आजादी की असली लड़ाई लड़नी है : आनंद महतो

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आजादी की असली लड़ाई लड़नी है : आनंद महतो
हूल दिवस पर सिन्दरी में शौर्य और बलिदान को किया गया नमन
डीजे न्यूज, सिन्दरी, धनबाद :
30 जून को हूल दिवस के अवसर पर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिब्रेशन की ओर से बिरसा समिति सिन्दरी परिसर में “शौर्य और बलिदान दिवस” का आयोजन किया गया। इस मौके पर 1855 के संथाल विद्रोह में शहीद हुए आदिवासी वीरों– सिदो, कान्हू, चाँद, भैरव, फूलो और झानो को श्रद्धांजलि दी गई।
कार्यक्रम की शुरुआत पूर्व विधायक एवं पोलित ब्यूरो सदस्य आनंद महतो द्वारा स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई। इसके पश्चात उन्होंने सिदो-कान्हू की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर लाल सलाम किया। सिन्दरी के विधायक चन्द्रदेव महतो सहित माले पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं ने भी पुष्प अर्पित कर वीर शहीदों को नमन किया।
सभा की अध्यक्षता नुनुलाल टुडू ने की और संचालन राजीव मुखर्जी ने किया। कार्यक्रम में डॉक्टर हेड लाल टुडू, राज्य कमेटी सदस्य सुरेश प्रसाद, अम्बुज मंडल, बिमल रवानी, जीतू सिंह, बबलू महतो, मनोज रवानी, दीपक महतो, महालाल हसदा सहित दर्जनों कार्यकर्ता शामिल हुए।
आनंद महतो ने कहा कि
“1855 में 400 गांवों के लगभग 50 हजार आदिवासियों ने ‘अंग्रेजो हमारी माटी छोड़ो’ का नारा बुलंद कर अंग्रेजी सत्ता व जमींदारी व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह किया। सिदो-कान्हू जैसे वीरों को पेड़ से लटका कर फांसी दी गई। अंग्रेज चले गए लेकिन साम्राज्यवादी शक्तियों के समर्थन में आज की सरकारें मजदूर विरोधी नीतियां चला रही हैं। हमें आज भी आजादी की असली लड़ाई लड़नी है।”
उन्होंने आगे कहा कि “संघर्ष यात्रा के माध्यम से हम श्रम कानूनों की वापसी, विस्थापन, पलायन, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर जनता को जागरूक कर रहे हैं। वीर शहीदों के बलिदान को व्यवहार में उतारकर ही हम उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।”
विधायक चन्द्रदेव महतो ने कहा:
“जब संविधान पर हमले हो रहे हैं, जनता की आवाज दबाई जा रही है, ऐसे समय में हूल विद्रोह और इसके नेतृत्वकर्ताओं को याद करना और भी महत्वपूर्ण हो गया है। हमें जंगल-जमीन की रक्षा, सामूहिक अधिकारों और सामाजिक सम्मान की लड़ाई को और तेज करना होगा। इस व्यवस्था को बदलने के लिए उलगुलान जरूरी है।”
इस अवसर पर फूलचंद मरांडी, अनिल चक्रवर्ती, मिथुन दरबार, रवि सर, सागर मंडल, शुभम सिंह, राजा बाबू, टिंकू यादव, जेपी सिंह, बवन सिंह समेत कई युवा कार्यकर्ता मौजूद थे। सभी ने एक स्वर में आदिवासी शौर्य की इस विरासत को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया।

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