


सूर्या हांसदा के बैकग्राउंड का नहीं करा सके थे गहन जांच : जयराम महतो

मुठभेड़ में मारे गए जेएलएकेएम प्रत्याशी सूर्या हांसदा के बारे में दी सफाई
साथ ही यह भी कहा-आदिवासियों को नक्सल व अपराध के नाम पर किया जा रहा शोषण
डीजे न्यूज, धनबाद : झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) सुप्रीमो व डुमरी विधायक जयराम महतो ने कहा कि जिन आदिवासियों के पूर्वजों ने झारखंड राज्य की लड़ाई लड़ी, आज उन्हीं को नक्सलवाद, अपराध और एनकाउंटर के नाम पर निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासनिक कार्रवाई की आड़ में आदिवासियों का उत्पीड़न हो रहा है, जबकि राज्य के मुख्यमंत्री और देश के राष्ट्रपति दोनों ही आदिवासी समाज से आते हैं।
सूर्या हांसदा एनकाउंटर को लेकर गंभीर सवाल
हाल ही में विधानसभा चुनाव में जेएलकेएम के प्रत्याशी रहे सूर्या हांसदा के गोड्डा में एनकाउंटर पर जयराम महतो ने गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हांसदा के मामले को सिर्फ कानून-व्यवस्था का मुद्दा मानकर छोड़ना ठीक नहीं होगा। यह समझना जरूरी है कि आदिवासी समाज के लोग किस कारण मुख्यधारा से कट रहे हैं और किन परिस्थितियों में वे हिंसक गतिविधियों या प्रशासनिक कार्रवाई के दायरे में आ रहे हैं।
चुनावी रणनीति और समय की कमी
धनबाद परिसदन में एक कार्यक्रम के दौरान महतो ने बताया कि बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी को तैयारी के लिए महज 30 दिनों का वक्त मिला था। वे स्वयं दो सीटों से चुनाव लड़ रहे थे, जबकि पार्टी का आधार कोयलांचल क्षेत्र था। अन्य इलाकों में टिकट उन्हीं को दिया गया, जिन्होंने पूर्व के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया था। संताल में सूर्या हांसदा ने 2019 में भाजपा से चुनाव लड़कर 45 हजार से अधिक वोट हासिल किए थे। उम्मीद थी कि इस बार वे 50 हजार वोट तक पहुंच सकते थे, लेकिन कम समय के कारण उनके बैकग्राउंड की गहन जांच नहीं हो पाई।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और व्यापक संकेत
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जयराम महतो का बयान केवल एक व्यक्ति के एनकाउंटर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह झारखंड की उस पुरानी पीड़ा को उजागर करता है जिसमें आदिवासी समाज खुद को हाशिये पर महसूस करता है। राज्य गठन के 25 साल बाद भी विकास, शिक्षा और रोजगार में पिछड़ापन, साथ ही नक्सलवाद और प्रशासनिक दमन की दोहरी मार ने आदिवासियों के बीच अविश्वास को बढ़ाया है। यह मुद्दा आगामी विधानसभा चुनाव में भी एक बड़ा राजनीतिक विमर्श बन सकता है।





























