
उग्र प्रदर्शनकरियों की तोपचांची में पुलिस से धक्कामुक्की
प्रखंड कार्यालय का ताला खुलवाने पहुंची थी पुलिस
डीजे न्यूज, तोपचांची, धनबाद : तोपचांची प्रखंड के पिपराडीह गांव के ग्रामीणों ने शुक्रवार को प्रखंड सह अंचल कार्यालय के मुख्य गेट पर ताला लगाकर उग्र प्रदर्शन किया। सड़क निर्माण की मांग को लेकर पिछले चालीस दिनों से धरना दे रहे ग्रामीणों ने प्रशासन की उदासीनता से आक्रोशित होकर यह कदम उठाया।
ताला बंद होने के कारण कार्यालय में कार्यरत कर्मी, ‘मईया सम्मान योजना’ की जानकारी लेने आईं दर्जनों महिलाएं और अन्य लोग करीब दो घंटे तक अंदर फंसे रहे। धरनारत ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक, सांसद और उनके प्रतिनिधियों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। उनका आरोप था कि इतने दिनों से धरना देने के बावजूद जनप्रतिनिधियों ने उनकी सुध नहीं ली।
करीब एक बजे थाना प्रभारी डोमन रजक दल-बल के साथ प्रखंड कार्यालय पहुंचे। ताला खुलवाने के प्रयास में ग्रामीणों और पुलिस के बीच हल्की धक्का-मुक्की हुई, लेकिन थाना प्रभारी ने सूझबूझ से स्थिति को संभाला और अंदर फंसे लोगों को बाहर निकाला। इसके बाद भी, ग्रामीणों ने पुनः कार्यालय में ताला जड़ दिया।
ढाई बजे प्रखंड प्रमुख आनंद महतो, उप प्रमुख हेमलाल महतो, बीडीओ एजाज हुसैन अंसारी, सीओ डॉ. संजय कुमार सिंह और थाना प्रभारी डोमन रजक ने ग्रामीणों से वार्ता की। ग्रामीणों ने गांव का नक्शा प्रस्तुत करते हुए बताया कि प्रस्तावित सड़क का कुछ हिस्सा रैयती जमीन और कुछ वन विभाग की भूमि पर आता है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि वन विभाग से एनओसी प्राप्त करने के लिए शीघ्र पत्र लिखा जाएगा और ग्रामीण रैयती जमीन का एनओसी रैयतों से उपलब्ध कराएं। दो महीने के भीतर सड़क निर्माण कार्य शुरू करने का वादा किया गया।
वार्ता के बाद, ग्रामीणों ने दो महीने का समय देते हुए आंदोलन स्थगित किया, लेकिन चेतावनी दी कि यदि निर्धारित समय में कार्य प्रारंभ नहीं हुआ तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। धरने में जेएलकेएम के प्रखंड अध्यक्ष संतोष कुमार महतो ने भी समर्थन दिया, उन्होंने कहा कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी गांव में सड़क न बन पाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
गौरतलब है कि पिपराडीह गांव में सड़क निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीणों ने पहले भी अनिश्चितकालीन धरना दिया था, जिसमें डुमरी विधायक जयराम महतो ने समर्थन जताते हुए इस मुद्दे को सदन में उठाने का आश्वासन दिया था।
इसके बावजूद, प्रशासनिक स्तर पर ठोस कार्रवाई न होने से ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है, जो इस तालेबंदी और विरोध प्रदर्शन में स्पष्ट रूप से दिखाई दिया।