देश में क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम

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देश में क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम

डीजे न्यूज, धनबाद: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (भारतीय खनन विद्यालय), धनबाद में सोमवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन क्रिटिकल मेटल्स: रीसाइक्लिंग, इनोवेशन, सेपरेशन एंड प्रोसेसिंग का शुभारंभ हुआ। तीन दिवसीय यह सम्मेलन 13 से 15 अक्टूबर तक गोल्डन जुबली लेक्चर थिएटर में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें देश-विदेश के वैज्ञानिक, नीति निर्माता और उद्योग विशेषज्ञ शामिल रहेंगे। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य क्रिटिकल मिनरल्स के सतत दोहन, प्रोसेसिंग और रीसाइक्लिंग के लिए नई रणनीतियों और तकनीकों पर चर्चा करना है।

इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य एवं पद्म भूषण डॉ. वी. के. सारस्वत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भारत को क्रिटिकल मिनरल्स जैसे लिथियम, कोबाल्ट, निकल और रेयर अर्थ एलिमेंट्स की खुद की खोज, पुनर्प्राप्ति और रीसाइक्लिंग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना बेहद जरूरी है, ताकि देश की स्वच्छ ऊर्जा और हाई-टेक इंडस्ट्री की जरूरतें पूरी हो सकें।

डॉ. सारस्वत ने सेकेंडरी रिसोर्स वैलोराइजेशन, एडवांस्ड सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन, बायो-लीचिंग और एआई आधारित प्रोसेस मॉनिटरिंग सिस्टम्स को अपनाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आइआइटी-आइएसएम धनबाद में क्रिटिकल मिनरल्स के लिए समर्पित पायलट प्लांट स्थापित किए जाने चाहिए और इस विषय को अकादमिक पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए ताकि इस क्षेत्र में कुशल मानव संसाधन तैयार हो सके।

उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री और एकेडमिक्स के सहयोग से लैब में विकसित तकनीकों को इंडस्ट्रियल स्तर पर लागू करना होगा, जिससे भारत में सर्कुलर इकॉनमी को बढ़ावा मिल सके। डॉ. सारस्वत ने बताया कि लिथियम और संबंधित धातुओं का वैश्विक बाजार 400 अरब डॉलर से अधिक का है, और भारत को समय रहते तकनीकी नवाचार और बहु-विषयक शोध के माध्यम से इस क्षेत्र में वैश्विक हब के रूप में उभरना होगा।

इस अवसर पर निदेशक प्रो. सुकुमार मिश्रा ने कहा कि क्रिटिकल मिनरल्स भविष्य की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने बताया कि इंडिया–यूके क्रिटिकल मिनरल्स ऑब्जर्वेटरी, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री ने हाल ही में की है, आइआइटी-आइएसएम धनबाद में स्थापित की जाएगी।

प्रो. मिश्रा ने कहा कि जैसे इंजीनियरिंग में नियंत्रण प्रणाली से संचालन होता है, वैसे ही क्रिटिकल मिनरल्स प्रबंधन के लिए भी डेटा आधारित, एनालिटिकल और अनुकूल फ्रेमवर्क की जरूरत है, ताकि देश की स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाए जा सकें। उन्होंने शोधकर्ताओं से नवाचार, सहयोग और दृढ़ता के साथ इस दिशा में काम करने का आह्वान किया।

उद्घाटन समारोह में प्रो. धीरेज कुमार, डिप्टी डायरेक्टर उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई। इसके बाद प्रो. आरती कुमारी, संयोजक ने स्वागत भाषण दिया। प्रो. शत्रुघ्न सोरेन, विभागाध्यक्ष, ईंधन, खनिज एवं धातुकर्म अभियांत्रिकी विभाग, ने विभाग की पहल और शोध कार्यों की जानकारी दी। डॉ. डी. के. सिंह, सलाहकार ने मुख्य अतिथि का परिचय कराया, जबकि प्रो. विष्णु तेजा मंत्रिप्रगडा, सह-संयोजक ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम के दौरान Book of Abstracts का विमोचन और अतिथियों का सम्मान भी किया गया। यह सम्मेलन 15 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें कई तकनीकी सत्र, विशेषज्ञ व्याख्यान और पैनल चर्चाएं आयोजित होंगी।

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