यूं ही नहीं हैदराबाद के लोगों के दिलों पर राज करते हैं ओवैसी

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यूं ही नहीं हैदराबाद के लोगों के दिलों पर राज करते हैं ओवैसी

एआईएमआईएम मुख्यालय दारुस्सलाम में सुबह दस से शाम चार बजे तक एक साथ बैठते हैं असदुद्दीन ओवैसी व उनकी पार्टी के सभी सातों विधायक व दो विधान पार्षद, बिना भेदभाव लोगों का करते हैं काम

ऑपरेशन सिंदूर के बाद देशभर में ओवैसी को लोग मानने लगे हैं कट्टर देशभक्त

दिलीप सिन्हा, दारुस्लाम (हैदराबाद) : पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों को धर्म पूछकर गोली मारने की पाकिस्तानी आंतकवादियों की घृणित कार्रवाई और फिर ऑपरेशन सिंदूर के बाद हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की छवि पूरे देश में कट्टर देशभक्त के रूप में निखरकर सामने आई है। एशिया कप में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने का विरोध उन्होंने संसद में जोरदार तरीके से किया। इतना ही नहीं मैच शुरू होने से पहले तक वह विरोध करते रहे और मैच का बहिष्कार करने की घोषणा की। देश के अंदर और पूरी दुनिया में उन्होंने पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया। यही कारण है कि जो लोग कल तक उनको कट्टर मुस्लिम छवि वाला नेता बता विरोध कर रहे थे, वे आज खुलकर ओवैसी को देशप्रेमी बता रहे हैं।

देश की जनता ने ओवैसी को आज जाना, पर हैदराबाद की जनता 40 साल पहले जान चुकी थी

देशभर के लोगों ने आज ओवैसी को समझा है, जबकि हैदराबाद की जनता पांच दशक पहले ही ओवैसी और उनकी पार्टी जिसके वह अध्यक्ष हैं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) को समझ चुकी थी। तभी तो पिछले चार दशक से ओवैसी परिवार एवं उनकी पार्टी हैदराबाद के लोगों के दिलों में राज कर रही है।
तेलंगाना के पुराने हैदराबाद शहर एवं आसपास के नौ विधानसभा क्षेत्रों से ओवैसी अपनी पार्टी से प्रत्याशी देते हैं। उनमें से सात पर उनकी पार्टी लगातार जीत रही है। चुनाव जीतने का स्ट्राइक रेट सबसे बेहतर एआईएमआईएम का है। आखिर क्या राज है हैदराबाद के लोगों के दिलों में ओवैसी के राज करने का, यह जानने हम पिछले दिनों तेलंगाना के पुराना हैदराबाद शहर गए थे।

हम सीधे ओवैसी की पार्टी के मुख्यालय दारुस्सलाम पहुंचे। बड़े गेट से हम परिसर के अंदर पहुंचे। चारों ओर बड़े-बड़े शैक्षणिक भवन, उर्दू अखबार का संपादकीय भवन और उसमें से एक भवन एआईएमआईएम कार्यालय का भी है। सुबह के करीब साढ़े दस बज रहे थे। परिसर के अंदर एक-एक कर साधारण गाड़ियों से लोगों का दफ्तर आना शुरू हो रहा है। पूछने पर पता चला कि सभी विधायक और विधान पार्षद हैं। आते ही सभी दफ्तर के ठीक सामने वाले हिस्से पर जहां एक साथ एक लाइन में दस कुर्सियां लगी थीं, बैठ गए। सामने बेंच जैसा फर्नीचर था। पहली कुर्सी खाली थी, पता चला यह कुर्सी सदर साहब अर्थात असदुद्दीन ओवैसी की है। वह पार्टी की रैली को संबोधित करने राज्य के बाहर गए हैं। बाकी नौ कुर्सियां विधायकों और विधान पार्षद की हैं। एक-एक कर सभी विधायक और विधान पार्षद अपनी-अपनी कुर्सियों पर बैठते गए। सामने जनता की भीड़ थी। एक-एक कर जनता अपने-अपने क्षेत्र के विधायकों के पास पहुंचती है, फरियाद सुनाती हैं। कोई लिखित कागज लेकर पहुंचा है, कोई जुबानी सुना रहा है। इस भीड़ में मुस्लिम भी हैं, हिंदू भी, अन्य धर्म के भी। जितने भी विधायक वहां थे, बिना किसी का चेहरा देखे फरियादियों की समस्याएं निपटा रहे थे।

