भारतीय इंजीनियरिंग के आत्मविश्वास और कौशल की मिसाल है पहाड़ों के बीच प्रगति का सेतु ‘अंजी खड्ड’

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भारतीय इंजीनियरिंग के आत्मविश्वास और कौशल की मिसाल है पहाड़ों के बीच प्रगति का सेतु ‘अंजी खड्ड’

डीजे न्यूज, न ई दिल्ली: जब घाटियां गहरी होती हैं और पहाड़ रास्ता रोकते है, तब इंसान के सपने ऊचे हो जाते हैं। कश्मीर के दिल तक पहुंचने के इन्ही ऊंचे सपनों ने फिर से एक नई कहानी को जन्म दिया है। ये कहानी एक पुल की है जो सिर्फ लोहे और केबल से ही नहीं बल्कि हिम्मत और हुनर से भी बना है। ये कहानी है भारत के पहले केबल-स्टेड रेलवे ब्रिज- अंजी खड्ड ब्रिज की जो जम्मू-कश्मीर की चुनौतीपूर्ण घाटियों के बीच, अंजी नदी की गहरी खाई को पाटता है। कटरा और रियासी के बीच कनेक्टिविटी को एक नया आयाम देने जा रहा यह अदभूत संरचना भारतीय इंजीनियरिंग के आत्मविश्वास और कौशल की मिसाल है। 

 

यूएसबीआर एल का हिस्सा है

यह ब्रिज उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो कटरा-बनिहाल रेल खंड में बनाया गया है। ऊबड़-खाबड़ रास्ते और कठिन भौगोलिक परिस्थितियाँ जैसी सभी सीमाओं को पार कर यह ब्रिज घाटी को देश के बाकी हिस्सों से और मजबूती के साथ जोड़ रहा है। 

 

11 माह में निर्माण पूरा

आकर्षक डिजाइन के साथ बने इस ब्रिज का निर्माण कार्य सिर्फ 11 महीने में ही पूरा कर लिया गया है। यह ब्रिज नदी तल से 331 मीटर ऊंचाई पर स्थित है जबकि नीव से 193 मीटर ऊंचा एक मजबूत सेंट्रल पायलन पर टिका हुआ है, जो इसकी पूरी सरचना को संतुलन में रखता है। अजी खड्ड ब्रिज, चिनाब ब्रिज के बाद भारत का दूसरा सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज भी है। 

 

96 केबलों से बना है ब्रिज

इस ब्रिज को 96 केबलों के सहारे बनाया गया है जिनका कुल वजन 849 मीट्रिक टन और कुल लंबाई 653 किलोमीटर है। 725 मीटर लम्बे इस ब्रिज की संरचना में 8,215 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है। 

 

जम्मू-कश्मीर के विकास से जुड़े हैं तार

मौजूदा आवश्यकताओं के म‌द्देनजर बने इस ब्रिज से जम्मू-कश्मीर के विकास के तार जुड़े हुए हैं। यह ब्रिज घाटी के दूर-दराज इलाको में बसे गांवो और कस्बों का बड़े शहरों के साथ सीधा संपर्क स्थापित करता है जिससे विकासशील जगहो पर चिकित्सा, शिक्षा और अन्य सुविधाओं की उपलब्धता आसान हो जाएगी। बेहतर कनेक्टिविटी के वजह से स्थानीय लोगो के लिए रोजगार के नए अवसरो का सृजन होगा साथ ही घाटी में व्यापार और पर्यटन को भी जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा।

पुल की कुल लंबाई: 725 मीटर

नदी के तल से ऊंचाई: 331 मीटर

सेंट्रल पायलन की ऊंचाई: 193 मीटर

केबल की संख्या: 96

केबल का कुल वजन: 849 मीट्रिक टन

केबल की कुल लंबाई: 653 किलोमीटर

निर्माण में कुल स्टील का इस्तेमाल: 8,215 मीट्रिक टन 

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