
एनसीईआरटी सिलेबस से करें तैयारी, मेडिकल-इंजीनियरिंग में मिलेगी सफलता : संजय आनंद
गोल के धनबाद सेंटर के निदेशक ने देवभूमि झारखंड न्यूज के माध्यम से मेडिकल-आईआईटी की तैयारी कर रहे छात्रों को दिए कई अहम सुझाव
मेडिकल एवं इंजीनियरिंग की तैयारी कराने वाली प्रमुख शैक्षणिक संस्थान गोल के निदेशक संजय आनंद सिंह से देवभूमि झारखंड न्यूज के मुख्य संवाददाता दिलीप सिन्हा ने लंबी बातचीत की है। इस बातचीत में संजय आनंद सिंह ने मेडिकल एवं आईआईटी की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए कई महत्वपूर्ण टिप्स दिए हैं। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश :
सवाल : शैक्षणिक क्षेत्र में आप कैसे आए?
जवाब : मैं डॉक्टर बनना चाहता था। पटना में मैं एमबीबीएस में नामांकन की परीक्षा में शामिल हुआ और मात्र दो नंबर से पीछे रह गया। उस वक्त मुझे कोई यह बताने वाला नहीं था कि दुबारा आप परीक्षा में बैठ सकते हैं। इस कारण, दुबारा परीक्षा नहीं दे सका। इसके बाद मैंने फैसला लिया कि खुद डॉक्टर नहीं बन सका तो क्या, मैं अपने जैसे दूसरे बच्चों को डॉक्टर बनाकर अपना सपना पूरा करूंगा। फिर मैं 6 जनवरी 2003 को धनबाद आया और आठ बच्चों से गोल संस्था की सेंटर धनबाद में शुरू की। आपको यह जानकार खुशी होगी कि आठ में से चार बच्चों का एमबीबीएस में नामांकन हो गया। इसके बाद जो सिलसिला शुरू हुआ वह अनवतर जारी है। आज गोल से पढ़कर 17 हजार से अधिक छात्र डॉक्टर बने हैं और देश-विदेश में मानवता की सेवा कर रहे हैं। इनमें गोल के धनबाद सेंटर के भी छात्र काफी संख्या में शामिल हैं।
सवाल : मेडिकल-आईआईटी की तैयारी कर रहे छात्रों को क्या सलाह देना चाहेंगे?
जवाब : मेडिकल-अाआईटी में एनसीईआरटी बेस्ड सवाल ही पूछे जाते हैं। इतना ही नहीं सारी प्रतियोगी परीक्षाएं एनसीईआरटी बेस्ड होते हैं। इस कारण छात्रों को एनसीईआरटी की पुस्तकों से तैयारी करनी चाहिए। जहां तक हमारी संस्था गोल की बात है तो गोल एनसीईआरटी बेस्ड टेस्ट लेने वाली संस्था है। यही कारण है कि साधारण बच्चे भी गोल से पढ़कर असाधारण रिजल्ट देते हैं। गोल में पढ़ने वाले साधारण छात्र भी मेहनत और सही मार्गदर्शन पाकर मेडिकल और आईआईटी की परीक्षा में सफल हुए हैं। मेडिकल और आईआईटी की परीक्षा देने की तैयारी कर रहे छात्रों को मेरा सुझाव है कि वह खूब मेहनत करें और कभी भी आत्मविश्वास नहीं खोएं। शांत और धैर्य रखकर तैयारी में लगे रहें, सफलता जरूर मिलेगी।
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सवाल : कक्षा नौंवी और दसवीं में पढ़ने वाले बच्चे एवं अभिभावक ऊहापोह में हैं। वे निर्णय नहीं ले पा रहे हैं कि आगे क्या करें।
जवाब : कक्षा नौंवी और दसवीं में जो बच्चे पढ़ रहे हैं और उनके अभिभावकों के लिए यह एक्शन लेने का समय है। बच्चों की रूचि देखकर अभिभावकों को उनका लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। कारण, रूचिकर लक्ष्य को हासिल करना आसान होता है।
सवाल : मेडिकल प्रवेश की परीक्षा में कैसे सफल हो सकते हैं?
जवाब : मेडिकल में प्रवेश लेना है तो धैर्य बनाए रखना होगा। धैर्य के साथ तैयारी जारी रखें। धैर्य के साथ-साथ आत्मविश्वास कभी कम नहीं होने दें। मैं यह कर सकता हूं, इस भाव के साथ पढ़ाई करें। एनसीईआरटी बेस्ड टेस्ट रोज जरूर दें। जो भी डाउट है, उसे दूर करें। सफलता जरूर मिलेगी। जहां भी जरूरत होगी, गोल संस्था आपके साथ खड़ा है।
सवाल : मेडिकल-इंजीनियरिंग में नामांकन हो, इसके लिए गोल अपने छात्रों को कैसे तैयार करती है?
जवाब : गोल में विशेषज्ञ शिक्षकों की एक टीम है जो बेहतर तरीके से बच्चों को पढ़ाती है। समय पर बच्चों को मैटिरियल उपलब्ध कराते हैं। एक-एक छात्र से मैं और मेरे शिक्षक कनेक्ट रहते हैं। जब भी किसी छात्र को कोई जरूरत होती है, वह सीधे मुझसे या गोल के एक्सपर्ट पैनल से सीधे संपर्क कर सकते हैं। स्कूलिंग के साथ-साथ कोचिंग की पढ़ाई में समन्वय बनाना हम बताते हैं।
एनसीईआरटी बेस्ड पढ़ाई गाेल कराती है। हमारी टेस्ट सीरिज मॉडल है।
इस का नतीजा होता है कि साधारण से साधारण बच्चे भी गोल में पढ़कर असाधारण रिजल्ट करते हैं।
सवाल : गोल संस्था में पढ़कर सरकारी स्कूलों के बच्चे मेडिकल व इंजीनियरिंग में नामांकन करा पाएं हैं, ऐसा कोई उदाहरण हो तो बताएं?
जवाब : सरकारी स्कूलों के बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं होती है। बस जरूरत है सही मार्गदर्शन देकर उन्हें निखारने की। यह काम गोल बखूबी करती रही है। धनबाद की सरकारी स्कूल अभया सुदंरी में पढ़ने वाली काजल मुखर्जी को हमने निखारकर एम्स में एडमिशन कराया। सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले टुंडी के लखेश्वर एसएनएमएमसीएच धनबाद में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। उनके गांव में कोई भी स्नातक नहीं हैं। सरकारी स्कूलों के बच्चे जो गोल से पढ़कर डॉक्टर-इंजीनियर बने हैं, ऐसे कई उदाहरण हमारे संस्थान के पास है। वैसे बच्चे और ज्यादा मेहनत करते हैं जिन्हें लगता है कि उनके पास इसके अलावा कुछ भी नहीं है।
सवाल : छात्रों और अभिभावकों को क्या संदेश देंगे।
जवाब : छात्रों से आग्रह है कि वह अपना सौ प्रतिशत पढ़ाई में दें। मैं कर सकता हूं के आत्मविश्वास के साथ अपना बेस्ट दें, सफलता जरूर मिलेगी। अभिभावकों से अपील है कि वह बच्चों का मनोबल गिरने न दें। अफसोस तब नहीं होता है जब मैंने अपना बेस्ट दिया और मेरा चयन नहीं हुआ। अफसोस तब होता है जब हमने अपना बेस्ट दिया नहीं और मेरा चयन नहीं हुआ।