
बिरनी अस्पताल : हादसों के समय कहाँ हैं डॉक्टर?
डीजे न्यूज, बिरनी(गिरिडीह) : रांची–देवघर–दुमका मुख्य मार्ग पर जिंतकुंडी में गुरुवार रात हुए भीषण सड़क हादसे ने एक बार फिर बिरनी अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हादसे में एक युवक की मौके पर मौत और चार अन्य की गंभीर चोटों के बाद, पीड़ितों को नजदीकी बिरनी अस्पताल लाया गया, लेकिन यहां डॉक्टर नदारद मिले।
आपात स्थिति में केवल सीएचओ
प्रत्यक्षदर्शियों और ग्रामीणों के मुताबिक, रात के समय अस्पताल में केवल कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) मौजूद थे, जिन्होंने अकेले ही घायलों का प्राथमिक इलाज किया और उन्हें रेफर किया। एक गंभीर रूप से घायल को देखते ही मृत घोषित कर दिया गया। सवाल उठता है कि ऐसे हादसों के समय डॉक्टर कहाँ होते हैं?
यह पहली बार नहीं…
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह स्थिति नई नहीं है। रात के समय कई बार मरीजों और घायलों को घंटों डॉक्टर का इंतजार करना पड़ता है। कई मामलों में, गंभीर स्थिति वाले मरीजों को तुरंत रेफर कर दिया जाता है, क्योंकि पर्याप्त चिकित्सा सुविधा और विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध नहीं होते।
जनप्रतिनिधियों ने जताई नाराज़गी
हादसे की रात मौके पर पहुंचे प्रमुख रामु बैठा, भाजपा नेता अरविंद मोदी, त्रिभुवन साव, पंकज यादव समेत कई जनप्रतिनिधियों ने अस्पताल की इस अव्यवस्था पर गहरी नाराज़गी जताई। उनका कहना था कि अगर प्राथमिक इलाज समय पर और सही तरीके से होता, तो कई बार जान बचाई जा सकती है।
स्थानीय मांग
ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मांग है कि बिरनी जैसे व्यस्त प्रखंड अस्पताल में 24×7 डॉक्टरों की मौजूदगी सुनिश्चित की जाए। साथ ही, दुर्घटना और आपातकालीन मामलों के लिए ट्रॉमा सेंटर जैसी सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
क्यों ज़रूरी है बदलाव
बिरनी मुख्य सड़क मार्ग पर स्थित है, जहां से रोज़ाना भारी मात्रा में वाहनों की आवाजाही होती है। ऐसे में हादसों की संभावना बनी रहती है। अगर अस्पताल में तत्काल और सक्षम चिकित्सा सुविधा नहीं होगी, तो मरीजों की जान रेफर के रास्ते में ही चली जाएगी।