
अविनाश पांडेय ने सात दिनों में 75 जिलों की यात्रा कर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को दी नई ऊर्जा
कांग्रेस का सगठन सृजन अभियान : सैकड़ों बैठकों और संवादों के जरिए संगठन की जड़ों तक पहुंच
न केवल कार्यकर्ताओं की बात सुनी, बल्कि संगठन के प्रत्येक स्तर पर संवाद की एक नई संस्कृति भी विकसित की
डीजे न्यूज डेस्क, रांची : कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय का 16 जुलाई से 22 जुलाई तक चला “संगठन सृजन अभियान” न केवल एक संगठनात्मक यात्रा रहा, बल्कि यह समर्पण, रणनीति और नेतृत्व का प्रेरणादायक प्रतीक बन गया। महज सात दिनों में 2200 किलोमीटर से अधिक की यात्रा, 75 जिलों में मैराथन बैठकें और हजारों कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद। यह सब मिलकर एक ऐसी तस्वीर उकेरते हैं, जो कांग्रेस संगठन के भविष्य की नींव मजबूत करती है। निसंदेह अविनाश पांडेय ने अपनी इस मुहिम से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस संगठन में नई ऊर्जा भर दी है। इसका परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेगा।
एक किसान की तरह संगठन की जमीन तैयार की
इस अभियान की तुलना खुद अविनाश पांडेय ने एक किसान की मेहनत से की।
हर दिन सुबह 5 बजे से शुरू होकर देर रात तक 6–8 जिलों में बैठकें, कार्यकर्ताओं के साथ गहन संवाद और फिर अगली मंजिल की ओर कूच। यह क्रम सात दिनों तक निर्बाध रूप से चलता रहा। यह संगठन के खेत की जुताई, बीजारोपण और अब सिंचाई की तैयारी जैसा था।
पांडेय ने स्वयं दिल्ली समेत कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को स्थगित कर यह अभियान पूरा किया। उन्होंने न केवल कार्यकर्ताओं की बात सुनी, बल्कि संगठन के प्रत्येक स्तर पर संवाद की एक नई संस्कृति भी विकसित की।
22 जुलाई का मंथन : मेड़ों की मजबूती की रणनीति
75 जिलों की समीक्षा पूरी करने के बाद, 22 जुलाई को लखनऊ में हुई बैठक को “मंथन” नाम दिया गया, जिसमें चुनिंदा वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ रणनीतिक विचार-विमर्श हुआ। यह मंथन एक किसान की उस चिंता की तरह था, जिसमें वह सिंचाई से पहले खेत की मेड़ों को मजबूत करता है, ताकि पानी इधर-उधर न बहे और बीज सुरक्षित रहें।
इस बैठक में संगठनात्मक मजबूती, जिला समन्वय, कार्यकर्ता प्रशिक्षण और बूथ स्तर तक सक्रियता पर जोर दिया गया। इस रणनीति को अमल में लाकर कांग्रेस संगठन को नई धार देने की रूपरेखा बनाई गई।
डिजिटल मोर्चे पर क्रांति : हर कार्यकर्ता तक पहुंचा अभियान
इस पूरे अभियान की डिजिटल प्रस्तुति भी उतनी ही प्रभावशाली रही।
सोशल मीडिया मंचों (एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप) पर अभियान के हर पड़ाव को रीयल टाइम में साझा किया गया।
फोटो, वीडियो, और संक्षिप्त अपडेट्स के माध्यम से कार्यकर्ताओं को जोड़ा गया।
विशेषकर राहुल गांधी जी के कार्यक्रमों की झलक और हिन्दी-भोजपुरी में तैयार कंटेंट से यह सामग्री गाँव-कस्बों तक पहुँची।
एनालिटिक्स आधारित रणनीति से यह सुनिश्चित किया गया कि पोस्ट सही समय पर, सही मंच पर पहुंचे जैसे किसान मौसम देखकर ही बीज बोता है।
अब योद्धाओं की बारी
अभियान की समाप्ति के बाद पांडेय ने स्पष्ट संकेत दिया कि अब बारी कार्यकर्ताओं और ज़मीनी योद्धाओं की है। वे संगठन की “मेड़ों” को संभालें, बीजों की रक्षा करें, संवाद को जन-जन तक पहुंचाएं, और संगठनात्मक “फसल” को लहलहाने दें।
इस ऐतिहासिक अभियान की एक झलक
7 दिन, 156 घंटे का अभियान
75 जिलों की समीक्षा
2202 किलोमीटर की यात्रा
सैकड़ों बैठकों और संवादों के जरिए संगठन की जड़ों तक पहुंच
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाखों तक सीधी पहुंच
यह अभियान उत्तर प्रदेश कांग्रेस की कार्यप्रणाली में गुणात्मक बदलाव की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।
यह संगठनात्मक कार्यशैली, नेतृत्व, समर्पण और रणनीति का ऐसा उदाहरण है, जो आने वाले समय में कांग्रेस की वापसी की नींव बन सकता है।