
यहां मलाई, बिहार में चिकनाई को भी तरसे
मस्तराम की चौपाल
दिलीप सिन्हा
कांग्रेस, राजद और भाकपा माले झारखंड में झामुमो की बैशाखी के सहारे अपने दल को मजबूत कर सत्ता की मलाई खा रहे हैं। लेकिन, यही तीनों दल बिहार में झामुमो को ठेंगा दिखा रहे हैं। अरे भइया और तो और बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर आइएनडीआइए की बैठकों में झामुमो को न्योता तक नहीं मिल रहा है, यह दीगर है कि झामुमो आमंत्रण के इंतजार में आस लगाए है। इधर मस्तराम चौपाल लगाए हुए थे। चौपाल में चेलों ने गुरुजी की पार्टी की बेबसी को उठाया। मस्तराम ने कहा-इसमें आश्चर्य कहां। राहुल गांधी व तेजस्वी यादव मानते हैं कि बिहार में झामुमो का अस्तित्व ही नहीं है। सो, हेमंत को पहले झारखंड में तीनों दलों को आईना दिखाना होगा। फिर, तेजस्वी की तरह पटना में कैंप करना होगा। सिर्फ रांची में बयानबाजी से काम नहीं चलेगा। यह राजनीति है। यहां मांगने से मिलने वाला नहीं है चेलों, आखें तो तरेरनी पड़ेंगी ना।
लापता नहीं हूं, मेरा पोस्टर लगाने की जरूरत नहीं
चंद्रप्रकाश चौधरी सांसद हैं। सांसद पर गिरिडीह के लोग क्षेत्र से गायब रहने का आरोप लगाते रहे हैं। सिविल सोसाइटी गिरिडीह ने खुला आरोप लगाया कि जीतने के बाद सांसद को किसी ने देखा नहीं है। यदि किसी ने देखा है तो उसे इनाम दिया जाना चाहिए। सांसद के गायब होने का पोस्टर लगाने तक की बात सिविल सोसाइटी ने की है। इस बार चौपाल में यह मामला भी उठा। मस्तराम ने चेलों से कहा-देखा नहीं अपने सांसद अचानक रेस हो गए हैं। अपने पुराने मित्र टाइगर के क्षेत्र बाघमारा में बीसीसीएल के खिलाफ आंदोलन पर बैठ गए। फिर तुरंत जमुआ में आजसू की बैठक में शामिल हुए। संदेश साफ है-गायब नहीं हैं साहब। खैर, यह अलग बात है कि टाइगर उन्हें आईना दिखा रहे-भूलिएगा नहीं, इस बार आपकी जीत हमारी बदौलत है। यही रवैया रहा तो हैट्रिक का सपना धरा रह जाएगा।
बालू तस्करी पर अंकुश या…
कोयलांचल में बालू की तस्करी पिछले एक पखवारे से पूरी तरह से बंद है। तस्कर और खाकी वाले दोनों परेशान हैं। हों भी क्यों नहीं, इतना बड़ा आर्थिक चोट जो लग रही है। सभी बालू घाटों में सुबह से रात तक सन्नाटा पसरा हुआ है। ना हाइवा चल रहा है और ना ही ट्रक व ट्रैक्टर। खाकी वाले साहब अपने-अपने क्षेत्रों में तस्करों को संदेश दे रहे हैं-बालू उठाव का अभी आदेश नहीं है। साहब बड़े सख्त हैं। चौपाल में चेलों ने यह मामला भी उठाया। मस्तराम ने कहा-बड़ी अच्छी बात है कि बालू तस्करी बंद है। लेकिन-तस्करों और खाकी वालों का अभी गठजोड़ टूटा नहीं है। उन्हें उम्मीद है कि जल्द परमिशन मिल जाएगी। कारण, बालू का पैसा खाकी से लेकर और भी जगह पहुंचता है। सिर्फ रेट पर बात अटकी है। तब तक इंतजार करना होगा।
साधु बाबा पर शिक्षा विभाग मेहरबान
धनबाद का शिक्षा विभाग एक साधु पर मेहरबान। चौंकिए नहीं, यह कोई संत नहीं हैं। एक ठेकेदार का उपनाम है। यह साधु अधिकारियों को खुश कर जमकर मलाई खा रहे हैं। ड्रेस सप्लाई हो या फिर स्कूलों तक मध्याह्न भोजन का राशन, सब ठेका साधु ब्रदर्स को। मध्याह्न भोजन का चावल पहुंचाने मेंं साधु महाराज किस तरह मलाई खा रहे हैं, यह समझ लीजिए। गोदाम से स्कूलों तक मध्याह्न भोजन का चावल पहुंचाते हैं। औरसतन 225 बोरा में सौ क्विंटल चावल होता है। साधु स्कूलों में बिना वजन किए चावल देते हैंं। वह प्रत्येक बोरा में 50 किलो चावल बताकर शिक्षकों को सौंप देते हैं। इस तरह प्रति ट्रक 25 बोरा चावल मतलब प्रति ट्रक साढ़े बारह क्विंटल चावल का घपला। किसी मास्टर साहब ने वजन कराने के लिए मुंह खोला तो साधु से लेकर विभाग के अधिकारी तक उसकी नींद हराम कर देते हैं। खैर, हम तो चुप ही रहेंगे।