तकनीकी उत्कृष्टता के साथ राष्ट्र निर्माण में भी दें योगदान : द्रौपदी मुर्मू दीक्षांत केवल वर्षों की मेहनत और संघर्ष का सम्मान नहीं, बल्कि जीवन के नए अध्याय की शुरुआत है आइआइटी आइएसएम दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने दी सीख 

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तकनीकी उत्कृष्टता के साथ राष्ट्र निर्माण में भी दें योगदान : द्रौपदी मुर्मू

दीक्षांत केवल वर्षों की मेहनत और संघर्ष का सम्मान नहीं, बल्कि जीवन के नए अध्याय की शुरुआत है

आइआइटी आइएसएम दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने दी सीख

डीजे न्यूज, धनबाद : आइआइटी आइएसएम धनबाद के दीक्षांत समारोह में शुक्रवार को देश के भावी इंजीनियरों और शोधकर्ताओं को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें केवल तकनीकी उत्कृष्टता तक सीमित न रहने, बल्कि राष्ट्र निर्माण और सामाजिक परिवर्तन की दिशा में भी सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर है और इसमें युवाओं को अग्रदूत की भूमिका निभानी होगी।

राष्ट्रपति ने पदक और उपाधि प्राप्त सभी छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि दीक्षांत केवल वर्षों की मेहनत और संघर्ष का सम्मान नहीं, बल्कि जीवन के नए अध्याय की शुरुआत है। इस अवसर पर उन्होंने Doctor of Science (Honoris Causa) से सम्मानित डॉ. पी.के. मिश्रा को भी बधाई दी।

उन्होंने आइआइटी आइएसएम की लगभग 100 वर्षों की गौरवशाली विरासत और तकनीकी क्षेत्र में योगदान का उल्लेख करते हुए जनजातीय समाज के सशक्तिकरण, कौशल विकास और अनुसंधान में संस्थान की पहलों की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहा, “आपके ज्ञान और कौशल का उपयोग समाज और देश की वास्तविक समस्याओं के समाधान के लिए होना चाहिए। विकास प्रकृति के साथ सामंजस्य में होना चाहिए, न कि उसकी कीमत पर।”

उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे नवाचार को करुणा से जोड़ें और अपने ज्ञान को जनहित का माध्यम बनाएं, ताकि भारत न केवल तकनीकी महाशक्ति बने, बल्कि न्यायपूर्ण, समान और सतत विकास का उदाहरण भी पेश करे।

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