
डालसा के सहयोग से अब पढ़ेगी दिव्यांग अनाथ मन्नू
चार बच्चों को किया गया रेस्क्यू, सरकारी योजनाओं का मिलेगा लाभ
डीजे न्यूज, धनबाद: शिक्षा की लालसा रखने वाली मन्नू के लिए जीवन कठिनाइयों से भरा रहा। जन्म से ही शत-प्रतिशत नेत्रहीन मन्नू को चार साल की उम्र में पिता का साया भी छिन गया। विधवा मां के सहारे वह अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन हालात उसके अनुकूल नहीं थे। ऐसे में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा) ने उसकी मदद के लिए कदम बढ़ाया और उसके जीवन में एक नई रोशनी लाई।
मंगलवार को “अधिकार मित्र” राजू कुमार की नजर बाघमारा में मन्नू पर पड़ी। उन्होंने इसकी सूचना अवर न्यायाधीश सह सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, राकेश रोशन को दी। तुरंत बच्चों को रेस्क्यू करने के लिए टास्क फोर्स गठित किया गया। जब टीम वहां पहुंची, तो पता चला कि मन्नू ही नहीं, बल्कि उसका छोटा भाई भी शत-प्रतिशत दिव्यांग है और नेत्रहीन है।
टीम की नजर इस दौरान दो और अनाथ बच्चों पर पड़ी, जो पढ़ना चाहते थे लेकिन गरीबी और माता-पिता के न होने के कारण शिक्षा से वंचित थे। मामले की जानकारी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार तिवारी को दी गई। उन्होंने तुरंत कार्रवाई के आदेश दिए।
सरकारी योजनाओं का मिलेगा लाभ
प्रधान जिला जज के निर्देश पर, झालसा द्वारा संचालित ‘दिव्यांगों को मिले समानता का अधिकार परियोजना’ के तहत दोनों नेत्रहीन बच्चों को गिरिडीह नेत्रहीन बाल विकास विद्यालय में दाखिला दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। वहीं, अन्य दो अनाथ बच्चों को स्पॉन्सरशिप योजना का लाभ दिलाने की कागजी प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई।
अवर न्यायाधीश राकेश रोशन ने बताया कि जल्द ही दोनों नेत्रहीन बच्चों का विद्यालय में दाखिला हो जाएगा और अन्य दो अनाथ बच्चों को भी सरकारी सहायता मिलनी शुरू हो जाएगी। मौके पर ही बच्चों को पहनने के लिए कपड़े, खेलने के लिए खिलौने और खाने-पीने की सामग्री प्रदान की गई।
डालसा की इस पहल से इन चार बच्चों का जीवन नई दिशा की ओर बढ़ चला है। अब मन्नू और उसके भाई के साथ अन्य दो अनाथ बच्चों को भी बेहतर भविष्य मिलने की उम्मीद है।