देवघर उपायुक्त ने सियाचिन में शहीद हुए अग्निवीर नीरज चौधरी को दी श्रद्धांजलि 

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देवघर उपायुक्त ने सियाचिन में शहीद हुए अग्निवीर नीरज चौधरी को दी श्रद्धांजलि 

अंतिम विदाई में उमड़ा जनसैलाब

डीजे न्यूज, देवघर : जम्मू-कश्मीर के लद्दाख (सियाचिन) में हिमस्खलन की घटना में शहादत देने वाले देवघर जिला के मधुपुर प्रखंड अंतर्गत कजरा गांव निवासी वीर अग्निवीर नीरज कुमार चौधरी को को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।

जनसैलाब उमड़ा अंतिम दर्शन को

कजरा गांव में अंतिम दर्शन के लिए सुबह से ही हजारों लोग उमड़ पड़े। तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर को देख हर आंख नम हो उठी। “भारत माता की जय” और “वन्दे मातरम” के नारों से पूरा गांव गूंज उठा। ग्रामीणों ने अपने वीर सपूत को कंधा देकर अंतिम यात्रा में शामिल होकर भावभीनी विदाई दी।

प्रशासन और सेना ने दी श्रद्धांजलि

उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी नमन प्रियेश लकड़ा और पुलिस अधीक्षक श्री अजीत पीटर डुंगडुंग ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित किया। वहीं सैन्य बलों ने शोक-परेड कर वीर सपूत को अंतिम सलामी दी।

शहीद की संक्षिप्त जीवनी

अग्निवीर नीरज कुमार चौधरी मधुपुर प्रखंड के कजरा गांव के निवासी थे। वे एक साधारण कृषक परिवार से थे और बचपन से ही सेना में जाकर देश सेवा करने का सपना देखा करते थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अग्निवीर योजना के तहत भारतीय सेना में भर्ती होकर सियाचिन जैसे कठिनतम मोर्चे पर तैनाती पाई।

नीरज बचपन से ही अनुशासनप्रिय और परिश्रमी थे। गांव के लोग बताते हैं कि उनमें देशभक्ति का जज्बा शुरू से ही था। हर राष्ट्रीय पर्व पर वे झंडारोहण और देशभक्ति कार्यक्रमों में सक्रिय रहते थे।

परिवार का संघर्ष और गर्व

शहीद नीरज चौधरी अपने परिवार के बड़े पुत्र थे। उनके पिता खेती-बारी करते हैं, जबकि मां गृहिणी हैं। परिवार के लिए यह क्षति अपूरणीय है, लेकिन बेटे की शहादत पर उन्हें गर्व भी है। नीरज की शादी अभी नहीं हुई थी और परिवार ने उनके लिए बड़े सपने संजोए थे।

शहीद की मां ने बेटे के पार्थिव शरीर को देखकर कहा— “मेरा बेटा देश के लिए वीरगति को प्राप्त हुआ, यह हमारे परिवार के लिए गर्व की बात है।” वहीं पिता की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे, लेकिन गर्व की भावना उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी।

जिले के लिए गर्व का क्षण

उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा ने कहा कि शहीद नीरज ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर किए हैं, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने शहीद परिवार को हर संभव सहायता का भरोसा दिलाया।

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