टाइगर जयराम महतो के गढ़ में आदिवासियों की ललकार 

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टाइगर जयराम महतो के गढ़ में आदिवासियों की ललकार  

कुर्मी समाज के एसटी मांग के खिलाफ डुमरी में सड़कों पर निकला आदिवासियों का जनसैलाब, जन आक्रोश रैलीमें हजारों की संख्या में पारंपरिक वेशभूषा और हथियारों से सजे आदिवासी महिला-पुरुषों ने जताया विरोध, कहा-अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए हर कुर्बानी देंगे

डीजे न्यूज, डुमरी(गिरिडीह) : कुड़मी/महतो समाज को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने की मांग के विरोध में गुरुवार को आदिवासी समाज द्वारा आदिवासी जन आक्रोश रैली का आयोजन किया गया। यह रैली डुमरी के केबी उच्च विद्यालय मैदान से निकली, जिसमें हजारों की संख्या में आदिवासी पुरुष, महिलाएं, युवक और युवतियां पारंपरिक हरवे-हथियार और वेशभूषा में शामिल हुए। रैली में डुमरी प्रखंड ही नहीं, बल्कि आसपास के प्रखंडों से भी बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग पहुंचे। केबी उच्च विद्यालय मैदान से रैली नारेबाजी करते हुए इसरी बाजार चौक तक गई और फिर पुनः विद्यालय मैदान लौटकर विशाल सभा में परिवर्तित हो गई। विदित हो कि डुमरी विधानसभा क्षेत्र जेएलकेएम प्रमुख टाइगर जयराम महतो का गढ़ है। वह वहां के विधायक हैं। रैली में आदिवासियों ने जयराम महतो के खिलाफ जमकर नारे लगाए।

पारंपरिक परिधानों में सजे लोगों की भीड़ इतनी बड़ी थी कि रैली की लंबाई करीब डेढ़ से दो किलोमीटर तक फैल गई। भीड़ के बावजूद प्रतिभागी पूरी तरह अनुशासित रहे। सुरक्षा व्यवस्था की कमान एसडीपीओ डुमरी सुमित प्रसाद ने स्वयं संभाली थी। उनके साथ निमियाघाट थाना प्रभारी सुमन कुमार और डुमरी थाना प्रभारी प्रणीत पटेल समेत भारी पुलिस बल मुस्तैद था और रैली के साथ-साथ चल रहा था।

सभा में केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष गुंजन तिर्की, समिति की महिला मोर्चा की केंद्रीय अध्यक्ष निशा भगत, सिकंदर हेम्ब्रम, ईश्वर हेम्ब्रम, चरकू मरांडी, गणेश चन्द्र टुडू, शिवनाथ संथाल, सुरेश किस्कु समेत कई वक्ताओं ने संबोधित किया। सभा को संबोधित करते हुए निशा भगत ने कहा किआदिवासी समाज अपनी अस्मिता और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। छल-प्रपंच में माहिर कुड़मी/महतो समाज पहले अपने को क्षत्रिय बताता था, अब आदिवासी बनना चाहता है। यह मंशा कभी पूरी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हर संघर्ष और कुर्बानी देने को तैयार है।

सभा में सुकर बास्के, महादेव हांसदा, अनील बास्के, सुगन बेसरा, बिरजू हेम्ब्रम, राहुल सोरेन, सुकरलाल बास्के, हिरामुनी सोरेन, आरती बेसरा, सिमोनी टुडु, मैना हेंब्रम, गुड़िया देवी, आरती मुर्मू, बसन्ती टुडु, रूपानी देवी समेत हजारों की संख्या में लोग उपस्थित रहे। इस जन आक्रोश रैली ने डुमरी क्षेत्र में आदिवासी एकता और अस्मिता की भावना को नए सिरे से मजबूत किया।

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