को फोन कर जान से मारने की धमकी दी थी।
दुमका जेल में रहते हुए उसने फर्जी तरीके से सिम कार्ड हासिल किया और उसका इस्तेमाल कर कई उद्योगपतियों, ठेकेदारों और सरकारी अधिकारियों से रंगदारी वसूलने लगा। सीआईडी और एटीएस की जांच में यह खुलासा हुआ कि अमन साहू जेल में रहते हुए भी अपनी आपराधिक साम्राज्य को संचालित कर रहा था।
सुविधाओं के लिए जेल प्रशासन पर बनाता था दबाव
अमन साहू जेल में रहते हुए मोबाइल फोन और अन्य सुविधाओं की मांग को लेकर लगातार जेल प्रशासन पर दबाव बनाता था। जब उसकी मांगें पूरी नहीं होती थीं, तो वह अधिकारियों को धमकाने और हमला करवाने जैसे कदम उठाता था।
एनकाउंटर से पुलिस को मिली राहत
पुलिस ने गैंगस्टर अमन साहू को मुठभेड़ में मार गिराया, जिससे झारखंड और आसपास के राज्यों में रंगदारी और भय के साम्राज्य का एक अध्याय समाप्त हो गया। पुलिस का कहना है कि अमन साहू के खात्मे से राज्य में अपराध पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।