..ऐसे तो झारखंड में डूब जाएगी कांग्रेस की लुटिया 

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...ऐसे तो झारखंड में डूब जाएगी कांग्रेस की लुटिया 

– प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश खेल रहे मनोनयन-मनोनयन का खेल 

– राज्य के सभी 24 जिलाध्यक्षों से अनुशंसा मंगवा 44 प्रखंड अध्यक्षों का पहले किया मनोनयन, फिर निरस्त कर पुराने अध्यक्षों को कर दिया बहाल, जिलाध्यक्षों को भी जवाब देते नहीं बन रहा

देवभूमि झारखंड न्यूज की खास रिपोर्ट 

दिलीप सिन्हा, रांची : झारखंड में कांग्रेस पहले से झामुमो की बैशाखी पर चल रही है। झामुमो से गठबंधन कर राज्य की सत्ता पर काबिज है। यह हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन की ही देन है कि कांग्रेस लोकसभा और विधानसभा चुनाव में झारखंड में अपनी प्रतिष्ठा बचाने में कामयाब रही है। कांग्रेस के समक्ष झामुमो से इतर अपनी ताकत बढ़ाने की चुनौती है। इसी उद्​देश्य से पार्टी राज्य में संगठन सृजन-2025 चला रही है। लक्ष्य साफ है-संगठन मजबूत कर पार्टी को चार साल बाद होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए तैयार करना। इस परिस्थिति के बीच कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने मनोनयन-मनोनयन का ऐसा खेल खेला क‍ि राज्य में कांग्रेसियों को ऊहापोह में डाल दिया।

आखिर फोन क्‍यों नहीं उठाते 

इससे सबसे ज्यादा किसी की स्थिति खराब हुई है तो वह राज्य के 24 जिलों के कांग्रेस अध्यक्षों की। प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने पहले इन सभी जिलाध्यक्षों को पत्र लिखकर उनके जिले के प्रखंड अध्यक्षों की निष्क्रयता और फोन नहीं उठाने का हवाला देकर बदलने की बात कही। सभी से ऐसे प्रखंड अध्यक्षों के बदले नए प्रखंड अध्यक्षों के मनोनयन के लिए तीन-तीन नामों की अनुशंसा मांगी। प्रदेश अध्यक्ष का आदेश मानते हुए जिलाध्यक्षों ने संबंधित प्रखंडों के लिए तीन-तीन नामों की अनुशंसा भेज दी। प्रदेश अध्यक्ष ने इसके बाद राज्य के 44 प्रखंड अध्यक्षों को हटाते हुए उनकी जगह पर नए प्रखंड अध्यक्षों का मनोनयन कर दिया। यह मनोनयन 19 मई को किया गया। नए प्रखंड अध्यक्षों ने अभी खुशियां भी नहीं मनाई थीं कि दस दिन बाद 30 मई को प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने एक नया आदेश जारी कर द‍िया। इन सभी 44 प्रखंड अध्यक्षों के मनोनयन को निरस्त कर दिया। साथ ही यह आदेश जारी किया कि पुराने प्रखंड अध्यक्ष ही पूर्व की तरह कार्य करते रहेंगे। यह छूट दी कि सिर्फ वैसे प्रखंडों में ही नए प्रखंड अध्यक्ष का मनोनयन वैध होगा जहां के प्रखंड अध्यक्ष ने अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया हो, उनकी मृत्यु हो गई हो या फिर उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया हो। अपना निर्णय पलटने के पीछे अब प्रदेश अध्यक्ष का तर्क भी देख लीजिए-राज्य के सभी प्रखंड अध्यक्षों को संगठन सृजन 2025 के तहत सौ दिन का कार्य दायित्व मंथन कार्यक्रम सौंपा गया है। इसी कारण जो भी नई नियुक्ति की गई है, उसे निरस्त किया गया है।

क्या पहले नहीं मालूम था 

अब कांग्रेसी सवाल पूछ रहे हैं कि क्या प्रदेश अध्यक्ष को यह बात मनोनयन के पूर्व मालूम नहीं थी। प्रखंड अध्यक्षों को हटाने की अनुशंसा किसी जिलाध्यक्ष ने तो नहीं की थी। उन्होंने खुद ही जिलाध्यक्षों से अनुशंसा मांगी थी। प्रदेश अध्यक्ष की इस कार्रवाई से जिलाध्यक्षों को कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जवाब देते नहीं बन रहा है। निश्चित रूप से जिलाध्यक्षों का मनोबल इससे कमजोर हुआ है, जबकि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का पूरा फोकस इस बात पर है कि जिलाध्यक्षों को ताकतवर बनाना है।

प्रदेश अध्यक्ष ने नौ मई को मांगी अनुशंसा, 19 मई को बनाए नए अध्यक्ष और 30 मई को पलटा अपना आदेश 

प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश के निर्देश पर प्रदेश कांग्रेस के कार्यालय प्रभारी अभिलाष साहू ने ने नौ मई को राज्य के 44 प्रखंड अध्यक्षों के लिए अनुशंसा मांगी थी। अनुशंसा मिलने के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष ने 19 मई को 44 नए प्रखंड अध्यक्ष बहाल कर दिए। फिर 30 मई को अपना ही आदेश पलटते हुए सभी मनोनयन रद कर पुराने अध्यक्षों को ही बहाल कर दिया।

बोकारो, धनबाद और पलामू में बनाए गए प्रखंड अध्यक्ष जिनका मनोनयन बाद में निरस्त कर दिया

धनबाद : देवेंद्र कुमार

एग्यारकुंड : राजीव रंजन

बलियापुर : संतोष कुमार मोदक

चंदनकियारी : रामपद रविदास

चास भाग दो : हसानुल्लाह अंसारी 

हुसैनाबाद : शैलेश कुमार सिंह

मेदनीनगर सदर : ललित कुमार सिंह

मेदनीनगर नगर : हैदर खान

हरिहरगंज : सुजीत कुमार सिंह

पीपरा : प्रदीप कुमार सिंह

 

कागज पर नहीं जमीन पर चलाना है कांग्रेस का संगठन : उमेश गुपता

बोकारो जिला कांग्रेस अध्यक्ष उमेश गुप्ता ने कहा है कि प्रदेश अध्यक्ष ने चंदनकियारी प्रखंड से रामपद रविदास और चास भाग दो प्रखंड से हसानुल्लाह अंसारी को नया अध्यक्ष बनाया है। प्रदेश अध्यक्ष का मनोनयन पत्र आने के बाद मैंने दोनों को प्रखंड अध्यक्ष का सर्टिफिकेट भी दे दिया है। दोनों प्रखंड अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं। मुझे पेपर पर नहीं जमीन पर संगठन चलाना है। बोकारो जिले मेंं कांग्रेस का संगठन जमीन पर है। यही कारण है कि बोकारो जिले में कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में इतनी बड़ी सफलता मिली है। बोकारो जिले की सभी चार विधानसभा सीटों पर कांग्रेस और उसके गठबंधन ने कब्जा किया है।

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