आदिवासी महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने की पहल शुरू, बांकुड़ा के सलमा में तीन दिवसीय कार्यशाला का समापन

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आदिवासी महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने की पहल शुरू,
बांकुड़ा के सलमा में तीन दिवसीय कार्यशाला का समापन

डीजे न्यूज, धनबाद: आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के मैनेजमेंट स्टडीज एंड इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग विभाग ने 9 से 11 अक्टूबर तक “डिज़ाइनिंग एंड डिलिवरिंग कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम फॉर हाई क्वालिटी मिलेट कल्टिवेशन टू एम्पावर ट्राइबल वीमेन एंटरप्रेन्योर्स इन वेस्ट बंगाल” विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत की। यह कार्यशाला पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले के सालमा ग्राम पंचायत, ब्लॉक सालतोड़ा में आयोजित की गई।

यह पहल कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के सीएसआर प्रोजेक्ट के तहत आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य आदिवासी महिलाओं को वैज्ञानिक तरीके से मिलेट (श्री अन्न) की खेती, वैल्यू एडिशन और डिजिटल मार्केटिंग के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना है। इस कार्यक्रम के जरिए मिलेट आधारित उत्पादों के लिए एक सस्टेनेबल डिजिटल मार्केट प्लेटफॉर्म तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ाया गया है, जिससे ग्रामीण महिलाएं अपने उत्पादों को बड़े बाजार तक पहुंचा सकें।

तीन दिनों तक चले इस कार्यक्रम में देश के नामी संस्थानों के विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण सत्र लिए।
डॉ. मोहन कुमार विश्वास (विश्व-भारती, शांतिनिकेतन) ने “मिलेट की अहमियत और फसल स्वास्थ्य प्रबंधन” पर व्याख्यान दिया और मिलेट फसलों की बीमारियों की पहचान, जैविक खेती और कीट नियंत्रण पर विस्तार से चर्चा की।
सुमित लायक, एग्री-बिजनेस एक्सपर्ट, ने “उद्यमिता सोच विकसित करने” पर सत्र लिए और महिलाओं में नेतृत्व क्षमता, आत्मविश्वास और टीम वर्क को बढ़ाने पर जोर दिया।
वहीं डॉ. एम.डी. हसरत अली (बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालाय, नदिया) ने “डिजिटल मार्केटिंग और ब्रांड आइडेंटिटी क्रिएशन” पर सत्र लिया और बताया कि स्थानीय मिलेट उत्पादों को ऑनलाइन मार्केट में कैसे प्रमोट और ब्रांड किया जा सकता है।

प्रो. नीलाद्रि दास, मैनेजमेंट स्टडीज एंड इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद ने कहा,

“इस कार्यशाला का मकसद पारंपरिक खेती के ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक और व्यवसायिक तरीकों से जोड़ना है, ताकि आदिवासी महिलाएं मिलेट खेती को सिर्फ जीविका नहीं, बल्कि एक उद्यम के रूप में देख सकें जो उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाए।”

प्रो. रश्मि सिंह, मैनेजमेंट स्टडीज एंड इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद ने कहा,

“वैज्ञानिक प्रशिक्षण, उद्यमिता विकास और डिजिटल मार्केटिंग को मिलाकर हम एक ऐसा मॉडल बना रहे हैं जिससे ग्रामीण महिलाएं खुद अपना व्यवसाय चला सकें, मार्केट से जुड़ सकें और उसे आगे बढ़ा सकें। यह पहल अकादमिक संस्थान और उद्योग के बीच सहयोग से ग्रामीण विकास की नई दिशा तय कर रही है।”

यह संयुक्त पहल आईआईटी (आईएसएम) धनबाद और कोल इंडिया लिमिटेड की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिसके तहत महिला सशक्तिकरण, एग्रो-एंटरप्रेन्योरशिप और डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देकर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में स्थायी विकास का मार्ग तैयार किया जा रहा है।

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