
बरसात में कैसे करें अपने बच्चों की देखभाल होम्योपैथिक चिकित्सक डाॅ शमीम अहमद से जानिए
बरसात में नमी, पानी का जमा होना और कीटाणुओं की बहुतायत बच्चों को विभिन्न इन्फेक्शन्स का आसान शिकार बना देती है। माता-पिता के लिए यह बहुत जरूरी है कि वे अपने बच्चों की सेहत का खास ख्याल रखें ताकि वे इस मौसम का आनंद ले सकें और बीमारियों से सुरक्षित रहें।
बरसात में बच्चों में होने वाली आम बीमारियां और उनसे बचाव के तरीके
पेट के इन्फेक्शन :
कारण : गंदा पानी, बासी खाना, या खुले में रखे खाने से बैक्टीरिया और वायरस आसानी से पेट में जाकर इन्फेक्शन का कारण बनते हैं। दस्त, उल्टी और पेट दर्द आम हैं।
बचाव
साफ पानी : बच्चों को हमेशा उबला हुआ या फिल्टर किया हुआ पानी ही पीने को दें। बाहर का पानी पीने से परहेज करें।
ताजा खाना : सिर्फ ताजा पका हुआ खाना खिलाएं और बासी खानों से बचाएं
सफाई : खाने से पहले और बाद में बच्चों के हाथ अच्छी तरह साबुन से धुलवाएं। खुद भी सफाई का खास ख्याल रखें।
बाहर के खाने से परहेज : गली-मोहल्लों में बिकने वाले खुले और तले हुए खानों से बचाएं।
आम सर्दी, ज़ुकाम और फ्लू
कारण : तापमान में बदलाव, नमी और वायरस का फैलाव। बच्चे आसानी से इसका शिकार हो जाते हैं।
बचाव :
साफ-सफाई : बच्चों को बार-बार हाथ धोने की आदत डालें।
भीड़ वाली जगहों से परहेज : खासकर वायरल इन्फेक्शन फैलने पर भीड़ वाली जगहों पर बच्चों को ले जाने से बचें।
गर्म कपड़े : मौसम के मुताबिक कपड़े पहनाएँ। रात में हल्की ठंड होने पर बच्चों को पूरी आस्तीन के कपड़े और एक हल्की चादर ओढ़ाएँ।
स्वस्थ आहार : बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें विटामिन-सी से भरपूर खाद्य पदार्थ (जैसे संतरा, नींबू, आँवला) दें।
त्वचा संबंधी बीमारियां
कारण : बरसात में नमी और पसीने की वजह से फफूँदी और बैक्टीरियल इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है, जैसे दाद, खुजली और फोड़े-फुंसी।
बचाव :
सूखा रखें : बच्चों को नहाने के बाद अच्छी तरह बदन को साफ करें, खासकर त्वचा की परतों को।
ढीले कपड़े : सूती और ढीले-ढाले कपड़े पहनाएँ ताकि हवा का गुज़र हो सके।
साफ-सफाई : बच्चों के कपड़े रोज़ाना बदलें और साफ कपड़े पहनाएं।
मलेरिया और डेंगू :
कारण : ये बीमारियां मच्छरों के काटने से फैलती हैं जो बरसात में जमा पानी में पनपते हैं।
बचाव :
मच्छरों से सुरक्षा: बच्चों को मच्छरों से बचाने के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें।
मच्छर भगाने वाले लोशन: मच्छर भगाने वाले लोशन या क्रीम लगाएँ जो बच्चों के लिए सुरक्षित हों।
जमा पानी हटाएं : घर के आस-पास या गमलों में पानी जमा न होने दें। कूलर और पानी की टंकियों को नियमित रूप से साफ करें।
पूरी आस्तीन के कपड़े : बच्चों को पूरी आस्तीन की शर्ट और पैंट पहनाएँ, खासकर शाम के वक्त।
बरसात में होने वाली बीमारियों का घरेलू इलाज
बरसात की आम बीमारियों में कुछ घरेलू नुस्खे शुरुआती राहत प्रदान कर सकते हैं, लेकिन गंभीर लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करना ज़रूरी है:
* सर्दी, ज़ुकाम और खाँसी के लिए:
