…यहां अनाथ बच्चों को मिल रही नई जिंदगी की राह 

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…यहां अनाथ बच्चों को मिल रही नई जिंदगी की राह 

पूर्वी टुंडी के पोखरिया में नि:शुल्क अनाथ आवासीय विद्यालय खोलकर 45 अनाथ बच्चों के जीवन में उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं विधायक मथुरा महतो 

दिलीप सिन्हा, पूर्वी टुंडी(धनबाद) : धनबाद जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर पूर्वी टुंडी के पोखरिया गांव में स्थित शहीद शक्तिनाथ महतो उच्च विद्यालय है। इस विद्यालय में पहली कक्षा से लेकर दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है। देवभूमि झारखंड न्यूज की टीम इस विद्यालय तक पहुंची है। एक हॉलनुमा कमरे में छोटे-छोटे बच्चे बैठे हैं। जैसे ही हम हॉल के अंदर प्रवेश करते हैं, ये मासूम बच्चे गुड मॉर्निंग कहकर एक-एक कर हम सभी के पांव छूकर प्रणाम करते हैं।

बच्चे काफी प्रसन्नचित लग रहे हैं। ऐसा लगता है मानो इनका भी जीवन आम बच्चों से अलग नहीं है। बात करने पर पता चलता है कि ये सभी बच्चे अनाथ हैं। इनमें से किसी के भी मां-बाप इस दुनिया में नहीं हैं। रिश्तेदार कोई ऐसा नहीं है जो इनका पालन कर सके। पूछने पर पता चलता है कि इसी शक्तिनाथ महतो विद्यालय परिसर में चल रहे अनाथ विद्यालय में ये पढ़ते हैं और यहीं छात्रावास में रहते हैं। इनके रहने, पढ़ने से लेकर सारी सुविधाएं निशुल्क उपलब्ध कराई गई है। पता चलता है कि यह सुविधाएं सरकार ने नहीं बल्कि टुंडी के झामुमो विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने निजी स्तर पर उपलब्ध कराई है। ऐसा कर

 

गरीबी और लाचारी की मार झेल रहे इन अनाथ बच्चों के जीवन में उम्मीद की किरण बनकर विधायक मथुरा प्रसाद महतो उभरे हैं। उन्होंने पूर्वी टुंडी में एक अनाथ आवासीय विद्यालय की स्थापना कर 45 ऐसे मासूमों को न केवल शिक्षा का अवसर दिया है, बल्कि उन्हें स्नेह, सुरक्षा और सम्मान से भरा नया घर भी दिया है। उन्होंने समाज के सबसे वंचित वर्ग-अनाथ बच्चों-के जीवन में उजियारा लाने का कार्य किया है। पूर्वी टुंडी में उन्होंने अपने प्रयासों से “अनाथ आवासीय विद्यालय” की स्थापना की है, जहां फिलहाल 45 बच्चे रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। ये सभी वैसे बच्चे हैं जिनके माता-पिता का निधन हो चुका है और जिनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं था। इन बच्चों में दक्षिणी टुंडी के भी दो बच्चे शामिल हैं जिनके पिता की हत्या उनके मां ने कर दी और जेल चली गई। इस तरह से इनके पिता की हत्या हो गई और इस अपराध में उनके माता जेल चली गई। अब इनकी परवरिश कौन करता। ऐसे समय में यह अनाथ विद्यालय ही इनका नया बसेरा बना। यहां रहने वालों में धनबाद जिले के अलावा बोकारो, देवघर से लेकर बंगाल एवं छत्तीसगढ़ के भी बच्चे शामिल हैं।

विद्यालय में बच्चों के लिए निशुल्क आवास, भोजन, वस्त्र और पठन-सामग्री और खेल सामग्री की संपूर्ण व्यवस्था की गई है।

बच्चों के लिए फ्रीज भी उपलब्ध है। यहां प्रशिक्षित शिक्षकों की देखरेख में बच्चों को प्राथमिक से उच्च स्तर तक की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है। साथ ही खेलकूद, योग, संगीत और नैतिक शिक्षा के जरिए बच्चों के सर्वांगीण विकास पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने कहा कि समाज का असली विकास तभी संभव है जब कोई बच्चा अनाथ होने के कारण शिक्षा और अवसर से वंचित न रहे। इसी उद्​देश्य से एक साल पूर्व इस विद्यालय की स्थापना की गई। फिलहाल इस विद्यालय में 50 बच्चों के लिए व्यवस्था है। भविष्य में बच्चों की संख्या और भी बढ़ाई जाएगी। उन्होंने बताया कि अब तो लोग बाहर से यहां आकर बच्चों के साथ अपना जन्मदिन भी मनाते हैं। झामुमो नेता मदन महतो कहते हैं कि यहां आकर काफी सुकून मिलता है। इधर विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों ने बताया कि यहां उन्हें न केवल पढ़ाई का मौका मिला है बल्कि “घर जैसी ममता” भी महसूस होती है। इस कारण यहां रह रहे बच्चे पर्व त्योहार में भी अपने रिश्तेदारों के यहां जाना नहीं चाहते हैं। विद्यालय परिवार की ओर से दुर्गापूजा में यहां के सभी बच्चों को बस से धनबाद के पूजा पंडालों का भ्रमण करने ले जाया गया। टाउन हॉल में मैजिक शो भी दिखा गया। रेस्टोरेंट में उनके लिए भोजन का भी प्रबंध किया गया। कई बच्चों ने कहा कि अब वे बड़े होकर डॉक्टर, शिक्षक और पुलिस अधिकारी बनकर समाज की सेवा करना चाहते हैं।

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