जिन अधिकारी को फोन करना था, उनको फोन कर निर्देश दे रहे थे। किसी विभाग को पत्र लिखना था तो वह काम भी कर रहे थे। सामने वाले कमरे में कर्मचारी बैठे थे, जो पैड पर टाइप कर संबंधित अधिकारियों को भेज रहे थे। या फरियादी को सीधे दे रहे थे। किसी भी विधायक या विधान पार्षद ने यह नहीं देखा कि समस्या लेकर आने वाले कौन हैं। किस धर्म या जाति से हैं। हमारी टीम में बिहार के भी एक युवक थे, जो भाजपा के कट्टर समर्थक थे, वह दारुस्सलाम में विधायकों के काम को देखकर हतप्रभ रह गए। देवभूमि झारखंड न्यूज से बातचीत करते हुए एक विधायक ने बताया कि सभी विधायकों को सोमवार से शुक्रवार तक यहां सुबह दस बजे से शाम चार बजे तक बैठना पड़ता है। जनता की समस्याओं का समाधान करना होता है। खुद सदर असदुद्दीन ओवैसी भी इस रूटीन का पालन करते हैं। सिर्फ सदन चलने की स्थिति में या फिर हैदाराबाद से बाहर रहने की स्थिति में ही विधायक पार्टी मुख्यालय नहीं पहुंचते हैं। पार्टी धर्म के नाम पर कोई भेदभाव नहीं करती है। दारुस्सलाम में कई कर्मचारी हमारे हिंदू भाई हैं। हैदराबाद में प्रवासी मजदूरों के हित में काम करने वाले झारखंड एकता समाज के अध्यक्ष जीत यादव ने देवभूमि झारखंड न्यूज को बताया कि असदुद्दीन ओवैसी एवं उनकी पार्टी एआईएमआईएम हैदराबाद में समाज के सभी वर्गों को लेकर चलती है। सस्ता इलाज और गरीबों के बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा ओवैसी परिवार की पहचान है। जीत यादव ने बताया कि दूसरे राज्यों से रोजगार के लिए यहां आने वाले लोगों के साथ भी वे खड़े रहते हैं। प्रवासी मजदूरों को कभी भी एआईएमआईएम के लोगों से परेशानी नहीं हुई है। यहां हम आपको बता दें कि जीत यादव झारखंड के गिरिडीह जिले के रहने वाले हैं।

...तभी तो राजनीतिक लहरें मूसी नदी पर बने पुल पर आकर ठहर जाती है

पुराने शहर हैदराबाद में एआईएमआईएम का जलवा पिछले करीब पांच चार दशक से कायम है। पहली बार 1984 में सलाहुद्दीन ओवैसी हैदराबाद से सांसद चुने गए। उनके बाद उनके पुत्र असदुद्दीन ओवैसी वहां से लगातार सांसद हैं। एआईएमआईएम ने इस बार भी अपनी चारमीनार, बहादुरपुरा, मलकपेट, चंद्रयानगुट्टा, नामपल्ली, याकुतपुरा और कारवां विधानसभा सीट बरकरार रखी है। चारमीनार से मीर जुल्फीकार अली, बहादुरपुरा से मोहम्मद मुबीन, मलकपेट से अहमद बिन अब्दुल्लाह बलाला, चंद्रयानगुट्टा से अकबरुद्दीन ओवैसी, नामपल्ली से मोहम्मद माजिद हुसैन एवं याकुतपुरा से जफर हुसैन जीते हैं।भले ही केसीआर की पार्टी सत्ता से बाहर हो गई और कांग्रेस सत्ता पर बैठ गई, लेकिन ओवैसी का किला कोई हिला नहीं सका। पूरे तेलंगाना में सात मुस्लिम विधायक हैं और सभी ओवैसी की पार्टी से हैं। मशहूर क्रिकेटर अजहरउद्दीन को लाख कोशिश के बावजूद कांग्रेस विधानसभा चुनाव नहीं जिता सकी। तभी तो कहा जाता है कि तेलंगाना में राजनीतिक लहरें मूसी नदी पर बने नए पुल पर आकर ठहर जाती है। कारण, पुल के उस पार ओवैसी का प्रभाव क्षेत्र शुरू होता है। संयुक्त आंध्र प्रदेश हो या फिर तेलंगाना में सत्ता में कोई भी दल आया हो, लेकिन ओवैसी का गढ़ बरकरार रहा।

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