* शहद और अदरक: एक चम्मच शहद में अदरक का रस मिलाकर बच्चों को दें। यह खाँसी में आराम देता है। (एक साल से छोटे बच्चों को शहद न दें)
* हल्दी वाला दूध: रात को सोते समय बच्चों को एक गिलास गर्म दूध में चुटकी भर हल्दी मिलाकर दें। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
* गर्म पानी की भाप: गर्म पानी में विक्स या नीलगिरी का तेल डालकर बच्चों को भाप दिलवाएँ (छोटे बच्चों को सावधानी से)। इससे बंद नाक खुल जाती है।
* नमकीन पानी से गरारे: अगर बच्चा कर सके तो हल्के गर्म पानी में नमक मिलाकर गरारे करवाएँ।
* पेट की ख़राबी (दस्त/उल्टी) के लिए:
* ओआरएस : उल्टी या दस्त की स्थिति में बच्चों को लगातार ओआरएस का घोल पिलाते रहें ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
* दही और केला: पेट खराब होने पर दही और केला दोनों फायदेमंद होते हैं।
* हल्का आहार: मूँग दाल की खिचड़ी, दलिया जैसी हल्की और सुपाच्य चीज़ें ही खिलाएँ।
* अदरक की चाय: हल्की अदरक की चाय भी पेट को आराम दे सकती है।
* त्वचा के इन्फेक्शन के लिए:
* नीम का पानी: नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर उस पानी से बच्चों को नहलाएँ। नीम में एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं।
* एलोवेरा: प्रभावित जगह पर ताज़ा एलोवेरा जेल लगाएँ। यह खुजली और जलन में राहत देता है।
* नारियल का तेल: इन्फेक्शन वाली जगह पर शुद्ध नारियल का तेल लगाएँ, यह नमी को कम करने में मदद करता है।
होम्योपैथिक दवाएँ: एक प्राकृतिक हल
होम्योपैथी में बरसात में होने वाली बीमारियों के लिए प्रभावी और सुरक्षित दवाएँ मौजूद हैं जो बच्चों के लिए खास तौर पर फायदेमंद हैं। ये दवाएँ लक्षणों के अनुसार दी जाती हैं:
* सर्दी, ज़ुकाम और फ्लू के लिए:
* एकोनाइट : अचानक ठंड लगने या भीगने से होने वाले ज़ुकाम और बुखार में शुरुआती दवा।
* बेलाडोना : तेज़ बुखार, लाल चेहरा, और गले में दर्द होने पर।
* डल्कामारा : बरसात में ठंड लगने या नमी के कारण होने वाले ज़ुकाम, खाँसी और शरीर दर्द में।
* रस्टॉक्स : भीगने या ठंड लगने के बाद मांसपेशियों में दर्द और अकड़न के साथ ज़ुकाम।
* पेट के इन्फेक्शन (दस्त/उल्टी) के लिए:
* आर्सेनिकम एल्बम : दूषित भोजन या पानी से होने वाले दस्त और उल्टी, बेचैनी और कमज़ोरी के साथ।
* पोडोफाइलम : तेज़ और दर्द रहित दस्त, खासकर सुबह के समय।
* कैमोमिला : बच्चों में दाँत निकलते समय होने वाले दस्त, चिड़चिड़ापन के साथ।
* वेरेट्रम एल्बम : बहुत ज़्यादा उल्टी और दस्त, ठंडे पसीने और कमज़ोरी के साथ।
* त्वचा संबंधी बीमारियों के लिए:
* सल्फर : खुजली वाले दाने, जलन, और त्वचा पर लालिमा।
* ग्रेफाइटिस : त्वचा पर दरारें, खुजली और चिपचिपा स्राव।
* सेपिया : फंगल इन्फेक्शन और त्वचा की खुश्की।
* कैल्केरिया कार्ब : बच्चों में पसीने और नमी से होने वाले त्वचा के इन्फेक्शन।
महत्वपूर्ण सलाह: होम्योपैथिक दवाएँ हमेशा किसी योग्य और पंजीकृत होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह से ही लें। बच्चों को बिना डॉक्टरी सलाह के कोई भी दवा न दें।