जानिए संक्रामक रोग खसरा से बचाव के उपाय

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डीजे न्यूज, गिरिडीह :

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखंड के द्वारा खसरा को एक संक्रामक रोग बताया गया है। इसे लेकर निम्नलिखित निर्देश जारी किए गए हैं।

 

खसरा एक अत्यधिक संक्रामक रोग है जो एक वायरस के कारण होता है। यह पांच साल तक के बच्चों में टीके से रोकी जा सकने वाली मृत्यु का एक महत्त्वपूर्ण कारण है। खसरा “मीजल्स वायरस” नामक वायरस के कारण होता है। खसरा खासने और छीकने के दौरान संक्रमित बूंदों के संचरण से फैलता है।

 

इस तरह करें रोग की पहचान

 

खसरे के आम लक्षण, शरीर पर बड़ी संख्या में लाल चकते और बुखार है। ये लाल चकते चेहरे से शरीर के बाकी हिस्सों में फैल जाते हैं।

 

खसरे की जटिलता

 

मध्ये कान का संक्रमण (निमोनिया), सास लेने में तकलीफ, उपरी वायुमार्ग का संक्रमण, दस्त मस्तिष्क का संकमण(एन्सेफलाइटिस)।

 

क्या किया जाए

 

किसी भी बच्चे / व्यक्ति में लक्षण पाए जाने पर तुरंत एएनएम और चिकित्सा अधिकारी को सूचित करें।

 

खसरा संक्रमण से बचाव के उपाय

 

अच्छी व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें।

हाथ की सफाई रखें, हाथ धोएं या सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।

 

छींकने या खाांसने पर अपने मुंह और नाक को टिशू पेपर से ढक लें। श्वसन संबंधी लक्षण होने पर सर्जिकल मास्क पहनें, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें और तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।

 

खसरे से संक्रमित व्यक्तियों को घर पर रहना चाहिए, संक्रमित बच्चों को स्कूलों / कार्यस्थलों के बाहर रखे ताकि अप्रतिरक्षित बच्चों में संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।

 

खसरा के खिलाफ टीकाकरण सबसे प्रभावी निवारक उपाय है। प्रत्येक बच्चे को एमआर वैक्सीन की दो खुराक मिलनी चाहिए पहली खुराक नौ महीने पूरे होने पर और दूसरी खुराक डेढ़ साल की उम्र में।

 

सभी सहिया और एएनएम यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके क्षेत्र के सभी बच्चों को सभी आयु उपयुक्त टीका मिल गया है, और 9 महीने से अधिक उम्र के बच्चों को एमआर टीका की पहली खुराक मिल गई है।

 

खसरा/रूबेला टीकाकरण

 

खसरा के खिलाफ टीकाकरण सबसे प्रभावी निवारक उपाय है। प्रत्येक बच्चे को एमआर वैक्सीन की दो खुराक मिलनी चाहिए पहली खुराक नौ महीने पूरे होने पर और दूसरी खुराक डेढ़ साल की उम्र में सभी सहिया और एएनएम यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके क्षेत्र के सभी बच्चों को सभी आयु उपयुक्त टीका मिल गया है। सभी बच्चों का टीकाकरण सही उम्र में करने के सभी प्रयास किए जाने चाहिए यानी कि पहली बार डोज 9 महीने से 12 महीने पूरे होने पर और दूसरी डोज 16 से 24वें महीने में दी जानी चाहिए।

 

अगर कोई बच्चा देर से (2 साल से अधिक उन) आता है तो यू.आई.पी के तहत टीके को दो डोज 5 साल की उम्र तक एक महीने के अंतराल पर दी जा सकती है।

 

यदि किसी बच्चे को राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी के अनुसार सभी टीके प्राप्त हैं तो उस पूरक एमआर अभियानों के दौरान टीकाकरण करने की आवश्यकता है।

 

लक्षित आयुवर्ग के आधार पर योग्य बच्चों को विशेष अभियानों के दौरान पूरक एम.आर. टीकों के साथ टीकाकरण जरूर किया जाना चाहिए।

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