दिशोम गुरु शिबू सोरेन को भारत रत्न से करें सम्मानित : कृष्ण मुरारी शर्मा

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दिशोम गुरु शिबू सोरेन को भारत रत्न से करें सम्मानित : कृष्ण मुरारी शर्मा
महाजनी प्रथा, अशिक्षा व नशाखोरी के खिलाफ लड़ी ऐतिहासिक लड़ाई, समाज सुधारक की भूमिका को बताया प्रेरणादायी
डीजे न्यूज, गिरिडीह : झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) गिरिडीह जिला के प्रवक्ता कृष्ण मुरारी शर्मा ने झारखंड आंदोलन के प्रणेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि गुरुजी न केवल एक राजनीतिक नेता थे, बल्कि एक महान समाज सुधारक और जन अधिकारों के प्रहरी भी थे।
शर्मा ने कहा कि जब गरीब और आदिवासी समाज महाजनी प्रथा, अशिक्षा और नशाखोरी के चंगुल में जकड़ा हुआ था, तब दिशोम गुरु ने इसके खिलाफ निर्णायक संघर्ष किया। उन्होंने बताया कि उस समय गरीब किसानों की जमीनें महाजनों द्वारा ‘कठकेवाला’ के नाम पर हड़प ली जाती थीं। गुरूजी ने ‘धनकटनी अभियान’ की शुरुआत कर यह संदेश दिया – “जिसका खेत, उसकी फसल।” उन्होंने हजारों गरीबों को महाजनों के शिकंजे से मुक्त कराया।
गांव-गांव जाकर अशिक्षा के खिलाफ अलख जगाने वाले शिबू सोरेन ने गरीब बच्चों को लालटेन बांटते हुए कहा था – “पढ़ना जरूरी है।” उन्होंने हड़िया-दारू जैसे पारंपरिक नशे के खिलाफ भी जागरूकता अभियान चलाया और विशेषकर आदिवासी समाज को इससे दूर रहने की प्रेरणा दी।
गरीबों और वंचितों के लिए जीवन समर्पित किया
प्रवक्ता श्री शर्मा ने बताया कि दिशोम गुरु ने सिर्फ आदिवासी ही नहीं, बल्कि दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक और गरीब तबके के लिए जीवनभर संघर्ष किया। 70 के दशक से सामाजिक न्याय की लड़ाई में वे अग्रणी रहे और झारखंड अलग राज्य निर्माण के लिए निर्णायक भूमिका निभाई। अंततः वर्ष 2000 में झारखंड राज्य का गठन हुआ, जो गुरुजी की लंबी लड़ाई की ऐतिहासिक जीत रही।
राजनीतिक जीवन
गुरुजी 8 बार लोकसभा सदस्य, 3 बार राज्यसभा सदस्य और 3 बार झारखंड के मुख्यमंत्री भी रहे। उनका जन्म 11 जनवरी 1944 को नेमरा गांव में हुआ था, और अब यह गांव इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गया है। 04 अगस्त 2025 को उनके निधन के साथ एक युग का अंत हो गया।
मरणोपरांत भारत रत्न की मांग
झामुमो प्रवक्ता ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाए। उन्होंने कहा, “गुरुजी केवल झारखंड ही नहीं, पूरे भारत के लिए प्रेरणा हैं। उन्हें भारत रत्न मिलना न केवल झारखंड की अस्मिता का सम्मान होगा, बल्कि करोड़ों वंचितों की आवाज को सम्मानित करने जैसा होगा।”

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