
युवा पीढ़ी को भागवत कथा से जोड़ने की जरूरत: हिरण्मय गोस्वामी
नैतिक पतन रोकने और संस्कार निर्माण में सत्संग का बड़ा महत्व
डीजे न्यूज, गोविंदपुर, धनबाद : वृंदावन से आए भागवत मर्मज्ञ हिरण्मय गोस्वामी ने सोमवार को कुलडंगाल, देवली में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दौरान युवा पीढ़ी के भटकाव पर चिंता व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि आज के युवा पढ़ाई से दूर होकर नशे और मोबाइल की लत में फंसते जा रहे हैं, जिससे उनका नैतिक पतन हो रहा है और वे सामाजिक सरोकारों से विमुख हो रहे हैं।
श्री गोस्वामी ने कहा कि देश के विकास में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन वर्तमान में वे अपने लक्ष्य से भटक रहे हैं। अधिकांश युवा पुस्तकों से दूरी बनाकर मोबाइल में लिप्त रहते हैं, जिससे उनका बौद्धिक और नैतिक विकास बाधित हो रहा है। उन्होंने कहा कि भागवत कथा युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने और उनके चरित्र निर्माण में मदद कर सकती है।
सत्संग से सुधार संभव
हिरण्मय गोस्वामी ने कहा कि अंगुलीमाल और रत्नाकर जैसे लोग सत्संग और कथा के माध्यम से अपने जीवन में सुधार लाए थे। उसी तरह आज की युवा पीढ़ी को भी कथा और सत्संग के माध्यम से संस्कारवान बनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि जहां-जहां भागवत कथा होती है, वहां के युवाओं को वे संस्कार देने का प्रयास करते हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि युवा वर्ग भागवत कथा सुनने से कतराता है, लेकिन वे आयोजकों से आग्रह कर युवाओं को कथा में शामिल होने के लिए प्रेरित करते हैं।
ग्रामीणों का सराहनीय योगदान
इस कथा आयोजन में विभूतिभूषण पांडेय समेत समस्त ग्रामीणों का योगदान सराहनीय रहा। श्री गोस्वामी ने कहा कि सनातन धर्म में नैतिकता बेहद जरूरी है, लेकिन लोग इससे दूर हो रहे हैं। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे सत्संग और भागवत कथा से जुड़ें, जिससे उनका व्यक्तित्व निखर सके और वे समाज के प्रति अपने दायित्व को समझ सकें।