सिंदरी को सुंदरी बनाने का कोई रोड मैप नहीं : अशोक सिंह

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सिंदरी को सुंदरी बनाने का कोई रोड मैप नहीं : अशोक सिंह 

कांग्रेस नेता ने भाजपा सरकार पर साधा निशाना

डीजे न्यूज, धनबाद : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और झारखंड पेट्रोलियम डीलर ऐसीसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने कहा है कि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को सिंदरी और धनबाद आए। भाजपा शासन में बंद हुए सिंदरी खाद कारखाने की जगह चालू कारखाने हर्ल का उद्घाटन किया और धनबाद से चुनावी सभा को संबोधित किया। लेकिन सिंदरी कैसे सुंदरी बनेगी, सिंदरी के लोगों का जीवन कैसे खुशहाल होगा? चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य सरकार कोसने में अपनी ऊर्जा लगा दी परंतु रोजगार पर एक भी शब्द नहीं कहा।

धनबाद के लोगों की एयरपोर्ट की मांग बरसों से रही हैं, इस पर कुछ नहीं कहा। धनबाद रेल मंडल जो सर्वाधिक राजस्व देता है, लेकिन धनबाद से एक भी ट्रेन दिल्ली या मुंबई के लिए नहीं हैं, जिसकी मांग हमेशा से धनबाद की जनता करती रही है।धनबाद के लोगों के मन में क्या बात है? इन सब बातों की कोई चर्चा नहीं हुई। इससे सिंदरी, धनबाद को बड़ी निराशा हाथ लगी। वरीय कांग्रेस नेता अशोक कुमार सिंह ने कहा है कि खाद कारखाना सहित अन्य संस्थाओं के बंद होने से एक समय की हंसती, खेलती सिंदरी बिलकुल बदहाल हो गई है। तीन संस्थाओं की जगह hurl कंपनी का उद्घाटन हुआ। यह केवल चुनाव के पहले बेजा क्रेडिट लेने का प्रयास नहीं, तो और क्या हो सकता है। क्योंकि पिछले एक वर्ष से हर्ल कारखाने से उत्पादन चालू है.फिर चुनाव के पहले उद्घाटन का क्या मतलब। ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री को धनबाद के सांसद, यहां के विधायक अथवा प्रदेश के भाजपा नेता सही फीडबैक नहीं दिए होंगे। उन्हें नहीं बताया गया होगा कि सिंदरी और धनबाद के लोग किन-किन समस्याओं से जूझ रहे हैं। यहां की किन किन मूलभूत सुविधाओं के लिए जनता परेशान है। सिंदरी में खाद कारखाना, पीडीआईएल और एचएफसी तीन संस्थान बंद हुए थे। भारी मात्रा में उस समय रोजगार थे। लेकिन आज hurl जैसे मशीन बेस्ड आधुनिक कारखाने में कितने लोगों को रोजगार मिल पाएगा, यह एक बड़ा सवाल है। रोजगार के लिए रोज ही आंदोलन हो रहे हैं।

सिंदरी से लेकर धनबाद और धनबाद से लेकर दिल्ली तक का कण कण गवाह है कि सिंदरी खाद कारखाने की बंदी के बाद कितना तीव्र आंदोलन हुआ था। लेकिन भाजपा की अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने इस कारखाने को बंद करने का निर्णय लिया तो वह फाइनल निर्णय साबित हुआ। लोग आंदोलन करते रहे। बंद तो सिर्फ सिंदरी खाद कारखाना ही नहीं हुआ था। एक ही समय सिंदरी, गोरखपुर और बरौनी खाद कारखाने को बंद करने का केंद्र सरकार ने निर्णय लिया था। एक झटके में ही तीनों जगह कारखाने को बंद कर दिए गए। तीनों जगह पर खाद के उत्पादन के लिए hurl कंपनी काम कर रही है। लेकिन यह कंपनी खाद कारखाने का विकल्प बनेगी अथवा नहीं, यह बड़ा सवाल है। सिंदरी खाद कारखाने का शिलान्यास 2018 में चुनाव के ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था और अब इसका उद्घाटन 2024 के चुनाव के पहले पहली मार्च को हुआ। सवाल उठाए जा रहे हैं कि जिस समय सिंदरी खाद कारखाना बंद हुआ, उस समय स्थाई कर्मियों की संख्या लगभग 2500 थी जबकि ठेका कर्मी लगभग 3500 कार्यरत थे। यह कारखाना 2002 के 31 दिसंबर को बंद हुआ. बात सिर्फ सिंदरी खाद कारखाने की नहीं है। पीडीआइएल के सिंदरी यूनिट को भी बंद कर दिया गया। यह 2003 बंद किया गया। पीडीआईएल के सिंदरी यूनिट का खाद कारखाने के उत्पादन में रिसर्च को लेकर डंका बजता था लेकिन PDIL की सिंदरी यूनिट सरकार की आंखों में गड़ गई और 2003 में इसे भी बंद कर दिया गया। हालांकि अभी इसका नोएडा यूनिट चल रही है। बंदी के समय PDIL में लगभग 2000 स्थाई कर्मचारी कार्यरत थे। 1000 के लगभग ठेका मजदूर भी काम करते थे। निश्चित रूप से लोग चाहेंगे कि hurl भी लोगों को खाद कारखाने के अनुपात में नागरिक सुविधा दे लेकिन अभी तो नहीं मिल रहा है। लोग बता रहे हैं कि खाद कारखाने के समय सिंदरी में कुल 9 स्कूल थे जहां बच्चों का नामांकन होता था। फिलहाल सभी स्कूल बंद हो गए हैं। सिंदरी के गरीब बच्चों को पढ़ने के लिए दूर दराज के इलाकों में जाना पड़ता है। सिंदरी में ए क्लास का 205 बेड का मेडिकल अस्पताल था. उस अस्पताल में इलाज के लिए दूर दराज से लोग आते थे। सिंदरी खाद कारखाने के बंदी के साथ वह अस्पताल भी बंद हो गया। यह अलग बात है कि अभी लायंस क्लब ने इसे लिया है लेकिन यह अस्पताल अभी चालू नहीं हुआ है। अब आ जाइए, hurl में लोगों को रोजगार देने का दावा किया जा रहा है। एक आंकड़े के मुताबिक 300 से 350 स्थाई कर्मचारी हैं और लगभग 1000 ठेकेदार के अधीन कर्मी काम करते हैं। कहा तो यह भी जाता है कि यह प्लांट बहुत ही आधुनिक है। इसलिए मशीन से काम अधिक होता है। सिंदरी खाद कारखाना और पीडीआईएल की “लाश” पर जो यह hurl कारखाना उद्घाटित हुआ है, यह लोगों के विश्वास पर, लोगों की सुविधाओं पर, लोगों की चिकित्सा व्यवस्था पर, लोगों की शिक्षा पर कितना खरा उतरेगा, यह एक बहुत बड़ा सवाल है।

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