



देश के सार्वजनिक उद्योगों को खत्म करने में लगी है सरकार: भवन सिंह

डीजे न्यूज, रांची: हटिया मजदूर यूनियन के अध्यक्ष सह सीटू के कार्यकारी अध्यक्ष भवन सिंह ने देश की प्रतिष्ठित सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (HEC) को बंद करने की सिफारिश और केंद्र सरकार द्वारा मंत्रालय से रिपोर्ट तलब किए जाने के मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सरकार सुनियोजित ढंग से देश के रणनीतिक सार्वजनिक उद्योगों को खत्म करने में लगी है।
पिछले सात वर्षों के घाटे का हवाला देकर मातृ-उद्योग एचईसी को ‘अकार्यक्षम’ बताने की कोशिश की जा रही है, जबकि यह घाटा सरकार की अपनी निवेश रोकने, पूंजी नहीं देने, और कॉन्ट्रैक्ट्स व परियोजनाएँ न देने की नीतियों का प्रत्यक्ष परिणाम है।
उन्होंने कहा कि 2018-19 से 2024-25 तक एचईसी को लगातार घाटे में धकेला गया, जो
33.67 करोड़, 405.37 करोड़, 175.78 करोड़, 256.07 करोड़, 230.85 करोड़, 275.19 करोड़ और 265.13 करोड़ रहा।
यह घाटा बाज़ार की विफलता नहीं, बल्कि सरकार द्वारा पीएसयू को पंगु बनाने की नीति का हिस्सा है। एचईसी को पूंजीगत निवेश नहीं दिया गया, जबकि उसकी मशीनरी, संयंत्र और तकनीकी संसाधनों के उन्नयन की अत्यंत आवश्यकता थी। केंद्र सरकार ने एचईसी के 4300 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान रोके रखा, जो विभिन्न परियोजनाओं में किए गए कार्यों के एवज़ में लंबित है। यही धन एचईसी को चलाने और आधुनिक बनाने के लिए पर्याप्त था। एचईसी को जानबूझकर नए कॉन्ट्रैक्ट्स से दूर रखा गया, जबकि भारी मशीनरी, खनन, अंतरिक्ष तथा रक्षा क्षेत्र में उसकी ऐतिहासिक विशेषज्ञता सिद्ध है। उन्होंने कहा कि अब इसी कृत्रिम संकट का हवाला देकर इकाई को बंद करने का प्रयास किया जा रहा है। यह कदम मजदूर-विरोधी, उद्योग-विरोधी और देश की औद्योगिक क्षमता पर सीधा प्रहार है।
भवन सिंह ने कहा कि सरकार की वास्तविक मंशा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निजी पूँजीपतियों के लिए खाली मैदान बनाना है। देश की सामरिक औद्योगिक क्षमता — भारी इंजीनियरिंग, अंतरिक्ष, रक्षा — को निजी हाथों में सौंपना है। मजदूरों को बेरोज़गारी में धकेलना और राज्यों की आर्थिक रीढ़ तोड़ना है।
उन्होंने सरकार से मांग किया है कि एचईसी को बंद करने की किसी भी प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए। केंद्र सरकार एचईसी का रद्द एसबीआई की बैंक गारंटी बहाल करे। एचईसी को नए आदेश, आधुनिकीकरण बजट और तकनीकी उन्नयन पैकेज प्रदान किया जाए।
सार्वजनिक उद्योग नीति को पुनः बहाल किया जाए और पीएसयू को राष्ट्रनिर्माण में उनकी भूमिका वापस दी जाए। मजदूरों, इंजीनियरों और तकनीकी कर्मचारियों की आजीविका की रक्षा सुनिश्चित की जाए; किसी भी प्रकार की छँटनी या विनिवेश न किया जाए।
उन्होंने कहा कि एचईसी को बंद करने की सिफारिश न केवल झारखंड के लाखों परिवारों पर हमला है, बल्कि भारत की औद्योगिक क्षमता को कमजोर करने का एक और कदम है।
इस जन-विरोधी निर्णय का कड़ा विरोध करते हुए सरकार को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि एचईसी का निजीकरण या बंदी किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं की जाएगी।
