



मर्सी हॉस्पिटल में कूल्हे और जांघ की हड्डी के जटील फ्रैक्चर का सफल ऑपरेशन, 24 घंटे में चलने लगे मरीज

हैदराबाद के प्रसिद्ध आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. रईसउद्दीन ने किया सफल आॅपरेशन, अब घुटने का प्रत्यारोपण भी यहां करा सकते हैं

सुस्मिता गुड़िया, गिरिडीह : मर्सी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल गिरिडीह ने एक बार फिर उन्नत चिकित्सा सेवाओं का शानदार उदाहरण पेश किया है। यहां कूल्हे के जोड़ और जांघ की हड्डी के जटिल फ्रैक्चर से पीड़ित दो मरीजों का सफल ऑपरेशन किया गया, जिसकी विशेषता यह रही कि दोनों मरीज केवल 24 घंटे के भीतर चलने-फिरने में सक्षम हो गए। यह उपलब्धि अस्पताल की विश्वस्तरीय आर्थोपेडिक सुविधा और विशेषज्ञ डॉक्टरों की कुशलता का प्रमाण है।

हैदराबाद से आकर मर्सी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल गिरिडीह में सेवा दे रहे प्रसिद्ध आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. रईसउद्दीन ने दोनों केस का नेतृत्व किया। अस्पताल के सीईओ डॉ. पी.एच. मिश्रा ने बताया कि ऑपरेशन के लिए अत्याधुनिक तकनीक व टोटल रिहैब प्रोटोकॉल का उपयोग किया गया, जिससे मरीजों की रिकवरी बेहद तेज रही।

डॉ पीएच मिश्रा ने बताया कि मर्सी हॉस्पिटल गिरिडीह में सस्ता और उत्तम इलाज किया जा रहा है। मरीजों को अब इलाज के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं है। इधर दोनों मरीजों के परिजनों ने देवभूमि झारखंड न्यूज को बताया कि मर्सी हॉस्पिटल और डॉ. रईसउद्दीन ने उनकी जीवन बचाई है।

निश्चित रूप से डॉक्टर भगवान के ही रूप हैं। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन इतना जटील था कि इसके आपरेशन के लिए महानगरों के बड़े अस्पताल में जाना पड़ता, लेकिन मर्सी हॉस्पिटल गिरिडीह में यह आपरेशन सफलतापूर्वक हुआ। मात्र 24 घंटे में बेड से उठकर हम चलने की स्थिति में हैं।

वहीं डॉ. रईसउद्दीन ने देवभूमि झारखंड न्यूज को बताया कि आर्थोपेडिक सर्जन का काम मरीज को बेड से उठाकर पैदल चलाना है।

मर्सी हॉस्पिटल यह काम बखूबी कर रहा है। उन्होंने बताया कि यहां ऑपरेशन के लिए सारे अत्याधुनिक संसाधन मौजूद हैं। घुटने का प्रत्यारोपण भी वह बखबूी यहां कर सकते हैं। ऐसे मरीजों को इन जटील ऑपरेशन के लिए अब बाहर जाने की जरूरत नहीं है।
केस स्टडी :
मरीज की जांघ की हड्डी में गंभीर फ्रैक्चर था। ऑपरेशन के दौरान प्लेट/रॉड प्रत्यारोपित कर हड्डी को स्थिर किया गया। आश्चर्यजनक रूप से मरीज ने ऑपरेशन के 24 घंटे के भीतर फिजियोथेरेपी शुरू कर दी और चलना भी आरंभ कर दिया।

केस स्टडी 2
दूसरे मरीज के कूल्हे के जोड़ में कई टुकड़ों में गंभीर फ्रैक्चर था। जटिल सर्जरी के बाद इम्प्लांट लगाकर जोड़ की संरचना को सुरक्षित रूप से पुनर्स्थापित किया गया। यह मरीज भी ऑपरेशन के 24 घंटे के भीतर ही चलने लगा।

मर्सी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का कहना है कि जल्द उपचार और सही सर्जिकल तकनीक के साथ रीहैब प्रक्रिया समय पर शुरू की जाए तो मरीजों को लंबे समय तक बिस्तर पर रहने की आवश्यकता नहीं पड़ती। गिरिडीह और आसपास के क्षेत्रों में उन्नत आर्थोपेडिक सुविधाओं का यह बड़ा लाभ मरीजों को मिल रहा है।
