देवघर घटना के बाद गिरिडीह न्यायालय में बढ़ी सुरक्षा व्यवस्था

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डीजे न्यूज, गिरिडीह : देवघर व्यवहार न्यायालय में सरेआम पेशी के लिए लाए गए आरोपित को गोलियों से भुन डाला गया।इससे झारखंड के सभी न्यायालय को अलर्ट जारी किया गया है।गिरिडीह न्यायालय में भी सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं।चप्पे-चप्पे पर पुलिस जवानों की तैनाती की गई है।साथ ही सभी प्रवेश द्वार पर जवान मुस्तेद है।पक्षकार और आम जनता गेट नम्बर दो से प्रवेश कर रहे हैं।न्यायालय में प्रवेश से पूर्व ये पक्षकार और आम जनता मेटल डिटेक्टर यंत्र से अपनी तलाशी देते हैं।साथ ही बेग और अंदर ले जाने वाले सामानों की तलाशी ली जाती है।किसी भी आपत्तिजनक वस्तुओं पर पुलिस की पैनी नज़र रहती है।वही न्यायिक अधिकारी गेट नम्बर एक आवागमन करते हैं।अधिवक्ताओ के लिए तीनो गेट से आने जाने की छूट है।गेट नम्बर तीन तीन जो जिला अधिवक्ता संघ भवन के सामने छोटा गेट है सिर्फ अधिवक्ता ही आ जा सकते हैं।इसी तरह रजिस्ट्री ऑफिस और उपभोक्ता संरक्षण फोरम जाने के लिए अधिवक्ता को गेट नम्बर एक का उपयोग करने की छूट दी गई है।इसके बावजूद न्यायालय परिसर में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ा बनाने के लिए कई काम किया जाना बाकी है।
–न्यायालय में नही लगी है सीसीटीवी
-एक ओर न्यायालय में सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाई गई है।पर ऐसे कई कार्य है जो जिला प्रशासन को न्यायालय में सुरक्षा और ज्यादा कड़ा बनाने की जरूरत है।अब तक न्यायालय परिसर में संदिग्धों पर नज़र रखने के लिए सीसीटीवी नही लगाई गई है।सुरक्षा का तिसरी आंख कहे जाने वाले सीसीटीवी नही लगाई गई है।जो वर्तमान समय में सुरक्षा व्यवस्था पर नज़र रखने के लिए अहम भूमिका में होती है।दूसरी ओर न्यायालय से सामान्य हाज़त के बीच भारी भीड़ भाड़ वाला जगह है।इन जगहों से विचाराधीन बंदियो को लाया जाता है।हलाकि अधिकतर बंदियो की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होती है।पर जिन बंदियो को जरूरत पड़ने पर न्यायालय लाया जाता हैं उन्हें इसी भीड़-भाड़ वाले जगहों से पार करवाना पड़ता है।विदित हो कि करीब दस साल पहले विचाराधीन जुबेनाइल को न्यायालय में पेशी के लिए लाया जा रहा था।जुबेनाइल ने रास्ते मे पुलिस के आंख में मिर्च पाउडर डालकर भागने का प्रयास किया था।हलाकि पुलिस की मुस्तैदी से वह पकड़ा गया था।पुलिस इस दौरान साड़ी वर्दी में और बिना हथियार के थे।इधर न्यायालय के अंदर चार केंद्र बनाया गया है।जहां पुलिस के जवान आने जाने वाले लोगो पर नज़र रखती है।यह व्यवस्था तो गिरिडीह न्यायालय में पूर्व से थी।गिरिडीह न्यायालय को सेंसेटिव माना जाता है।न्यायालय में सैकड़ों नक्सली कांड के मामले लंबित है।प्रतिदिन केश में सुनवाई होती है।साथ ही बड़े आपराधिक गिरोह के मामले भी है।इस कारण सैकड़ों पैरवीकार न्यायालय में आते हैं।साल 2012 में नक्सलियों ने न्यायालय से पीछा करते हुए कैदी वाहन पर हमला कर कई नक्सलियों और अपराधियों को छुड़ा लिया था।इस घटना में दो सुरक्षा कर्मियों समेत तीन लोगो की मौत हुई थी।देवघर न्यायालय की घटना ने सूबे के सभी न्यायालय को फिर एक बार अलर्ट कर दिया है।

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