
सरकार की वादाखिलाफी से भड़के सहायक अध्यापक, आंदोलन के लिए हो रहे गोलबंद
डीजे न्यूज, रांची : झारखंड राज्य प्रशिक्षित सहायक अध्यापक संघ ने राज्य सरकार के प्रति गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायादेश के बावजूद अब तक राज्य के सहायक अध्यापकों को “समान काम का समान वेतन” नहीं दिया गया है। संघ ने स्पष्ट किया कि यदि शीघ्र ही सरकार इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाती है तो राज्यव्यापी जोरदार आंदोलन किया जाएगा।
संघ ने कहा कि झारखंड सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन ने 2019 के चुनाव प्रचार में वादा किया था कि महागठबंधन की सरकार बनने के तीन महीने के भीतर पारा शिक्षकों को स्थायी कर समान वेतन दिया जाएगा। लेकिन सत्ता में आने के पाँच वर्ष बाद भी वादा अधूरा है।
2021 में कैबिनेट से “झारखंड सहायक अध्यापक सेवा शर्त नियमावली” पारित होने के बावजूद न तो अनुकंपा नियुक्ति दी गई और न ही मृतक सहायक अध्यापकों के परिजनों को कोई लाभ मिला है। दुखद यह है कि 20-22 वर्षों तक सेवा देने के बाद जब कोई पारा शिक्षक मृत्यु को प्राप्त होता है, तो सरकार कफन के लिए भी पैसे नहीं देती।
संघ ने यह भी बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा पारा शिक्षक कल्याण कोष में जमा किए गए 10 करोड़ रुपये का भी कोई लाभ अब तक सहायक अध्यापकों को नहीं मिला है। वहीं पूर्व शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम और विभागीय सचिव उमाशंकर सिंह के साथ हुए लिखित समझौते के अनुसार 1000 रुपये की बढ़ोतरी का भी अब तक क्रियान्वयन नहीं किया गया।
संघ का कहना है कि झारखंड गठन के 25 वर्षों बाद भी पारा शिक्षकों की हालत नहीं सुधरी है जबकि राज्य के अधिकांश प्राथमिक और मध्य विद्यालय इन्हीं शिक्षकों के भरोसे संचालित हो रहे हैं। संघ की राज्य समिति के आह्वान पर आज पूरे झारखंड के सभी जिलों में जिला कमेटियों की बैठक आयोजित की गई, जिसमें आंदोलन की रणनीति तैयार की जा रही है।
संघ ने सरकार से मांग की है कि वह तत्काल समान काम का समान वेतन सुनिश्चित करे और नियमावली के तहत सभी लाभ प्रदान करे, अन्यथा राज्य भर में उग्र आंदोलन की शुरुआत होगी।